8th Pay Commission Update: यूनियन कैबिनेट के हाल ही में 8वें वेतन आयोग (8th Pay Commission) के लिए Terms of Reference (ToR) को मंजूरी दिए जाने के बाद अब इस प्रक्रिया को आगे बढ़ाने का काम शुरू हो चुका है. ToR एक तीन सदस्यीय कमेटी है, जिसकी कमान जस्टिस रंजना प्रकाश देसाई को सौंपी गई है. रिपोर्ट 18 महीने में तैयार होने की उम्मीद है.

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इसी रिपोर्ट के आधार पर कर्मचारियों की सैलरी, उनको मिलने वाले अलाउंस और पेंशन की समीक्षा की जाती है और देश की मौजूदा अर्थव्यवस्था से इनकी तुलना की जाती है. सैलरी, पेंशन, भत्ते और सर्विस कंडीशन में सुधार की रूपरेखा तैयार की जाती है. आठवां वेतन आयोग 1 जनवरी, 2026 से लागू होगा और कर्मचारियों को एरियर के साथ इसका लाभ मिलेगा. 

सांसद ने पीएम को लिखा पत्र 

इस बीच, 8वें केंद्रीय वेतन आयोग का दायरा बढ़ाकर इसमें ग्रामीण डाक सेवकों (GDS) को शामिल करने की मांगें उठ रही हैं, जो फिलहाल सेंट्रल पे स्ट्रक्चर से बाहर हैं. लगभग 2.75 लाख ग्रामीण डाक सेवकों को 8वें वेतन आयोग के दायरे में शामिल करने की जोरदार मांग उठ रही है. सांसद अंबिका जी लक्ष्मीनारायण वाल्मीकि ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर GDS को भी आयोग के दायरे में शामिल करने का आग्रह किया है. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, अपनी बात रखते हुए सांसद ने कहा कि ग्रामीण इलाकों में डाक सेवाओं तक लोगों की पहुंच बढ़ाने में GDS महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और अपनी जिम्मेदारी वह शहरों में काम करने वाले अपने समकक्षों के बराबर काम करते हैं. 

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क्यों उठ रही GDS को शामिल करने की मांग? 

पीएम को लिखी गई अपनी चिट्ठी में सांसद ने कहा है कि सरकार समय-समय पर सेवानिवृत्त अधिकारियों के नेतृत्व में GDS को मिलने वाली सैलरी और सर्विस कंडीशन के रिव्यू के लिए अलग-अलग समितियां गठित करती है.

उन्होंने कहा कि अलग से कमेटी बनने के चलते ग्रामीण डाक सेवकों को वेतन आयोग के जरिए दूसरे केंद्र सरकार के कर्मचारियों को मिलने वाले समान वेतन और भत्ते का लाभ नहीं मिल पाता है. ग्रामीण डाक सेवक केंद्र सरकार के कर्मचारियों की श्रेणी में नहीं आते हैं इसलिए सातवें वेतन आयोग में उन्हें शामिल नहीं किया गया. GDS को 'अतिरिक्त-विभागीय कर्मचारी' माना जाता है, जो भारत के ग्रामीण हिस्सों में छोटे-छोटे डाकघरों की जिम्मेदारी संभालते हैं. इन्हें घर-घर तक चिट्ठी या डॉक्यूमेंट्स वगैरह पहुंचाने, मनीऑर्डर, आधार कार्ड व  अन्य सरकारी कल्याणकारी योजनाओं का काम संभालना पड़ता है.

 

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