Delhi-NCR Housing Projects: दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण के साथ ही सरकार की चिंताएं बढ़ रही है. ऐसे में इसे कंट्रोल करने के लिए दिल्ली-एनसीआर के इलाके में गैर-जरूरी कंस्ट्रक्शन पर रोक लगा दी गई है. इस फैसले के बाद रियल एस्टेट डेवलपर्स की बॉर्डी Naredco ने शुक्रवार को सरकार के इस फैसले का समर्थन किया, लेकिन इसके साथ ही हाउसिंग प्रोजेक्ट्स में होने वाली देरी को लेकर भी अपनी चिंताएं व्यक्त की है. पीटीआई की खबर के मुताबिक बिल्डरों के एसोसिएशन Credai ने डेवलपर्स को प्रदूषण को कंट्रोल करने के लिए बताए गए स्टेप्स को फॉलो करने का आदेश दिया है.


हाउसिंग प्रोजेक्ट्स पूरा करने में होगी देरी


लाइव मिंट में छपी रिपोर्ट के मुताबिक Naredco के राष्ट्रीय अध्यक्ष जी हरि बाबू ने कहा कि राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण को लेकर बिल्डरों भी चिंतित है और सरकार के साथ पूरा सहयोग करने को तैयार है, लेकिन एक महीने के लिए कंस्ट्रक्शन के कार्य पर रोक से हाउसिंग प्रोजेक्ट्स में करीब तीन महीने तक की देरी हो जाएगी. इसके अलावा एक महीने के लिए निर्माण कार्य बंद होने से दिहाड़ी पर काम करने वाले मजदूरों के जीवन पर बहुत बुरा असर पड़ेगा. प्रोजेक्ट्स में देरी होने से इसा वित्तीय दवाब आखिरी में बिल्डरों को ही सहना पड़ेगा.


नियमों का किया जा रहा पालन


Naredco के राष्ट्रीय अध्यक्ष जी हरि बाबू ने कहा कि जितने भी RERA अप्रूव्ड प्रोजेक्ट्स हैं वह पहले से ही प्रदूषण को रोकने के लिए केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की गाइडलाइन का पालन कर रहे हैं. कंस्ट्रक्शन साइट पर समय-समय पर पानी का छिड़काव किया जा रहा है. इसके अलावा निर्माण क्षेत्र से धूल के असर को कम करने के लिए उस एरिया को हरे कवर से ढक दिया जाता है. Credai के एनसीआर के अध्यक्ष मनोज गौड़ ने कहा कि राजधानी दिल्ली में प्रदूषण का मुख्य कारण गाड़ियां हैं और सड़क की धूल है. ऐसे में प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए सरकार को गाड़ियों पर प्रतिबंध लगाने की जरूरत है.


इन कार्यों पर लगाई रोक


दिल्ली में दिवाली से पहले ही प्रदूषण ने आम लोगों के जीवन को अस्त-व्यस्त पर दिया है. गुरुवार को दिल्ली और एनसीआर के इलाके में प्रदूषण को कम करने के लिए केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण पैनल ने GRAP-III लागू करते हुए दिल्ली और एनसीआर जैसे नोएडा, गुरुग्राम और फरीदाबाद में सभी गैर-जरूरी निर्माण कार्य पर रोक लगा दी है. इसमें हाउसिंग प्रोजेक्ट्स, खनन और पत्थर तोड़ने जैसे कार्य भी शामिल हैं. पैनल ने केवल रेलवे, मेट्रो स्टेशन, राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े निर्माण कार्य, हॉस्पिटल से जुड़े निर्माण कार्यों को ही पूरा करने की इजाजत दी है.


इसके अलावा पब्लिक इंटरेस्ट जैसे पानी की सप्लाई, रोड, हाईवे आदि जैसे निर्माण कार्यों के लिए निर्माण की मंजूरी मिली है. इस आदेश के बाद बिल्डरों के बीच यह चिंता बढ़ गई है कि इससे हाउसिंग प्रोजेक्ट को पूरा करने में देरी हो सकती है जिसका वित्तीय दबाव बाद में बिल्डरों को ही उठाना पड़ेगा. 


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