Data Protection Bill 2022: डेटा प्रोटेक्शन बिल (Data Protection Bill) को लेकर बड़ी खबर सामने आ रही है. केंद्रीय इलेक्ट्रानिक और आईटी राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर (Rajeev Chandrasekhar, Union Minister of State for Electronics and IT) ने कहा कि डेटा प्रोटेक्शन बिल के तहत सरकार किसी नागरिक की निजता का उल्लंघन नहीं होगा. केंद्र की मोदी सरकार केवल कुछ ही मामले जैसे राष्ट्रीय सुरक्षा, कोरोना महामारी या फिर किसी प्राकृतिक आपदा के समय ही किसी व्यक्ति के निजी डाटा तक पहुंच प्राप्त कर सकेगी.


DPDP बिल का हिस्सा नहीं 


मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने कहा कि नेशनल डेटा गवर्नेंस फ्रेमवर्क पॉलिसी (National Data Governance Framework Policy) में डेटा को गोपनीय ( एनोनिमाइजेशन का प्रावधान किया गया है, हालांकि डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन (DPDP) बिल 2022 का हिस्सा नहीं है.


डेटा प्रोटेक्शन बोर्ड का गठन 


मंत्री चंद्रशेखर ने कहा कि नए डेटा प्रोटेक्शन बिल (Data Protection Board) के तहत एक डेटा प्रोटेक्शन बोर्ड का गठन किया जाएगा, जो कि डेटा प्रोटेक्शन के मामलों से जुड़ा होगा और स्वतंत्र रूप से कार्य करेगा. इस बोर्ड में किसी भी सरकारी अधिकारी को शामिल नहीं किया जाएगा.


नोटिफाइड एंटीटीज को छूट


डीपीडीपी बिल के ड्राफ्ट में सरकार द्वारा नोटिफाइड एंटीटीज को डेटा कलेक्शन से डिटेल शेयर करने सहित कई तरीके की छूट मिलेगी. इन प्रावधानों से सरकार द्वारा नोटिफाइड विषयों को छूट दी जाएगी. साथ ही वे किसी व्यक्ति को डेटा कलेक्शन, बच्चों के डेटा के कलेक्शन, सार्वजनिक ऑर्डर के रिस्क असेसमेंट, डेटा ऑडिटर की नियुक्ति के उद्देश्य के बारे में सूचित करने से संबंधित हैं.


नहीं होगा निजता का उल्लंघन


केंद्रीय मंत्री से ट्विटर लाइव के दौरान इस कानून के जरिए नागरिकों की निजता में दखल को लेकर पूछे सवाल पर कहा कि, ऐसा बिल्कुल नहीं है. बिल के ड्राफ्ट में इस बात को साफ स्पष्ट किया है कि कुछ स्पेशल परिस्थितियों जैसे राष्ट्रीय सुरक्षा, महामारी या फिर किसी प्राकृतिक आपदा के दौरान ही सरकार किसी व्यक्ति के निजी डाटा को प्राप्त कर सकती है. उन्होंने कहा कि बिल के प्रस्ताव में  'व्यक्तिगत डाटा सूचना के अधिकार" के तहत सरकार द्वारा अधिसूचित डाटा प्रबंधन करने वाली संस्थाओं को डाटा मालिकों के साथ डेटा प्रोसेसिंग के विवरण को साझा करने का प्रस्ताव जारी किया है. साथ ही ये बिल किसी व्यक्ति को डाटा प्रबंधन करने वाली संस्थाओं को गलत जानकारी साझा करने से भी रोकता है.


जुर्माने का प्रावधान 
आपको बता दे कि ड्राफ्ट बिल में ऐसे कई प्रावधान हैं, जिससे डेटा प्रॉसेसिंग करने वाली संस्थाएं व्यक्तियों की स्पष्ट सहमति से ही डेटा जमा करें. अगर ये यूनिट या उसकी ओर से डेटा का प्रॉसेसिंग करने वाली संस्थाएं बिल के किसी भी प्रावधान का उल्लंघन करती हैं, तो ड्राफ्ट में 500 करोड़ रुपये तक के जुर्माने का प्रस्ताव है.


डेटा को बदलने की अनुमति 
सूचना के अधिकार कानून के तहत बड़ी संख्या में ऐसे आवेदन आए हैं, जो अनावश्यक हैं. इससे सरकारी विभागों पर बोझ बढ़ गया है. इस बात को ध्यान में रखते हुए सरकार की तरफ से नोटिफाई संस्थाओं को आरटीआई खंड से छूट दी गई है. आपसी समझौते और भरोसे के आधार पर दूसरे देशों में डेटा को बदलने और रखने की अनुमति दी जाएगी.


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