Crude oil price hike: भारत में कच्चे तेल (crude oil prices) की कीमतें करीब तीन साल के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई हैं, जिसका सीधा असर आम जनता की जेब पर पड़ रहा है. घरेलू मार्केट में आज फिर पेट्रोल-डीजल (Petrol-Diesel price) की कीमतों में इजाफा देखने को मिला है. जब भी कच्चे तेल की कीमतों में उछाल देखने को मिलता है तो इसका सीधा बोझ उपभोक्ताओं पर पड़ता है. हालांकि जब कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट हुई थी तब केंद्र सरकार ने एक्साइज ड्यूटी (Centre's excise duty) में इजाफा कर दिया था, जिसकी वजह से उपभोक्ताओं को उस समय भी ईंधन के लिए ज्यादा पैसे खर्च करने पड़े थे. केंद्र ने वित्त वर्ष 2015 से वित्त वर्ष 2021 के बीच पेट्रोलियम उत्पादों पर उत्पाद शुल्क के माध्यम से लगभग 16 लाख करोड़ की कमाई की है.


महामारी के दौरान एक्साइज ड्यूटी में हुआ था इजाफा
हाल के दिनों में खुदरा कीमतों में उछाल का एक बड़ा कारण केंद्र का उत्पाद शुल्क रहा है. जबकि खुदरा मूल्य में राज्यों की हिस्सेदारी स्थिर बनी हुई है. साल 2014 के अंत के बाद केंद्र की हिस्सेदारी इसमें कई गुना बढ़ गई है. साल 2020 में महामारी के दौरान भी एक्साइज ड्यूटी में इजाफा किया गया था.


क्यों आ रही कच्चे तेल की कीमतों में तेजी?
ओपेक देशों की बैठक में नतीजे उम्मीद से अलग आए हैं, जिसकी वजह से कीमतों में तेजी देखने को मिल रही है. बता दें बैठक से पहले उम्मीद की जा रही थी कि मांग में इजाफा होने की वजह से प्रोडक्शन में भी उसी हिसाब से बढ़ोतरी की जाएगी, लेकिन ओपेक देशों ने उत्पादन में सिर्फ रोजाना 4 लाख बैरल की ही बढ़ोतरी की है. इसी वजह से इंटरनेशनल मार्केट में कच्चे तेल की कीमतों करीब 2.5 फीसदी चढ़ गई हैं. कल के कारोबार के अंत में ब्रेंट क्रूड का भाव 81 डॉलर के पार पहुंच गया था.


कितना आया उछाल?
MCX पर अक्टूबर डिलीवरी वाले कच्चे तेल की कीमतों में 35 रुपये यानी 0.62 फीसदी का इजाफा देखने को मिला है. इस इजाफे के बाद कच्चे तेल का भाव बढ़कर 5,651 रुपये प्रति बैरल पर पर पहुंच गया. वहीं, नवंबर डिलीवरी वाले तेल का भाव 36 रुपये यानी 0.64 फीसदी बढ़कर 5,642 रुपये प्रति बैरल हो गई, जिसमें 931 लॉट का कारोबार हुआ. अक्टूबर और नवंबर महीने में अबतक किए गए कॉन्ट्रैक्ट का मूल्य क्रमश: 878.81 करोड़ रुपये और 32.19 करोड़ रुपये है.


WTI क्रूड 3.02 फीसदी बढ़ा
वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट (डब्ल्यूटीआई) क्रूड 3.02 फीसदी बढ़कर 78.17 डॉलर प्रति बैरल हो गया, जबकि लंदन स्थित अंतरराष्ट्रीय बेंचमार्क ब्रेंट क्रूड 3.17 फीसदी बढ़कर 81.79 डॉलर प्रति बैरल हो गया. OPEC+ की ओर से लिए गए फैसले से कच्चे तेल की कीमतों में उछाल देखने को मिल रहा है. 


कैसा रही पेट्रोल-डीजल और कच्चे तेल की खपत?
इसके अलावा भारत में पेट्रोल और डीजल की औसत खपत की बात करें तो महामारी के दौरान इसमें बड़ी गिरावट देखने को मिली थी. सितंबर 2020 में पेट्रोल-डीजल की औसत खपत 5222 पर पहुंच गई थी. वही, अप्रैल 2021 में यही खपत 6929 थी. क्रूड के इंपोर्ट में भी कोरोना महामारी के दौरान बड़ी गिरावट देखने को मिली थी. अक्टूबर 2020 में क्रूड का इंपोर्ट घटकर 14924 पर पहुंच गया था. इसके अलावा मई 2021 में यही इंपोर्ट बढ़कर 18451 पर पहुंच गया था.


भारत कहां-कहां से खरीदता है कच्चा तेल?
भारत साऊदी अरब के अलावा अमेरिका, UAE, ईराक से सबसे ज्यादा तेल खरीदता है. ईराक पिछले कई सालों से भारत का बड़ा सप्लायर रहा है. साफ तौर पर ये कहा जा सकता है कि अगर कच्चे तेल की कीमतों में उछाल जारी रहा तो देश में पेट्रोल-डीजल के दाम में और इजाफा देखने को मिलेगा जिससे आम आदमी की जेब पर बोझ पड़ना तय है. 


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