US Banking Crisis: ग्लोबल स्तर पर बैंकिंग सेक्टर में उथल-पुथल मची हुई है. पिछले 11 दिनों के दौरान पांच बैंक विफल हो चुके हैं. हालांकि इसमें से दो बैंकों के बिक्री को लेकर डील हो चुकी है. वहीं बाकी के बैंकों को बचाने का प्रयास अमेरिकी सरकार की ओर से जारी है. 

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सबसे पहले अमेरिका का सिल्वरगेट, फिर सिलिकान वैली और सिग्नेचर जैसे बैंक कोलैप्स हो गए. ये संकट सिर्फ यहीं तक नहीं रुकने वाला है, एक्सपर्ट्स का मानना है कि इसका असर बैकिंग सेक्टर के अलावा, आईटी सेक्टर भी होगा. भारत के आईटी सेक्टर भी इससे प्रभावित हो सकते हैं. 

 बैंकिंग सेक्टर से आईटी कंपनियों को 40 फीसदी तक रेवेन्यू

बिजनेस टूडे की रिपोर्ट के मुताबिक, केंद्रीय स्टेट मंत्री राजीव चंद्रशेखर भी मानते हैं कि इसका असर आईटी सेक्टर पर पड़ेगा, लेकिन उन्हें कारोबार अच्छा होने पर भरोसा है. वहीं कुछ लोगों का मानना है कि नया कारोबार करने में आईटी सेक्टर को पेरशानियों का सामना करना पड़ सकता है, क्योंकि इन कंपनियों को 40 फीसदी तक रेवेन्यू बैंकिंग, वित्तीय सेवा जैसी कंपनियों से प्राप्त होता है, जो इस समय संकट से गुजर रहे हैं. 

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बैंकिंग संकट का नहीं होगा ज्यादा असर

बिजनेस टूडे से बातचीत के दौरान राजीव चंद्रशेखर ने कहा कि बैंकिंग और वित्तिय सेक्टर का आईटी कंपनियों में बड़ा योगदान है. उन्होंने कहा कि से चले देने की जरूरत है. बैंकिंग संकट का असर तो होगा और कारोबार में गिरावट भी देखने को मिल सकता है, पर दूसरी अन्य क्षेत्रों में मुनाफा होगा. 

नौकरियों में होगी कटौती 

एक्सपर्ट का ये भी मानना है कि आने वाले समय में आईटी सेक्टर प्रभावित होंगे. ऐसे में 2 से तीन फीसदी नौकरी में कटौती हो सकती है. साथ ही वित्त वर्ष के दौरान थोड़ा नुकसान भी हो सकता है. 

ये कंपनियां सबसे ज्यादा जोखिम में

जेपी मॉर्गन की ओर से शुक्रवार को जारी एक रिपोर्ट में कहा गया है कि टीसीएस, इंफोसिस और एलटीआई माइंडट्री का मौजूदा संकट के प्रति सबसे अधिक जोखिम देखा गया है. रिपोर्ट में दावा किया गया है कि हाल ही में ढह चुके सिलिकॉन वैली बैंक में उनका एक्सपोजर 10.20 आधार अंक हो सकता है. 

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