शॉपिंग से लेकर घूमने-फिरने और रोजमर्रा के काम करने के तरीकों में बदलाव का असर भुगतान करने के तरीकों (Payment Modes) पर भी दिखने लगा है. रिजर्व बैंक के ताजा आंकड़े (RBI Data) इस बदलाव की साफ तस्वीर पेश करते हैं. आंकड़ों पर गौर करें तो बीते कुछ सालों में खासकर महामारी के बाद देश में क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल (Credit Card Usage) तेजी से बढ़ा है, वहीं डेबिट कार्ड से पेमेंट (Debit Card Payments) करने में कमी आई है. इसका मतलब हुआ कि महामारी के बाद देश में कार्ड के इस्तेमाल में बड़ा बदलाव आया है.


रिजर्व बैंक के आंकड़ों (RBI data) के अनुसार, वित्त वर्ष 2020-21 (FY21) के दौरान क्रेडिट कार्ड से 6,30,414 करोड़ रुपये के पेमेंट किए गए थे. क्रेडिट कार्ड से पेमेंट का यह आंकड़ा चालू वित्त वर्ष  (FY23) के पहले नौ महीनों यानी अप्रैल 2022 से दिसंबर 2022 के दौरान ही 10,49,065 करोड़ रुपये पर पहुंच गया. वहीं दूसरी ओर समान अवधि के दौरान डेबिट कार्ड से पेमेंट 6,61,385 करोड़ रुपये से कम होकर Rs 5,61,450 करोड़ रुपये पर आ गया.


बीते कुछ सालों के दौरान सिर्फ दिसंबर महीने के ही आंकड़े को देखें तो बदलाव की कहानी खुलकर सामने आती है. दिसंबर 2019 में क्रेडिट कार्ड से 65,736 करोड़ रुपये के पेमेंट किए गए थे. यह आंकड़ा दिसंबर 2020 में कुछ कम होकर 63,487 करोड़ रुपये रहा. इसके बाद यूजेज का आंकड़ा तेजी से बढ़ा और दिसंबर 2021 में  93,907 करोड़ रुपये पर पहुंच गया. पिछले साल दिसंबर में तो यह आंकड़ा और बढ़कर 1,26,524 करोड़ रुपये हो गया. क्रेडिट कार्ड के बढ़ते इस्तेमाल का असर कुल बकाया राशि पर भी हो रहा है. चालू वित्त वर्ष के पहले नौ महीने के दौरान क्रेडिट कार्ड्स की कुल बकाया राशि 22 फीसदी बढ़कर 1,80,090 करोड़ रुपये पर पहुंच गई.



वहीं दूसरी ओर डेबिट कार्ड का इस्तेमाल लगातार कम होता गया है. दिसंबर 2019 में डेबिट कार्ड से 83,953 करोड़ रुपये के पेमेंट किए गए थे. यह कम होकर दिसंबर 2020 में 65,178 करोड़ रुपये और दिसंबर 2021 में 66,491 करोड़ रुपये रहा. दिसंबर 2022 में तो यह महज 58,625 करोड़ रुपये रह गया.


पेमेंट के तरीके में आए इस बदलाव का संकेत इश्यू हुए कार्ड की संख्या भी देती हैं. रिजर्व बैंक के अनुसार, दिसंबर 2019 तक इश्यू किए गए क्रेडिट कार्ड की कुल संख्या 5.53 करोड़ थी, जो दिसंबर 2022 तक बढ़कर 8.12 करोड़ हो गई. वहीं दूसरी ओर इस दौरान डेबिट कार्ड की कुल संख्या में मामूली बढ़ोतरी हुई और ये 80.53 करोड़ से बढ़कर महज 93.94 करोड़ हो पाए.