नई दिल्ली: देश के विकास पर नोटबंदी के असर को लेकर पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने मोदी सरकार पर करारा हमला बोला. सीएसओ के आंकड़े का हवाला देते हुए कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम ने गुरुवार को कहा कि उनकी देश की अर्थव्यवस्था की धीमी विकास दर की भविष्यवाणी सही थी और नोटबंदी ने इसे और भी बदतर बना दिया. चिदंबरम ने ट्वीट कर कहा, "मैंने कहा था नोटबंदी से देश की विकास दर 1 से 1.5 फीसदी प्रभावित होगी, जबकि जीवीए में 1.3 फीसदी की कमी आएगा. अर्थव्यवस्था की रफ्तार जुलाई 2016 से धीमी पड़नी शुरू हो गई थी."


7.1 फीसदी रही देश की जीडीपी


नोटबंदी की मार देश की अर्थव्यवस्था पर दिखाई दी है. मार्च 2017 में समाप्त चौथी तिमाही के दौरान सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) दर घटकर 6.1 फीसदी रही जबकि पिछले साल की समान तिमाही में यह सात फीसदी थी. आधिकारिक सांख्यिकीविद् द्वारा बुधवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक, पिछले वित्त साल में देश की जीडीपी बढ़कर 7.1 फीसदी रही है जो 2015-16 के आठ फीसदी के मुकाबले कम है.


चिदंबरम ने कहा, "कांग्रेस और विपक्षी दल जो कह रहे थे, वह सही साबित हुआ है. अर्थव्यवस्था में साल 2016 के मध्य से ही गिरावट शुरू हो गई थी. लेकिन उसे ठीक करने के कदम उठाने की बजाए सरकार ने नोटबंदी जैसा असाधारण मूखर्तापूर्ण कदम उठाया, जिसने अर्थव्यवस्था को और अधिक नुकसान पहुंचाया."


पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा, "इस दौरान लाखों लोग दुख में डूब गए. हमने ध्यान दिलाया था कि जीवंत अर्थव्यवस्था के तीन संकेतक नीचे गिर गए हैं. पहला जीडीपी अनुपात के लिए निवेश है, दूसरा क्रेडिट वृद्धि है और तीसरा नई नौकरियों की संख्या है."


सरकार पूरी तरह से 'नाकाम'


चिदंबरम ने यह भी कहा कि इन तीनों संकेतकों पर सरकार पूरी तरह से 'नाकाम' साबित हुई है और सीएसओ ने यह साबित किया है कि सरकार गलत थी. उन्होंने कहा, "मुझे नहीं पता कि अब सरकार आगे क्या करेगी और कब तक वह, यह कहते हुए कि सबकुछ ठीक है और हम सही दिशा में हैं, अपने आपको और देश के लोगों को मूर्ख बनाएगी. सबकुछ ठीक नहीं है. हम सही रास्ते पर नहीं है. निवेश गिर रहा है. ऋण वृद्धि अधिकांश क्षेत्रों के लिए नकारात्मक है और नौकरियां नहीं है."


उन्होंने आगे कहा, "अर्थव्यवस्था तेजी से गिरती जा रही है, जब तक सुधारात्मक उपाय नहीं किए जाते. अर्थव्यवस्था और ज्यादा नीचे गिर सकती है. हमने सरकार को आगाह किया था और हम भारत के लोगों को आगाह कर रहे हैं. देखते हैं सरकार सीएसओ के आंकड़ों का क्या जवाब देती है."