Rice-Wheat Production To Decline: जलवायु परिवर्तन (Climate Change) को लेकर पूरी दुनिया में लगातार चिंता जताई जाती रही है. लेकिन आने वाले वर्षों में जलवायु परिवर्तन के प्रभाव का भारत के खाद्य सुरक्षा ( Food Security) पर बेहद बुरा असर पड़ सकता है जिसे लेकर संसद में चिंता जाहिर की गई है. सरकार ने संसद को बताया कि जलवायु परिवर्तन के प्रभावों के चलते चावल, गेहूं के अलावा खरीफ मक्के के उत्पादन में बड़ी कमी देखने को मिल सकती है. 


घट सकता है गेहूं-चावल का उत्पादन 


केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने लोकसभा में जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को लेकर पूछे गए प्रश्न के लिखित जवाब में कहा कि सरकार ने अनुमानित जलवायु को ध्यान में रखते हुए  2050 और 2080 के लिए फसल सिम्यूलेसन मॉडल का प्रयोग करते हुए जलवायु परिवर्तन प्रभाव का मुल्यांकन किया है. इसमें पता लगा है कि अनुकूल उपायों को ना अपनाया गया तो भारत में वर्षा पर निर्भर चावल की पैदावार 2050 तक 20 फीसदी और 2080 तक 47 फीसदी कम हो सकती है. जबकि सिंचित चावल के उत्पादन में 20250 तक 3.5 फीसदी और 2080 तक 5 फीसदी उत्पादन घटने का अनुमान है.    


कृषि मंत्री ने बताया कि जलवायु परिवर्तन के कारण गेहूं के पैदावार में भी बड़ी गिरावट आ सकती है. उन्होंने बताया कि स्थानीय और अस्थायी जलवायु परिवर्तनों के कारण 2050 तक 19.3 फीसदी और 2080 तक 40 फीसदी गेहूं के पैदावर में कमी होने का अनुमान है. जलवायु परिवर्तन के कारण खऱीफ मक्के के भी पैदावार में 2050 तक 18 फीसदी और 2080 तक 23 फीसदी कमी आ सकती है. 


घट सकता है अनाज में पोषक तत्व भी 


कृषि मंत्री ने बताया कि जलवायु परिवर्तन से फसल की पैदावार कम होती है साथ ही पोषक तत्व में भी कमी आती है. सूखे जैसे हालात के चलते खाद्य और पोषक तत्व उफबोग को प्रभावित करते हैं. किसानों के वित्तीय सेहत पर भी इसका बुरा असर पड़ता है. कृषि मंत्री के मुताबिक इस चुनौती से निपटने के लिए भारतीय कृषि खाद्य अनुसंधान, कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय ने नेशनल इनोवेशन इन क्लामेट रिजिलिएंट एग्रीकल्चर नाम से फ्लैगशिप नेटवर्क अनुसंधान परियोजना को शुरू किया है जिसका मतसद जलवायु अनुकूल प्रोद्योगिकी के विकास करने के साथ उसे बढ़ावा देना है.


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