कोरोना संक्रमण के इस दौर में हेल्थ इंश्योरेंस बिजनेस को काफी ग्रोथ मिली है. हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी खरीदने वालों की तादाद में कई गुना बढ़ोतरी हुई है. अक्सर ग्राहक हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी खरीदते वक्त इसकी लागत पर सबसे ज्यादा ध्यान देते हैं लेकिन इसका चुनाव करते वक्त कुछ और चीजों पर भी ध्यान देना चाहिए.


पॉलिसी रिन्युअल की उम्र सीमा

ज्यादातर बीमा कंपनियां एक उम्र के बाद हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी री-न्यू करने की इजाजत नहीं देतीं. मसलन आईसीआईसीआई लोम्बार्ड अपने ग्राहकों को 70 साल की उम्र तक स्वास्थ्य बीमा योजनाएं रिन्यू कराने की छूट देती हैं. साफ है कि बीमा कंपनी जितनी अधिक उम्र तक बीमा योजना को रीन्यू कराने की छूट देंगी ग्राहकों के लिए उतना बेहतर होगा.

को-पेमेंट का विकल्प

उम्र के साथ-साथ आपके स्वास्थ्य से जुड़े जोखिम भी बढ़ जाते हैं. लिहाजा बीमा कंपनियां ग्राहकों को दी जाने वाली सुविधाएं कम करने लगती हैं. उन्हें अधिक प्रीमियम तो भरना ही पड़ता है, साथ ही ग्राहकों को को-पेमेंट भी करना पड़ता है. कंपनियां अपने-अपने हिसाब से यह तय करती हैं कि कब वे किसी पॉलिसी के लिए को-पेमेंट का ऑप्शन देंगी. ग्राहक चाहें तो अपनी अपनी पॉलिसी को को-पेमेंट पॉलिसी में बदल कर बीमा कवरेज की अवधि बढ़ा सकती है. को-पेमेंट का मतलब होता है कि आपको इलाज के खर्च के एक हिस्से का भुगतान करना होता है. बाकी पेमेंट हेल्थ इंश्योरेंस कंपनी करती है.

पॉलिसी में कौन सी बीमारियां कवर हो रही हैं- जानें

दरअसल हर हेल्थ इंश्योरेंस स्कीम से एक लिस्ट जुड़ी होती है, जिसके जरिये यह बताया जाता है कि किन-किन बीमारियों का इलाज उस योजना में शामिल नहीं है. उदाहरण के लिए कैश प्लान में डेंटल सर्जरी, प्रिग्नेंसी से जुड़ी बीमारियों और डिलीवरी को शामिल नहीं किया जाता है. हेल्थ इंश्योरेंस प्लान को इस आधा पर परखें कि इनमें किन बीमारियों का शामिल किया गया है और किसे नहीं. पॉलिसी डॉक्यूमेंट में इसका जिक्र होता है. अगर किसी पॉलिसी विशेष में किसी खास बीमारी को शामिल नहीं किया गया है तो आप दूसरी योजनाओं को चुन सकते हैं या फिर साथ में कोई राइडर ले सकते हैं. स्वास्थ्य बीमा योजनाओं की खरीदारी से पहले इस बात का भी खास ध्यान रखें कि योजना में पहले से मौजूद बीमारियों को शामिल किया गया है या नहीं.

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