Deflation in China: भारत समेत विश्व के ज्यादातर देश फिलहाल महंगाई से जूझ रहे हैं, वहीं दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था पर चीन में एक नई मुसीबत आ गई है. देश में महंगाई में आई गिरावट के बाद जहां आम लोगों को तो राहत मिली है, लेकिन देश की इकोनॉमी पर 'डिफ्लेशन' का खतरा मंडराने लगा है. चीन द्वारा जारी किए गए महंगाई के आंकड़ों से पता चला है कि जुलाई में कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स (CPI) और प्रोड्यूसर प्राइस इंडेक्स (PPI) में बड़ी गिरावट दर्ज की गई है. इसके बाद से देश में 'डिफ्लेशन' का खतरा बढ़ गया है. ध्यान देने वाली बात ये है कि पिछले 2 साल में पहली बार चीन में महंगाई में इतनी ज्यादा गिरावट दर्ज की गई है.


जुलाई में कम हुई थोक और रिटेल महंगाई


ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार चीन के नेशनल ब्यूरो ऑफ स्टेटिस्टिक्स (NBS) ने मंगलवार को जुलाई 2023 के महंगाई के आंकड़े जारी किए हैं. जुलाई में चीन में कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स में पिछले साल के मुकाबले 0.3 फीसदी की बड़ी गिरावट दर्ज की गई है. हालांकि ब्लूमबर्ग के पोल में अनुमान जताया था कि चीन के CPI में 0.4 फीसदी की गिरावट दर्ज की जाएगी. ध्यान देने वाली बात ये है कि फरवरी 2021 के बाद से CPI में पहली बार कमी देखी जा रही है.


थोक महंगाई दर यानी प्रोड्यूसर प्राइस इंडेक्स (PPI) की बात करें तो इसमें लगातार 10वें महीने में भी गिरावट का दौर जारी है. पिछले साल जुलाई के मुकाबले इसमें 4.4 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है, मगर यह अनुमान से थोड़ा कम ही है. ध्यान देने वाली बात ये है कि नवंबर 2020 के बाद से ऐसा पहली बार हुआ है कि CPI और PPI में पहली बार गिरावट देखने को मिली है.


बढ़ गया 'डिफ्लेशन' का खतरा


चीन में कोरोना का सख्त लॉकडाउन खत्म होने के बाद कुछ वक्त तक बिजनेस और कंज्यूमर डिमांड में  तेजी देखी गई, लेकिन इसके बाद से ही मार्केट में मंदी का माहौल है. पिछले कुछ महीनों में बिजनेस और देश के निर्यात में गिरावट दर्ज की गई है. इसके बाद चीन के लोग सामान पर पैसे कम खर्च कर रहे हैं जिससे मांग में तेजी से कमी आई है. इस कारण देश पर 'डिफ्लेशन' का खतरा बढ़ गया है. कई एक्सपर्ट्स का यह मानना है कि चीन के निर्यात में कमी के कारण देश में महंगाई में तेजी से गिरावट आई है. ऐसे में इससे निजात के लिए सरकार को निर्यात में तेजी लानी होगी. सरकार ने इस साल कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स टारगेट 3 फीसदी रखा है. वहीं पिछले साल यह आंकड़ा 2 फीसदी रहा है.


क्या है 'डिफ्लेशन'?


महंगाई में तेजी से गिरावट को 'डिफ्लेशन' कहते हैं. महंगाई में कमी होने के बाद ग्राहक सस्ते में कोई चीज खरीद सकते है, लेकिन इससे बिजनेस पर बहुत बुरा असर पड़ता है और कंपनियों का प्रॉफिट मार्जिन कम हो जाता है. 'डिफ्लेशन' का मुख्य कारण होता है मार्केट में प्रोडक्ट्स की ज्यादा मात्रा और खरीदारों की संख्या कम होना. ऐसे सप्लाई और मांग में अंतर होने के कारण 'डिफ्लेशन' की स्थिति पैदा होती है. 


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