नई दिल्लीः आजकल एविएशन सेक्टर आम लोगों के लिए लग्जरी नहीं रह गया है क्या इसी तरह का चलन रियलटी सेक्टर में भी आ सकता है? क्या आपके लिए भी घर बनाना महज एक सपना नहीं बल्कि हकीकत की शक्ल ले सकता है? ऐसा आने वाले समय में हो सकता है क्योंकि भारत में रियलटी सेक्टर भी एविएशन सेक्टर जैसे ही आम लोगों की पहुंच के करीब जाता नजर आ रहा है.


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी अक्सर अपने भाषणों में 2022 तक सभी को घर देने का जिक्र करते हैं. जिस तरह से एविएशन सेक्टर में टिकटों के रेट गिरने के बाद आम आदमी का हवाई सफर का सपना पूरा होने लगा है ठीक वैसे ही रियल स्टेट सेक्टर में भी रेट तेजी से गिरने से आम आदमी के लिए घर खरीदना उनकी पहुंच में आ सकता है.

रियल एस्टेट को लेकर आकर्षण अभी तक बरकरार 
हाल ही में नोटबंदी, GST और रेरा जैसे कई झटकों के बावजूद रियल स्टेट अभी भी लोगों को अपनी ओर खींच रहा है. हाल ही में एक इवेंट के दौरान भारत के शहरी विकास मंत्री, पंचायत और ग्रामीण विकास मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने सरकारी अधिकारियों के साथ मिलकर रियलटी डेवलेपर्स को भरोसा दिलाया कि रियल स्टेट के नीतिगत मामलों में सरकार काफी गंभीरता से विचार कर रही है. नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि सरकार हर किसी को घर देने के सपने को लेकर गंभीर है. हालांकि ये सपना पूरा करना डेवलेपर्स की भी जिम्मेदारी है और अपने मुनाफे के साथ-साथ वो लोगों के घर के सपने को भी पूरा करने में सक्षम हैं.

”सरकार ऐसे कई नियम लाई है जो प्रॉपर्टी डेवलपर्स के फेवर में हैं. इसके बावजूद भी अगर कोई कमी या खामी सामने आती है तो अभी भी सुधारों के विकल्प खुले रखे गए हैं. रियल स्टेट और मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर के विकास के लिए सारे प्रतिकूल नियमों को अलग रखा गया है.”

शहरी और हाउसिंग मंत्रालय में सचिव दुर्गा शंकर मिश्रा ने भी कहा कि “सरकार ने क्रेडिट लिंक सब्सिडी स्कीम को मिडिल क्लास खरीददार वाले ग्रुप तक पंहुचा दिया है. इंट्रेस्ट रेट सबवेंशन स्कीम को इंड्रस्ट्री में डिमांड पैदा करनी चाहिए. साथ ही डेवलपर्स की भी ये जिम्मेदारी है कि वो सरकार द्वारा दिए जा रहे फायदों को जनता तक पंहुचाए.”

रियल स्टेट के क्षेत्र में नीतिगत सुधारों की जरूरत
हांला्कि डेवलपर्स और रियल स्टेट सेक्टर के विशेषज्ञ इसे अलग तरह से देखते हैं. उनका मानना है कि 2017 मे भारत में व्यापार करना आसान नहीं रहा है और भी तमाम चिंताएं हैं जो भारत में सस्ते मकान के सपने को पूरा करने के दावों पर चोट करती हैं. डेवलपर्स का मानना है कि रियल स्टेट के क्षेत्र में नीतिगत सुधारों की जरूरत है.

अफोर्डेबल हाउसिंग या रेगुलर हाउसिंग पर टैक्स बरकरार
हीरानंदानी ग्रुप के मैनेजिंग डायरेक्टर निरंजन हीरानंदानी कहते हैं कि “जब जीएसटी आया था तब ये दावा किया गया था कि हाउसिंग सेक्टर पर कोई इंक्रीमेंटल टैक्स नहीं लगाया जाएगा. इसका मतलब है कि सेक्टर न्यूट्रल टैक्स वाला सेक्टर बन जाता. इंड्रस्ट्री एक्सपर्ट्स का मानना है कि प्रोजक्ट्स में लगने वाली लागत में मिनिमम बढ़ोत्तरी 3% है जबकि जहां जमीन के दाम ज्यादा हैं वहां ये 5% तक हो जाता है. सरकार टैक्स ले रही है वो चाहें अफोर्डेबल हाउसिंग पर हो या रेगुलर हाउसिंग पर हो.

रियलटी सेक्टर को दोबारा खड़ा करने के लिए हाउसिंग सेक्टर को टैक्स न्यूट्रल बनाने की मांग
हम चाहते हैं कि हाउसिंग सेक्टर को टैक्स न्यूट्रल बना दिया जाए और इसके लिए सरकार को जमीन की कीमतों पर नियंत्रण करना चाहिए. अफोर्डेबल हाउसिंग के लिए टैक्स सिर्फ 6 फीसदी होना चाहिए न कि 12 फीसदी. जमीन के दाम लगातार बढ़ रहे हैं लिहाजा सरकार को चाहिए कि एफोर्डेबल हाउसिंग को आर्थिक रूप से लचीला बनाने के लिए कदम बढ़ाए.” इंडिया एट जेएलएल के सीईओ रमेश नायर भी हीरानंदानी से सहमति जताते हैं,” प्रॉपर्टी सेल्स बहुत ज्यादा गिर गई हैं और रियल स्टेट सेक्टर को दोबारा खड़ा होने में बहुत टाइम लगेगा.”

निम्न मध्यम वर्ग-मध्यम वर्ग का घर का सपना होगा पूरा
सरकार दावा कर रही है कि उसने रियल स्टेट सेक्टर में सुधार के लिए कदम उठाए हैं. साथ ही 2022 तक देश में सभी को मकान देने के दावे को भी बड़ी गंभीरता से पेश किया जा रहा है लेकिन इस इंड्रस्टी के एक्सपर्ट्स और खुद इंड्रस्टी चलाने वाले लोग भी इससे अलग बात कहते हैं. हालांकि उन्होंने थोड़े ही सुधारों से इंड्रस्ट्री में सुधार आने की बात भी की है ऐसे में इस उम्मीद को बल मिलता है कि शायद एविएशन सेक्टर के जैसे ही रियल स्टेट सेक्टर भी आम लोगों के सपने पूरे करने में मदद कर सकता है.

जैसा कि सरकार का दावा है कि हवाई चप्पल पहनने वाला व्यक्ति भी हवाई जहाज में उड़ान भरने की सोच सकता है ठीक उसी तरह निम्न मध्यम वर्ग-मध्यम वर्ग (एलआईजी-एमआईजी) ग्रुप भी आने वाले समय में खुद के घर के सपने को पूरा करने के बारे में सोच सकता है.

हालांकि रियल स्टेट में काम करने वाले लोग इस बात से इंकार करते हैं, उनका मानना है कि GST को लाने के बाद टैक्स संबंधी सुधारों के वादों को पूरा नहीं किया गया है ऐसे में रियल स्टेट किस तरह से एविएशन सेक्टर की तरह काम करेगा ये कोई निश्चित बात नहीं है.

अर्थव्यवस्था में मंदी से निबटने के लिए पीएमईएसी ने 10 सूत्री कार्ययोजना की रुपरेखा पेश की

GST को 100 दिन पूरेः राजस्व सचिव हसमुख अढिया से जानें जीएसटी के हर सवाल का जवाब

दिल्ली मेट्रो के किराए बढ़ गए तो क्या? मेट्रो कार्ड से ऐसे कम होगा आपकी जेब पर बोझ

आईएमएफ ने भारत के विकास अनुमान घटाए, विकास दर 6.7% मुमकिन

महाराष्ट्र में पेट्रोल 2 रुपये, डीजल 1 रुपये सस्ताः सरकार ने घटाया वैट

अर्थशास्त्र के नोबेल विजेता रिचर्ड थेलर ने किया था नोटबंदी का समर्थन