नई दिल्लीः कल देश के आम बजट में वित्त मंत्री ने रेल बजट के नाम पर जो चंद ऐलान किए उससे रेल बजट को आम बजट में मिलाने के फैसले पर सवाल उठ रहे हैं. रेल बजट में हर साल भारतीय रेल के बीते साल के कामकाज की समीक्षा होती है पर इस बार ऐसा कुछ नहीं हुआ. पिछले साल रेल बजट में रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने ऐलान किया था कि वो रेलवे के सालभर के कामकाज का रिपोर्ट कार्ड पेश करेंगे. पर इस बार वित्त मंत्री अरुण जेटली ने रेल बजट के ऐलान किए और उसमें रेलवे की प्रोग्रेस रिपोर्ट का दूर-दूर तक जिक्र नहीं था.


बजट में इन बातों का जिक्र गायब था जो रेल बजट का अहम हिस्सा होते हैं




  • सबसे पहले बीते साल में रेलवे की वित्तीय हालत कैसी रही और आने वाले साल के लिए रेलवे के खर्च का कोई डिटेल्ड विवरण नहीं था.

  • वित्त वर्ष 2015-16 में रेलवे ने जिन नई ट्रेनों को चलाने की बात की थी उनकी क्या प्रगति रही इसका उत्तर नहीं दिया. पिछले साल रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने तेजस, हमसफर, अंत्योदय, उदय ट्रेनों का लाने का ऐलान किया था पर ये ट्रेनें चलनी शुरू हुई या नहीं इसका जवाब नहीं था.

  • रेलवे का ऑपरेटिंग रेश्यो बढ़ाने की बात हुई लेकिव वित्तीय वर्ष 2015-2016 में रेलवे का ऑपरेटिंग रेश्यो कितना और कैसा रहा इसका ऐलान ना होना हैरान करता है. ऑपरेटिंग रेश्यो यानी रेलवे 1 रुपया कमाने के लिए कितना पैसा खर्च करती है इसका कोई जिक्र ना होने से पता ही नहीं चलेगा कि रेलवे की आर्थिक हालत कितनी बेहतर या बदतर हुई है.

  • रेल बजट में पिछले साल किस मद से कितना पैसा आया और कहां खर्च हुआ इसका कोई जिक्र नहीं था. लिहाजा रेलवे के कामकाज में पारदर्शिता कैसी रहेगी इसको लेकर वित्त मंत्री ने कोई ऐलान नहीं किया है.

  • रेल बजट में नई पटरियां बिछाने, ट्रेन चलाने, नए कोच का ऑर्डर देने से जुड़े ऐलान होते हैं जिनका रेल कंपनियों, लोकोमोटिव कंपनियों को बड़ा इंतजार रहता है. पर इस बार रेल बजट के सबसे बड़े ऐलान नहीं हुए जो इन कंपनियों और रेलवे सेक्टर के लिए बड़ा निराशाजनक है.

  • रेल बजट से पहले रेल कंपनियों के शेयरों में जो उछाल आता है उससे भी रेल कंपनियां महरूम रह गई.


रेल बजट के आम बजट में विलय होने से ये हुए नुकसान
अरुण जेटली ने वित्त वर्ष 2017-18 के लिए रेल बजट आवंटन बढ़ा कर 1 लाख 31 हजार करोड़ रुपये कर दिया जो पिछले साल 1 लाख 21 हजार करोड़ रुपये था. यानी 10 हजार करोड़ रुपये का अतिरिक्ट बजटीय आवंटन. इसमें से रेलवे की बजटीय सहायता 55 हजार करोड़ रुपये की है जो पिछले साल 46 हजार करोड़ रुपये थी.


हर साल रेल बजट में देश के राज्यों को उम्मीद रहती है कि उनके राज्य के लिए कोई खास ऐलान होंगे या किसी नई ट्रेन का ऐलान होगा पर इस बार ऐसा कुछ नहीं हुआ. सिर्फ तीर्थ स्थानों और पर्यटन स्थलों के लिए नई ट्रेनों लाई जाएंगी ऐसा ऐलान किया गया है जो साफ नहीं है कि कब तक लाई जाएंगी.


रेलवे के कामकाज का कोई आंकड़ा इस बार मुहैया नहीं कराया गया जिससे ये पता चला मुश्किल हो गया है कि रेलवे की आर्थिक, कामकाजी ऑपरेशनल स्थिति कैसी है जिसके चलते रेलवे के ऊपर टार्गेट पूरे करने या सही रिपोर्ट पेश करने का दबाव ही खत्म हो गया है जो कुल मिलाकर भारतीय रेलवे के लिए ही मुकसानदेह साबित हो सकता है.


रेल बजट में हुए ये फायदेमंद ऐलान
कल के बजट में रेलवे के लिए 1 लाख करोड़ रुपये का रेलवे सेफ्टी फंड बनाने का ऐलान हुआ जो रेलवे की यात्रा को सुरक्षित बनाने में उपयोगी साबित होगा. वहीं रेलवे के ई-टिकटों पर सर्विस चार्ज खत्म करने से यात्रियों के लिए ऑनलाइन रेलवे टिकट मामूली रूप से सस्ते हुए हैं रेलवे के बजट की अच्छी बात कही जा सकती है. इसके अलावा जो ऐलान हुए हैं वो कमोबेश पिछले रेल बजट का ही विस्तार था जिनसे यात्रियों को कोई खास फायदा नहीं दिखाई दे रहा है.


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