Economic Survey: आज वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इकोनॉमिक सर्वे पेश करने के दौरान मेंटल हेल्थ या मानसिक स्वास्थ्य का जिक्र किया. उन्होंने कहा कि जिंदगी में चुनौतियों का सामना करने के लिए मानसिक स्वास्थ्य का बेहतर होना कितना जरूरी है. संसद में इकोनॉमिक सर्वे पेश करते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि इंसान की बेहतर काम करने की क्षमता उसकी जीवनशैली के साथ ही साथ वर्कप्लेस के माहौल और पारिवारिक परिस्थितियों पर निर्भर करता है.
सोशल मीडिया का मेंटल हेल्थ पर असर
वित्त मंत्री ने कहा कि अगर भारत अपने आर्थिक लक्ष्यों को हासिल करना चाहता है, तो उसे अपनी लाइफस्टाइल को लेकर कम उम्र से ही सचेत होना चाहिए. उन्होंने बताया कि किस तरह से इंटरनेट और सोशल मीडिया के बढ़ते इस्तेमाल से बच्चों और किशोरों में मानसिक स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां बढ़ रही हैं.
वित्त मंत्री ने इस दौरान जोनाथन हैडट की पुस्तक ‘द एंग्जियस जेनरेशन: हाउ द ग्रेट रीवायरिंग ऑफ चिल्ड्रन इज कॉजिंग एन एपिडेमिक ऑफ मेंटल इलनेस’ का जिक्र करते हुए इस बात पर जोर दिया कि आजकल बचपन फोन पर बीत रहा है इसलिए बड़े होने का अनुभव भी बदल रहा है.
अच्छे मानसिक स्वास्थ्य के लिए ये भी जरूरी
इकोनॉमिक सर्वे में इस बात पर भी जोर दिया गया कि आप जहां काम करते हैं वहां का माहौल बेहतर होगा, तो इसका प्रभाव आपके भी मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ेगा. यह भी बताया गया कि जो लोग बहुत कम प्रोसेस्ड या पैकेज्ड जंक फूड खाते हैं, उनका मानसिक स्वास्थ्य उन लोगों से बेहतर होता है जो नियमित रूप से इसका सेवन करते हैं.
सर्वे में व्यायाम की अहमियत पर भी जोर दिया गया. बताया गया कि लोग अधिकतर अपना खाली समय व्यायाम करने या परिवार संग बिताने के बजाय सोशल मीडिया पर बिताते हैं. सोशल मीडिया का जरूरत से ज्यादा इस्तेमाल या डेस्क पर ज्यादा लंबा वक्त बिताने का बुरा असर इंसान के मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ता है.
इस बात पर तुरंत दें ध्यान
सर्वे में बताया गया कि बच्चों के बेहतर मानसिक स्वास्थ्य पर परिवार के सदस्यों और स्कूल के अधिक ध्यान देने की तत्काल आवश्यकता है. बच्चों को घर से बाहर निकलकर खेलने, दोस्तों से मिलने, परिवार के साथ क्वॉलिटी टाइम बिताने के लिए उत्साह देना चाहिए. इससे इन्हें इंटरनेट से दूर रखा जाएगा और इसका बेहतर असर मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ेगा.
ये भी पढ़ें: