नई दिल्ली: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण कल संसद में अपना पहला बजट पेश करने वाली हैं. इससे पहले इस बात की चर्चा तेज हो गई है कि कल के बजट में मोदी सरकार इनहेरिटेंस टैक्स (विरासत टैक्स) को फिर से लागू कर सकती है. अब इसे लेकर जहां कुछ लोग मोदी सरकार का समर्थन कर रहे हैं, तो वहीं कुछ इसके लिए आलोचना भी कर रहे हैं.


क्या है इनहेरिटेंस टैक्स


जब भी कोई इंसान अपनी अगली पीढ़ी को अपनी कुछ कमाई हुई संपत्ति सौंपता है तो इसे विरासत कहा जाता है. इस पर लिए जाने वाले टैक्स को इनहेरिटेंस टैक्स या विरासत कर कहा जाता है. इनहेरिटेंस टैक्स पैतृक संपत्ति के ट्रांसफर पर लिया जाता है. इस टैक्स को सबसे पहले साल 1953 में लागू किया गया था. हालांकि इसे 1985 में खत्म कर दिया गया था.


क्यों खत्म किया गया इनहेरिटेंस टैक्स


1953 में लागू किया गया ये टैक्स अगले 32 साल तक रहा, लेकिन आगे जाकर इसे लेकर इतनी ज्यादा मुकदमेबाजी होने लगी कि इसे खत्म ही कर दिया गया. हालांकि अब जब इसे एक बार फिर से लागू करने पर विचार किया जा रहा है तो विपक्ष में कई लोग इसका विरोध कर रहे हैं. अब देखना दिलचस्प होगा कि अगर ये टैक्स लागू किया जाता है तो मोदी सरकार किस तरह से विपक्ष को भरोसे में लेती है.


इनहेरिटेंस टैक्स को लागू करने की मंशा के पीछे सरकार का तर्क


इनहेरिटेंस टैक्स को लागू करने के पीछे वैसे तो कई कारण बताए जा रहे हैं, लेकिन प्रमुख रूप से माना जा रहा है कि देश में लगातार अमीर और गरीब के बीच बढ़ती हुई खाई जिम्मेदार है. एक रिपोर्ट में बताया गया था कि साल 2017 में भारत में जितना वेल्थ जेनरेट हुआ उसका 73 फीसदी देश के सिर्फ एक फीसदी लोगों के पास ही है, अमीर और गरीब की इस खाई को पाटने के लिए इस टैक्स की फिर शुरुआत की जा सकती है. भारत में भले ही इनहेरिटेंस टैक्स को 1985 में खत्म कर दिया गया हो, लेकिन अमेरिका, ब्रिटेन, जापान और दक्षिण कोरिया जैसे कई विकसित देशों में अभी भी इनहेरिटेंस टैक्स लिया जाता है.


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