MSME Sector: देश में सबसे ज्यादा रोजगार कृषि क्षेत्र में पैदा होता है. इसके बाद दूसरे नंबर पर छोटे एवं मध्यम (MSME) उद्योग आते हैं. अब इन छोटे उद्योगों को बेसब्री से बजट का इंतजार है. उन्हें उम्मीद है कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) अंतरिम बजट 2024 में एमएसएमई सेक्टर को फोकस में रखते हुए योजनाएं लाएंगी.


3 साल में 12 करोड़ से ज्यादा रोजगार पैदा किए 


उद्यम पंजीकरण पोर्टल के अनुसार, एमएसएमई सेक्टर ने 1 जुलाई, 2020 से 1 अगस्त, 2023 के बीच 12.36 करोड़ लोगों को रोजगार उपलब्ध कराया है. एमएसएमई मंत्रालय ने भी इस दौरान कई योजनाएं लागू की हैं. इनके तहत ऋण सहायता, नए उद्यम विकास, फॉर्मलाइजेशन, तकनीकी सहायता, इंफ्रास्ट्रक्चर विकास, कौशल विकास और बाजार सहायता जैसे मुद्दों को कवर किया गया है. जनवरी, 2023 में लॉन्च किया गया उद्यम असिस्ट प्लेटफॉर्म भी इसी दिशा में एक उल्लेखनीय कदम है. 


एमएसएमई सेक्टर को बजट से है बड़ी उम्मीद 


युवा ग्रामीण उद्यमियों के लिए इनोवेशन और आर्थिक सशक्तिकरण को बढ़ावा देने वाले संगठन भारतीय युवा शक्ति ट्रस्ट को भी बजट 2024 का बेसब्री से इंतजार है. ट्रस्ट को उम्मीद है कि इकोनॉमी की बदलती जरूरतों को देखते हुए बजट में सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योगों पर रणनीतिक फोकस रखा जाएगा. भारत अब एक निवेश फ्रेंडली देश के रूप में सामने आ रहा है. एमएसएमई इन अवसरों का लाभ उठाने की स्थिति में है. यदि सरकार गांवों में एमएसएमई सेक्टर पर ध्यान केंद्रित करे तो उन्हें कारोबार को चलाने और डिजिटल युग के हिसाब से खुद को अपडेट रखने में मदद मिलेगी.


डिजिटल भुगतान और ई-कॉमर्स से गांवों को जोड़ा जाए 


भारतीय युवा शक्ति ट्रस्ट द्वारा ग्रामीण एमएसएमई उद्यमियों के बीच एक सर्वे किया.  इसमें उनके सामने टैक्स मैनेजमेंट और फाइलिंग, लागत, समय, न्यूनतम पूंजी निवेश की जानकारी और जीएसटी की सही जानकारी जैसी चुनौतियां आ रही हैं. इसके अलावा बहुत कम ग्रामीण कारोबारी डिजिटल भुगतान के तरीकों को अपना रहे हैं. इसी तरह ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म का लाभ उठाने वालों की संख्या भी सीमित है. 


ग्रामीण कारोबारियों को डिजिटल ट्रेनिंग मिले 


इन चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए सरकार को ग्रामीण उद्यमियों को व्यवसायों की स्थापना और करों के प्रबंधन के बारे में प्रशिक्षण प्रदान करने के प्रयासों को बढ़ाना चाहिए. ग्रामीण कारोबारियों को डिजिटल ट्रेनिंग भी दी जानी चाहिए. गांवों के कारोबार में असीमित क्षमताएं हैं. यदि इन्हें सिस्टम से जोड़ा जाए तो यह देश को जल्द से जल्द दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी इकोनॉमी बना देंगे. इन्हें ब्याज छूट, क्रेडिट लिमिट और मैन्यूफेक्चरिंग माइक्रो यूनिट के लिए कैपिटल सब्सिडी जैसे लाभ पर विचार किया जाना चाहिए.


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