Landmark Budgets: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) एक फरवरी को अपना छठा बजट पेश करने जा रही हैं. चुनावी साल होने के चलते वित्त वर्ष 2024-25 के लिए यह अंतरिम बजट होगा. पूर्ण बजट नई सरकार बनने के बाद आएगा. जनता को इससे कई उम्मीदें हैं. मगर, आज हम आपको देश के 5 ऐसे बजटों से रूबरू कराएंगे, जिन्होंने देश में कई बड़े बदलाव किए. इन सभी बजट ने भारतीय इकोनॉमी की नई दिशा दिखाई थी. आइए एक नजर इन 5 बजटों पर डाल लेते हैं.


टीटी कृष्णमाचारी (1957-58)


डेक्कन हेराल्ड की रिपोर्ट के अनुसार, टीटी कृष्णमाचारी (T T Krishnamachari) ने वित्त वर्ष 1957-58 में टैक्स सुधार लागू किए थे. इसमें लोगों की व्यक्तिगत संपत्तियों पर वेल्थ टैक्स (Wealth Tax) लगाया गया था. यह वेल्थ टैक्स 2015 तक अलग-अलग बदलावों के साथ जारी रहा. इसके बाद इसका अंत हो गया.


मनमोहन सिंह (1991-92)


प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव (P V Narasimha Rao) की सरकार जब आर्थिक संकट में फंसी तो उन्होंने अर्थशास्त्री मनमोहन सिंह (Manmohan Singh) को वित्त मंत्री बनाया. उस समय किसी को भी पता नहीं था कि आगे क्या होने वाला है. मगर, मनमोहन सिंह ने 1991-92 में जो बजट पेश किया उसे आज भी भारतीय इतिहास में एक लैंडमार्क के तौर पर देखा जाता है. पूर्व आरबीआई गवर्नर मनमोहन सिंह ने सुधारों की झड़ी लगा दी. इसके चलते देश गंभीर आर्थिक संकट के चंगुल में फंसने से बच गया. उन्होंने राजनेता की बजाय एक अर्थशास्त्री की तरह फैसले लिए. अपने अनुभवों का इस्तेमाल करते हुए उन्होंने इंम्पोर्ट-एक्सपोर्ट पॉलिसी में आमूलचूल परिवर्तन कर दिए. साथ ही भारतीय बाजार को पूरी दुनिया के लिए खोल दिया. कस्टम ड्यूटी को 220 फीसदी से घटाकर 150 फीसदी कर दिया गया. साथ ही एक्सपोर्ट को बढ़ाने के लिए भी फैसले लिए गए. इसे लाइसेंस राज के खात्मे के तौर पर देखा गया और आर्थिक उदारीकरण की शुरुआत हो गई.


पी चिदंबरम (1997-98)


नरसिम्हा राव सरकार में वित्त मंत्री मनमोहन सिंह के साथी रहे पी चिदंबरम (P Chidambaram) ने 1997-98 में एक और बदलावों वाला बजट पेश किया. इसे वित्तीय विशेषज्ञों ने ड्रीम बजट का दर्जा दिया. इसमें चिदंबरम ने इनकम टैक्स और कॉरपोरेट टैक्स को घटा दिया. इनकम टैक्स की अधिकतम दर को 40 फीसदी से घटाकर 30 फीसदी कर दिया गया. साथ ही कई सरचार्ज भी हटा दिए गए. देश की जनता और उद्योगों ने इस बजट की बहुत सराहना की थी. 


यशवंत सिन्हा (2000-01)


वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा ने अटल बिहारी वाजपेयी (Atal Bihari Vajpayee) सरकार के दौरान पूर्ण बजट पेश किया. इससे पहले चंद्रशेखर सरकार जल्दी गिर जाने की वजह से वह बजट पेश नहीं कर पाए थे. यशवंत सिन्हा के इस बजट को आईटी सेक्टर में क्रांति लाने के लिए जाना जाता है. उन्होंने 21 चीजों पर कस्टम ड्यूटी घटाई थी. इनमें से एक कम्प्यूटर भी था. इसके बाद जो हुआ वह सभी जानते ही हैं. आज भारतीय आईटी सेक्टर का लोहा पूरी दुनिया मानती है. 


अरुण जेटली (2017-18)


देश में रेल बजट को अलग से पेश करने की परंपरा खत्म करने वाले वित्त मंत्री अरुण जेटली (Arun Jaitley) ही थे. वित्त वर्ष 2017-18 से पहले तक रेल मंत्री अलग से रेलवे बजट पेश करते थे और वित्त मंत्री केंद्रीय बजट. मगर, अरुण जेटली ने आम बजट पेश किया. इसके बाद से ही यह परंपरा जारी है.


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