नई दिल्ली: कोरोना काल के चलते होम लोन, एजुकेशन लोन या कार लोन लेने वालों के सामने EMI देने में आ रही दिक्कतों के बीच एक बड़ी राहत की खबर है. देश के सभी प्रमुख बैंक इन दिनों लोन रिस्ट्रक्चरिंग पर काम कर रहे हैं.


सितंबर 2020 के अंत तक विभिन्न बैंक रिटेल लोन जैसे होम लोन, एजुकेशन लोन, कार लोन आदि की EMI चुकाने के लिए ग्राहकों को अलग-अलग विकल्प मुहैय्या करा सकते हैं. इसके तहत आपकी EMI को कुछ महीनों के लिए कम किया जा सकता है या फिर कुछ महीनों के लिए टाला जा सकता है. कुल मिलाकर, आपको लोन की EMI चुकाने में आ रही दिक्कतों से निजात दिलाने के लिए बैंक अलग-अलग तरह की लोन रिस्ट्रक्चरिंग स्कीम लाने वाले हैं.


जानकारों का मानना है कि सितंबर 2020 के अंत तक अलग-अलग बैंक अलग-अलग तरह की लोन रिस्ट्रक्चरिंग स्कीम लाने वालें हैं. इसके चलते रिटेल लोन लेने वाले ग्राहकों को सीधे तौर पर फायदा होगा.


कोरोना के चलते जिन लोगों की सेलरी कम हुई है उनके लिए कुछ ऐसी स्कीम बैंक लेकर आएंगे जिसमें अगले कुछ महीनों तक ग्राहक कम EMI दे सकेंगे. वही जिन लोगों की नौकरी कोरोना के चलते जा चुकी है ऐसे ग्राहकों के लिए कुछ महीनों की ईएमआई में छूट दी जा सकती है.


इस पूरी कवायद का मकसद है कि ग्राहकों के कर्ज एनपीए ना हो और उनका सिबिल स्कोर भी न बिगड़े. इसके लिए बैंक अलग-अलग तरह की स्कीमों पर विचार कर रहे हैं. इन स्कीमों को फाइनल करने के बाद बैंक अपने बोर्ड से मंजूरी लेकर इन स्कीमों को ग्राहकों के लिए लॉन्च कर देंगे.


हालांकि, जिन ग्राहकों ने पहले ही 6 महीने की EMI में मिली छूट का लाभ लिया है, उनके लिए ज़्यादा गुंजाइश बैंकों के पास नहीं होगी. ऐसे ग्राहकों को सिर्फ कुछ महीनों तक EMI न चुकाने के फायदा मिल सकेगा.


वहीं, दूसरी तरफ जो ग्राहक होम लोन रिस्ट्रक्चरिंग करवाना चाहेंगे, उन्हें 0.2-0.3% तक अधिक ब्याज बची हुई अवधि के लिए चुकाना पड़ सकता है.


सभी प्रकार के रिटेल लोन जैसे होम लोन, एजुकेशन लोन, कार लोन या टू व्हीलर लोन के लिए सभी बैंक अपनी अलग-अलग स्कीमें तैयार कर रहे हैं. वहीं, दूसरी तरफ कॉर्पोरेट लोन रिस्ट्रक्चरिंग के लिए के वी कामथ कमेटी की सिफारिशों के आधार पर अलग स्कीम तैयार होगी.


जानकारों का मानना है कि के वी कामत कमेटी भी सितंबर मध्य तक अपनी सिफारिशें आरबीआई को दे देगी. यह कमेटी कॉरपोरेट लोन रिस्ट्रक्चरिंग को लेकर अपनी सिफारिशें देगी.


इस कमेटी की सिफारिशों को आरबीआई की मंजूरी मिलने के बाद सभी बैंकों को लागू करना होगा. यह कमेटी सिर्फ कॉरपोरेट लोन रिस्ट्रक्चरिंग पर ही अपनी सिफारिशें देगी. रिटेल लोन को लेकर सभी बैंक अपनी अपनी अलग-अलग योजनाएं लेकर आएंगे. कामत कमेटी मुख्य तौर पर सिर्फ कॉरपोरेट लोन से संबंधित ही अपनी सिफारिशें देगी.


लोन रिस्ट्रक्चरिंग की इस पूरी कवायद का मकसद है कि ग्राहकों और कंपनियों को राहत दी जाए जिससे अर्थव्यवस्था के पहिये को जल्द से जल्द दोबारा पटरी पर लाया जा सके.
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