AWL Q1 Results: विल्मर लिमिटेड (Adani Wilmar Limited) चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में शानदार प्रदर्शन किया है. मंगलवार को जारी अपने नतीजे में कंपनी ने बताया कि अप्रैल-जून की तिमाही में 17,059 करोड़ रुपये का रेवेन्यू दर्ज किया गया, जो पिछले साल की इसी तिमाही के मुकाबले 21 परसेंट ज्यादा है. 

Continues below advertisement

एडिबल ऑयल बिजनेस ने पकड़ी रफ्तार

कंपनी ने यह ग्रोथ मुख्य रूप से अपने एडिबल ऑयल बिजनेस के चलते हासिल किया, जिसमें पिछले साल के मुकाबले 26 परसेंट तक का उछाल आया है. अकेले इस सेगमेंट का रेवेन्यू 13,415 करोड़ रुपये, जो टोटल रेवेन्यू का 78.6 परसेंट है और कंपनी की कुल बिक्री में भी इस सेगमेंट की हिस्सेदारी 61 परसेंट है. 

फूड और FMCG बिजनेस में भी आई तेजी

अडानी ग्रुप के फूड और FMCG बिजनेस का रेवेन्यू 4 परसेंट की उछाल के साथ 1,414 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है. हालांकि, रेवेन्यू में इस सेगमेंट का योगदान सिर्फ 8 परसेंट ही है, लेकिन कुल बिक्री में इसका योगदान 16 परसेंट रहा. कंपनी ने इस तिमाही में इस सेगमेंट के कुछ प्रोडक्ट्स की कीमतें बढ़ाई, जिससे ग्रोथ को सपोर्ट मिला. कंपनी का इंडस्ट्री एसेंशियल्स बिजनेस भी 12 परसेंट तक बढ़ा है, जिसका टोटल रेवेन्यू में भी 12 परसेंट का ही कंट्रीब्यूशन रहा. इस सेगमेंट में कंपनी डी-ऑयल्ड केक और कैस्टर ऑयल जैसे प्रोडक्ट्स बनाती है.

Continues below advertisement

इस रणनीति को अपना रही कंपनी 

विल्मर लिमिटेड अपने एडिबल ऑयल बिजनेस से मिलने वाले कैश फ्लो का इस्तेमाल अपने फूड और FMCG बिजनेस का दायरा बढ़ाने में कर रही है. यह रणनीति काफी हद तक आईटीसी के समान है, जो अपने सिगरेट बिजनेस से होने वाले मुनाफे का इस्तेमाल अपने FMCG के कारोबार को आगे बढ़ाने में कर रही है. अकेले खाद्य तेल सेगमेंट से कंपनी को सालाना 1,200 से 1,500 करोड़ रुपये का कैश फ्लो मिलता है, जिससे कई नई दूसरी कैटेगरीज में निवेश को बढ़ावा मिल रहा है. 

रिटेल कवरेज को बढ़ा रही कंपनी 

मार्केट में अपनी पहुंच को और मजबूत बनाने के लिए AWL ने अपने रिटेल कवरेज को 18 परसेंट बढ़ाकर 8.7 लाख आउटलेट्स तक पहुंचाया है, जिसमें लगभग 55,000 ग्रामीण कस्बे शामिल हैं. यह वित्त वर्ष 2022 से दस गुना ज्यादा है. मजबूत रेवेन्यू के बावजूद कंपनी का नेट प्रॉफिट घटकर घटकर 238 करोड़ रुपये रह गया, जिसका मुख्य कारण कच्चे माल की बढ़ी हुई लागत थी.

बिक्री की गई वस्तुओं की लागत (COGS) में 25 परसेंट का उछाल आया है, जो रेवेन्यू ग्रोथ से कहीं ज्यादा है. हालांकि, पिछले तीन महीनों में कच्चे माल की कीमतों में 10 परसेंट से अधिक की गिरावट आई है और आने वाली तिमाहियों में कंपनी के प्रॉफिट में इसका असर देखने को मिल सकता है. 

मंगलवार को AWL का स्टॉक 263 रुपये प्रति शेयर पर बंद हुआ, जो पिछले 12 महीनों की कमाई के 30 गुना पर कारोबार कर रहा है. यह पिछले तीन साल में इसका सबसे कम वैल्यूएशन है. 

 

ये भी पढ़ें: 

क्रैश हुआ टाटा ग्रुप का यह शेयर, घबराहट के कारण निवेशकों में बेचने की होड़; कहीं आपने तो नहीं लगाया दांव?