Anand Mahindra Share First EV Story: फेमस कारोबारी और महिंद्रा ग्रुप के चेयरमैन आनंद महिंद्रा अक्सर अपने पोस्ट की वजह से सोशल मीडिया पर चर्चा में बने रहते हैं. अक्सर वे अपने पोस्ट के माध्यम से बिजनेस, फाइनेंस और लाइफ के बारे में सीख देते रहते हैं. साथ ही कई बाद दिलचस्प किस्सा भी शेयर करते हैं. 


अभी हाल ही में विश्व ईवी दिवस के दिन दिग्गज उद्योगपति ने महिंद्रा ग्रुप की पहली ईवी को लेकर एक रोचक स्टोरी शेयर की है. महिंद्रा समूह के द्वारा बनाए गए पहले थ्री ​व्हीलर ईवी के बारे में बताते हुए आनंद महिंद्रा कहते हैं कि काफी समय पहले ही आ चुका था, लेकिन मांग नहीं होने के कारण ये ज्यादा समय तक नहीं रुक सका. 


किसने बनाई थी महिंद्रा ग्रुप की पहली ईवी 


महिंद्रा ने कहा कि बिजली से चलने वाले वाहन को कंपनी के दिग्गज नागरकर ने अपने रिटायरमेंट से पहले बनाया था, लेकिन तिपहिया वाहन भारतीय बाजार में अपनी जगह नहीं बना सका और उत्पादन में जाने के बाद वाहन को कुछ समय के लिए अलविदा कह दिया गया. 


एक्स प्लेटफॉर्म पर स्टोरी शेयर करते हुए आनंद महिंद्रा ने आज वर्ल्ड ईवी डे है और इसने मुझे अतीत में वापस धकेल दिया है. उन्होंने कहा कि 1999 में @MahindraRise के दिग्गज नागरकर ने हमारी पहली EV- 3 व्हीलर BIJLEE बनाई. रिटायरमेंट से पहले यह उनका उपहार था... मैं उनके शब्द कभी नहीं भू​लूंगा. 



क्यों मार्केट में जगह नहीं पाई महिंद्रा की पहली ईवी 


आनंद महिंद्रा ने बताया कि बिजली ईवी अपने समय से बहुत आगे थी. इस कारण वह मार्केट में ज्यादा समय तक नहीं रह पाई. उन्होंने कहा कि इस कारण उत्पादन के कुछ सालों के बाद हमने इसे अलविदा कह दिया. आनंद महिंद्रा ने कहा कि ये कहानी हमे प्रेरित करती रहती है और हम इसे और बढ़ाने पर फोकस करते रहेंगे. 


बिजली को वापस लाने की अपील 


महिंद्रा के द्वारा ये स्टोरी शेयर करने के बाद लोगों ने कई तरह की प्रतिक्रिया दी. कुछ लोगों ने तो इसे वापस लाने तक की अपील कर डाली. वहीं कुछ ने विदेशी कंपनियों टेस्ला और बीवाईडी के खिलाफ नए प्रोडक्ट पेश करने की सलाह दी. 


जवान को लेकर भी किया था पोस्ट 


महिंद्रा ने बॉलीवुड एक्टर शाहरुख खान की नई फिल्म जवान की सफलता के बाद उन्हें 'प्राकृतिक संसाधन' घोषित करने की भी अपील की थी. अपने मजाकिया राय शेयर करते हुए उन्होंने कहा कि सभी देश अपने प्राकृतिक खनिज संसाधनों की रक्षा करते हैं और उनका खनन करते हैं और आमतौर पर विदेशी मुद्रा कमाने के लिए उनका निर्यात करते हैं. शायद अब शाहरुख खान को प्राकृतिक संसाधन घोषित करने का वक्त आ चुका है. 


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