नई दिल्ली: ऑनलाइन डिलीवरी कंपनी अमेजन ने अब भारत के रिटेल मार्केट में भी अपने पैर जमाने शुरू कर दिए हैं. पिछले दिनों अमेजन ने आदित्य बिड़ला रिटेल ग्रुप से संबंधित 523 सुपरमार्केट और 20 हाइपरमार्केट का अधिग्रहण कर लिया था. जल्द ही अमेरिका की ये ऑनलाइन कंपनी फल व सब्जी की भी डिलीवरी करते नजर आ सकती है. अमेजन ने इस मुद्दे पर कोई आधिकारिक बयान तो नहीं दिया पर माना जा रहा है इस लेन देन का मूल्य करीब 4,200 करोड़ रुपये के आसपास था. ये अधिग्रहण समारा कैपिटल की विट्जिग सलाहकार सेवाओं के जरिए किया गया था, जिसमें अमेजन भी एक शेयरधारक है.
अमेजन अपने सेवाओं के पोर्टफोलियो बढ़ाना चाहता है
मीडिया से आधिकारिक बयान में, अमेजन ने कहा "इस निवेश के माध्यम से, अमेजन अपने सेवाओं के पोर्टफोलियो को बढ़ाने और अर्थपूर्ण रूप से कौशल विकास और नौकरी निर्माण के अवसरों में निवेश करने का प्रयास कर रहा है. लेकिन इसका यह मतलब नहीं है कि हमें भारत में अमेजन ब्रांडेड स्टोर्स की उम्मीद करनी चाहिए. कंपनी उस दिशा में कुछ 'प्रयोग' चला रही है, अमेजन किराना व्यवसाय में मजबूत भूमिका निभाना चाहता है. भारत, एक ऐसा क्षेत्र जहां ज्यादातर कंपनियों ने अभी तक इस क्षेत्र में सीमित सफलता ही अर्जित की है."
पहले भी की जा चुकी हैं इस तरह की कोशिशें
शुरुआत में, भारत में ई-कॉमर्स के दायरों में किताबें, मोबाइल फोन (और अन्य छोटे इलेक्ट्रॉनिक्स) के लाए गए थे. धीरे-धीरे इनका दायरा बढ़ने लगा जिसने फ्लिपकार्ट और स्नैपडील जैसी कंपनियों को यहां आकर्षित किया. उसके बाद, कई कंपनियों ने भारत में किराने की डिलीवरी में निवेश करने की कोशिश की लेकिन उन्हें कोई खास सफलता नहीं मिली. हालांकि 2016 के मध्य तक, स्पष्ट मंदी थी जिससे इस क्षेत्र में अधिकतर कंपनियों का हौसला टूट गया. इस समय फ्लिपकार्ट ने फ्लिपकार्ट पासपोर्ट नामक एक लोकल डिलीवरी सेवा भी लॉन्च की पर इसे जल्दी ही बंद करना पड़ा था.
बिगबास्केट, ग्रोफर्स और अमेजन जैसी कंपनियां उन ग्राहकों को मिलीं जो लंबी लाइनों से निपटना नहीं चाहते थे, भले ही इसके लिए कभी-कभी थोड़ा अधिक कीमतों का भुगतान करना पड़े. 2016 में, अमेजन ने अमेजन नाउ (जिसे अब प्राइम नाउ कहा जाता है) नाम से दो घंटे में डिलीवरी सेवा शुरू की थी. हालांकि कंपनी ने इसके आंकड़े जारी नहीं किए हैं कि इस सेक्टर में उसके कितने ग्राहक हैं.
फुटकर बिक्रेताओं पर पड़ सकता है नकारात्मक असर
हालांकि इन कंपनियों के इन क्षेत्रों में आने से खुदरा कारोबारियों पर क्या प्रभाव पड़ेगा इसे बताना अभी मुश्किल है. लेकिन बाजर के फुटकर बिक्रेताओं में इन्हे लेकर एक डर का माहौल नजर आता है. इन ग्राहकों का मानना है कि अगर एक दिन भी उनका कारोबार रुक जाता है तो उन्हें अगले दिन के लिए कर्ज लेना होता है. अगर इस तरह की कंपनियां बजार में आती हैं तो उनके लिए काफी मुश्किल हो जाएगी.
बेंगलुरू के एक सब्जी विक्रेता मंजुनाथ ने कहा कि उनकी रोजाना आय लगभग 2,000 रुपये है, मंजुनाथ ने समझाया कि अगर किसी दिन बारिश होती है और लोग सब्जियां खरीदने के लिए बाहर नहीं आते हैं तो हमें अगले दिन के लिए कर्ज लेना पड़ता है. इस तरह की कंपनियों के आने के बाद हमें काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा. यह भी देखें