Go First Crisis: भारतीय एविएशन सेक्टर में इस समय भारी अनिश्चितता का माहौल है. आर्थिक संकट से जूझ रही बजट एयरलाइंस कंपनी गो फर्स्ट (Go First) की मुश्किलें फिलहाल कम होती नहीं दिख रही है. कंपनी ने अपनी सभी फ्लाइट्स के ऑपरेशन को 9 मई, 2023 तक के लिए रद्द कर दिया है. इससे पहले गो फर्स्ट ने खुद को दिवालिया घोषित करने के लिए वॉलंटरी इनसॉल्वेंसी प्रोसीडिंग्स के लिए NCLT के पास आवेदन किया है. इस मामले में अभी NCLT ने अपना फैसला सुरक्षित रखा है. ऐसे में यह पहली बार नहीं है जब कोई भारतीय विमानन कंपनी मुश्किल में है. इससे पहले दो और बड़ी एयरलाइंस कंपनियां भी डूब चुकी हैं.


गो फर्स्ट के अलावा इन कंपनियों का भी निकला दिवाला!


कुल 11 साल की अवधि में दो और दिग्गज एयरलाइन कंपनी भी डूब चुकी है. यह है किंगफिशर एयरलाइंस (Kingfisher Airlines) और जेट एयरवेज (Jet Airways). भारतीय एविएशन सेक्टर को बहुत चुनौतीपूर्ण माना जाता है. इससे पहले एयर इंडिया भी बहुत मुश्किल दौर से गुजर रही था. अगर टाटा ग्रुप ने कंपनी को न खरीदा होता तो यह भी आने वाले वक्त में डूब सकती थी. टाटा के एयर इंडिया टेकओवर के बाद से ही एयरलाइंस में कई बड़े बदलाव किए जा रहे हैं. घरेलू के साथ ही इंटरनेशनल बाजार में अपना दबदबा बढ़ाने और एयरलाइंस की संख्या में इजाफा करने के लिए एयर इंडिया ने एविएशन इतिहास का सबसे बड़ा एयरक्राफ्ट का ऑर्डर दिया है. कंपनी ने बोइंग और एयरबस को कुल 470 विमान का ऑर्डर दिया है.


कैसे डूब गई किंगफिशर एयरलाइंस?


विजय माल्या की विमानन कंपनी किंगफिशर एयरलाइंस को साल 2003 में शुरू किया गया था. कुछ ही दिनों में यह कंपनी इकोनॉमी क्लास के लिए बड़ी कंपनी के रूप में उभरी. साल 2011 तक इस कंपनी की घरेलू मार्केट में दूसरी सबसे बड़ी हिस्सेदारी हो गई थी. साल 2008 में किंगफिशर एयरलाइंस ने डेक्कन एयर को खरीद लिया. इसके बाद से ही कंपनी के ऊपर बोझ बढ़ता चला गया. कर्ज ज्यादा बढ़ने के बाद साल 2012 में कंपनी के एयरलाइंस लाइसेंस को कैंसिल कर दिया गया. इसके बाद साल 2014 में इसे दिवालिया घोषित कर दिया गया था.


कैसे डूब गई जेट एयरवेज


जेट एयरवेज की शुरुआत साल 1992 में हुई थी. साल 2006 में कंपनी ने एयर सहारा का अधिग्रहण करने के बाद पहली बार अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी उतरी. यह फैसला कंपनी का गलत साबित हुआ. साल 2012 तक इंडिगो ने सस्ती हवाई सेवा देकर जेट एयरवेज के बड़े मार्केट शेयर पर कब्जा कर लिया. दिसंबर 2018 तक कंपनी के कुल 124 एयरक्राफ्ट में से केवल 3 से 4 ही संचालित हो रहे थे. इसके बाद कंपनी ने अप्रैल 2019 में खुद को दिवालिया घोषित कर दिया.


गो फर्स्ट के भी हैं बुरे हालात


वाडिया ग्रुप (Wadia Group) की एयरलाइंस गो फर्स्ट बुरे आर्थिक हालात से गुजर रही है. वाडिया ग्रुप की एयरलाइन ने खुद को दिवालिया घोषित करने की भी मांग की है. कंपनी ने अपने दिवालिया फाइलिंग में जानकारी दी है कि उसके ऊपर कुल 6,521 करोड़ रुपये का कर्ज है जिसे चुकाने वह नाकाम रही है. साल 2005 में गो फर्स्ट एयर ने एविएशन सेक्टर में कदम रखा था.


कंपनी के प्रमोटरों ने इसपर कुल 3,200 करोड़ रुपये खर्च किए थे. इसके बाद भी कंपनी को वर्तमान में तगड़ा नुकसान हो रहा है. कंपनी ने अपनी नुकसान के लिए अमेरिकन कंपनी प्रैट एंड व्हिटनी को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा है कि कंपनी की खराब इंजनों के कारण गो फर्स्ट एयर के आधे से ज्यादा प्लेन उड़ान नहीं भर पा रहे थे. इससे कंपनी को भारी नुकसान हो रहा था. मगर प्रैट एंड व्हिटनी ने इस मामले में गो फर्स्ट के सभी आरोपों को सिरे से नकार दिया है.


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