AI Can Create Economic Disparity: आईटी के क्षेत्र में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (Artificial Intelligence) को नई क्रांति के तौर पर देखा जा रहा है. लेकिन यूनिवर्सिटी ऑफ टोरंटो के प्रोफेसर और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के गॉडफादर माने जाने वाले जेफ्री हिंटन (Geoffrey Hinton) खुद ही इसके खतरे को लेकर दुनिया को अब आगाह कर रहे हैं. उन्होंने चैटजीपीटी (ChatGPT) और बिंग चैट ( Bing Chat) जैसे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के बढ़ते प्रभाव को लेकर दुनियाभर की सरकारों को चेतावनी देते हुए कहा, हमें इस पर कंट्रोल करने की जरुरत है. 


कनाडा में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के खतरों को लेकर कोलिजन टेक कॉफ्रेंस में बोलते हुए जेफ्री हिंटन ने कहा कि मौजूदा समय में 99 लोग बेहतर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस बनाने में काम कर रहे हैं जबकि एक स्मार्ट व्यक्ति इसे रोकने के तौर तरीकों पर काम कर रहा है. उन्होंने कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से आने वाले खतरों से सावधान रहने की जरुरत है. 


हिंटन ने बड़े लैंग्वेज मॉडल OpenAI GPT-4 के खतरों पर चिंता जाहिर करते हुए कहा कि इससे उत्पादकता बढ़ेगी. लेकिन इसका दुरुपयोग बढ़ने का खतरा है. इसके चलते लोग खुद को और अधिक धनी बनाने की कोशिश करेंगे जिससे आर्थिक और सामाजिक असामनता में भारी बढ़ोतरी देखी जा सकती है. जेफ्री हिंटन ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से खतरों के प्रति जागरुकता फैलाने के लिए गूगल को छोड़ा है. 


आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की चुनौतियों को लेकर लगातार आगाह किया जा रहा है. पिछले दिनों अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष की फर्स्ट डिप्टी मैनेजिंग डायरेक्टर गीता गोपीनाथ ( Geeta Gopinath) ने आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस से नौकरियों पर पड़ने वाले असर को लेकर चिंता जाहिर की थी. उन्होंने कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के चलते लेबर मार्केट में समस्या खड़ी हो सकती है. उन्होंने सरकारों से इस टेक्नोलॉजी को नियंत्रित करने के लिए जल्द नियम बनाने की अपील की थी. 


आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस पर अपनी एक रिपोर्ट में गोल्डमन सॉक्स (Goldman Sachs) ने कहा था कि इसके चलते 30 करोड़ फुलटाइम जॉब्स पर खतरा पैदा हो सकता है. पीडब्ल्युसी (PWC) ने भी अपने एनुअल ग्लोबल वर्कफोर्स सर्वे में कहा था कि कई लोगों का मानना है कि अगले तीन वर्षों में नई टेक्नोलॉजी उनकी जगह ले सकता है. टेक्नोलॉजी से जुड़ी कई कंपनियां रूटीन जॉब्स को आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के साथ बदलने पर विचार कर रही हैं. बोस्टन कंसल्टिंग ग्रुप के ग्लोबल लेवल पर सर्वे में शामिल 36 फीसदी लोगों ने कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के चलते उनकी नौकरी जा सकती है.


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