नई दिल्लीः आयकर रिटर्न नहीं दाखिल करने वालों के खिलाफ सख्ती के अच्छे नतीजे देखने को मिले हैं. वित्त मंत्रालय का दावा है कि पांच सालों में रिटर्न नहीं दाखिल करने वाले करीब ढ़ाई करोड़ लोगों की पहचान की गयी जिसमें से करीब पौने दो करोड़ लोगों ने रिटर्न दाखिल कर दिया है. इनके जरिए 26 हजार करोड़ रुपये से भी ज्यादा की टैक्स वसूली हो सकी.


आयकर विभाग ने एक ऐसी व्यवस्था कर रखी है जिसके जरिए उन लोगों की पहचान होती है जिन्हे आयकर रिटर्न दाखिल करना होता है, लेकिन वो दाखिल नहीं करते. इस व्यवस्था को Non-Filer Monitoring System (NMS) यानी एनएमसी कहते हैं. ये व्यवस्था विभिन्न माध्यमों जैसे बड़े लेन-देन, टीडीएस (Tax Deduction at Source), टीसीएस (Tax Collection at Source) के अलावा अपराधों की पड़ताल के आधार पर रिटर्न नहीं दाखिल करने वालों की पड़ताल करती है. चूंकि दो साल से ज्यादा के लेन-देन और जमीन-जायदाद, शेयर, बांड, बीमा वगैरह में पैन बताना जरुरी किए जाने की वजह से भी मोटा खर्च करने वालों का पता चल जाता है. इन सब के आधार पर रिटर्न नहीं दाखिल करने वालों की पहचान की जाती है, फिर विभिन्न माध्यमों से उन्हे रिटर्न दाखिल करने को कहा जाता है.


आयकर विभाग के मुताबिक, अब तक छह बार रिटर्न दाखिल नहीं करने वालों की पहचान की गयी और 2013 से 2017 के बीच कुल मिलाकर 2.39 करोड़ लोगों से संपर्क साधा गया. 31 दिसंबर 2017 तक कुल मिलाकर ऐसे 1.72 करोड़ लोगों ने रिटर्न दाखिल कर दिए. यही नहीं खुद के आंकलन (Self Assessment Tax) के आधार पर 26 हजार 425 करोड़ रुपये टैक्स भी जमा कर दिए. ध्यान देने की बात ये है कि केवल उन्ही के लिए रिटर्न भरना जरुरी नहीं होता जिनकी सालाना आमदनी ढ़ाई लाख रुपये से ज्यादा है, बल्कि उन्हे भी रिटर्न दाखिल करना चाहिए जिनकी आमदनी टैक्स योग्य आमदनी के दायरे में नहीं आती, लेकिन टीडीएस या टीसीएस के जरिए अगर कहीं टैक्स काट लिया गया हो तो वो उसका रिफंड हासिल कर सकें.


आयकर विभाग ने ये भी जानकारी दी कि 2017-18 के लिए 1.25 करोड़ नए रिटर्न भरने वालों को शामिल करने का लक्ष्य है. 31 दिसंबर तक इसमें 63.86 लाख लोग जुड़ चुके हैं. गौर करने की बात ये है कि मोदी सरकार के पहले दो साल के दौरान आयकर समेत प्रत्यक्ष कर चुकाने वालों की संख्या करीब 55 लाख बढ़ी. इसमें व्यक्तिगत आयकरदाताओं की संख्या ही 53 लाख रही.


प्रत्यक्ष कर (डायरेक्ट टैक्स) में व्यक्तिगत आयकर यानी पर्सनल इनकम टैक्स के अलावा निगम कर यानी कॉरपोरेट टैक्स मुख्य रुप से शामिल होते हैं. तकनीकी तौर पर ऐसे करदाताओं को असेसी कह कर पुकारा जाता है. नियमों के मुताबिक, असेसी को हर वित्त वर्ष के दौरान हुई कमाई का ब्यौरा अगले वित्त वर्ष में तय तारीख तक देना होता है. वित्त वर्ष के अगले वर्ष को असेसमेंट इयर कहा जाता है. दूसरे शब्दों में कहें तो यदि आप वेतनभोगी है तो 31 मार्च 2018 को खत्म होने वाले वित्त वर्ष यानी 2017-18 के दौरान हुई कमाई का ब्यौरा अगले वित्त वर्ष यानी 2018-19 के दौरान 31 जुलाई तक जमा कराना होगा. यहां 2018-19 असेसमेंट इयर कहा जाएगा.


आयकर विभाग की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक, असेसमेंट इयर 2014-15 (वित्त वर्ष 2013-14) के अंत में डायरेक्ट टैक्स असेसी की संख्या 5.72 करोड़ से ज्यादा थी जो असेसमेंट इयर 2016-17 (वित्त वर्ष 2015-16) के अंत में 6.27 करोड़ के करीब पहुंच गयी. वैसे उम्मीद है कि इसमें और ब़ढ़ोतरी होगी, क्योंकि असेसमेंट इयर 2016-17 के लिए कुछ शर्तों के साथ 31 मार्च 2018 तक रिटर्न दाखिल किया जा सकता है.


सरकार का पीपीएफ एक्ट को खत्म करने का प्रस्तावः आम लोगों को लगेगा झटका



बिटकॉइन लेन-देन करने वाले ऑपरेटर्स पर सरकार सख्त, समिति गठित