अनियमित दिनचर्या और खानपान में बदलाव के कारण आज अधिकांश लोग मोटापे के शिकार हो रहे हैं. यहां तक कि कम उम्र में भी लोग आजकल मोटापे के कारण गंभीर बीमारियों के शिकार हो रहे हैं. इंदौर स्थित कोकिलाबेन धीरूभाई अंबानी हॉस्पिटल के कंसल्टेंट जीआई लेप्रोस्कोपिक एंड रोबोटिक सर्जन डॉ. प्रतीक पोरवाल के मुताबिक, बढ़ते वजन के कारण शरीर के कई अंगों पर दबाव बढ़ता है और कई गंभीर बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है. मोटापे के कारण गंभीर परिणाम श्वसन प्रणाली, पाचन तंत्र, हृदय प्रणाली, मानसिक स्वास्थ्य, प्रजनन प्रणाली के साथ-साथ हार्मोन पर भी हो सकता है. 


स्ट्रोक का खतरा


बढ़ते मोटापे के कारण शरीर में ब्लड सर्कुलेशन प्रभावित होता है. मोटापे के कारण यदि मस्तिष्क में रक्त प्रवाह बाधित होता है तो इससे स्ट्रोक का खतरा भी बढ़ जाता है. इसके अलावा शरीर में नर्वस सिस्टम से जुड़ी परेशानियां हो सकती है. शरीर में न्यूरोलॉजिकल समस्या बढ़ सकती है. बढ़ते मोटापे के कारण यदि गर्दन के आसपास चर्बी जमा होती है तो इस कारण से वायु मार्ग छोटा हो सकता है. ऐसी स्थिति में मरीज को रात में सोते समय सांस लेने में परेशानी हो सकती है. इससे स्लीप एप्निया की समस्या हो सकती है. 


पाचन से जुड़ी दिक्कतें


मोटापे के कारण गैस्ट्रोओसोफेगल रिफ्लक्स (GERD) का जोखिम भी बढ़ जाता है. यह समस्या तब होती है, जब पेट में एसिड लेवल असंतुलित हो जाता है. इसके अलावा मोटापे के कारण पित्ताशय की पथरी का खतरा भी बढ़ जाता है. वहीं मोटापे के कारण जब वसा लिवर के आसपास जमा होती है तो इससे लिवर को नुकसान हो सकता है एवं फैटी लिवर / लिवर सिरोसिस जैसी बीमारियाँ हो सकती है. लीवर हमारे शरीर का पावर हाउस कहलाता है. बढ़ते मोटापे के कारण लिवर यदि ठीक से काम नहीं करता है तो व्यक्ति को थकान महसूस हो सकती है. 



बढ़ सकता है हार्ट अटैक का खतरा


मोटापे के कारण शरीर का ब्लड सर्कुलेशन प्रभावित होता है. हाई बीपी या हाइपरटेंशन के कारण हार्ट से संबंधित समस्या हो सकती है. जिन लोगों को मोटापे की समस्या होती है, उन्हें हार्ट से जुड़ी हुई परेशानियों का ज्यादा सामना करना पड़ता है. 


डायबिटीज की समस्या 


मोटापा शरीर में इंसुलिन के निर्माण को भी प्रभावित करता है. मोटापे के कारण पैंक्रियाज ग्रंथि पर दबाव बढ़ता है. इंसुलिन हार्मोन न बढ़ने से डायबिटीज की समस्या हो जाती है और शरीर में शुगर लेवल बढ़ने लगता है. डायबिटीज भी कई अन्य बीमारियों का कारण बढ़ सकती है. मोटापे के कारण महिलाओं में टेस्टोस्टेरोन के स्तर में कमी से गर्भावस्था के दौरान भी कई परेशानियां हो सकती है. इसके अलावा मोटापे के कारण हड्डियों से जुड़ी समस्या जैसे ऑस्टियोपोरोसिस, कमर दर्द, जोड़ों में दर्द भी होता है. मोटापा अवसाद व मानसिक स्वास्थ्य पर भी बुरा असर डालता है.


मोटापे के कारण महिलाओं में पीसीओडी (पॉली सिस्टिक ओवेरियन डिजीस) की समस्या बड़ी है, एवं यह 70 से 80 % महिलाओं में बांझपन का एक मुख्य कारण है.


प्रतिरोध एवं निवारण:
मोटापा से बचाव और निवारण के लिए सकारात्मक कदम उठाना अत्यंत महत्वपूर्ण है. स्वस्थ आहार, नियमित व्यायाम और स्वस्थ जीवनशैली को अपनाना युवा पीढ़ी को मोटापे से बचाव में मदद कर सकता है. मोटापा बढ़ने के साथ ही कई लोगों में इन्फर्टिलिटी की समस्या भी देखी जा रही है. महिलाओं में वजन बढ़ोतरी के साथ ही हार्मोनल बदलाव होने लगते हैं जिसकी वजह से उनमें इन्फर्टिलिटी की समस्या देखने को मिल रही है. 


नींद की समस्या आजकल की लाइफस्टाइल में एक आम समस्या बन गई है लेकिन नींद न आने की समस्या की समस्या मोटापा बढने के कारण भी हो रही है. अच्छी नींद अच्छी सेहत के लिए जरुरी है लेकिन वजन बढ़ने के साथ ही नींद की समस्या बढ़ सकती है जिसे स्लीप एप्निया कहते हैं. वजन बढ़ना आज बहुत ही आम समस्या है लेकिन इसकी गंभीरता को समझना उससे भी ज्यादा जरुरी है. यदि इसके साइड इफेक्ट्स को समझ पाएंगे तभी वजन कम करने की ओर ध्यान दे पाएंगे, जो हमें आगे होने वाली परेशानियों से बचाने में मददगार हो सकेंगे.


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