इंग्लैंड और न्यूज़ीलैंड का मैच दरअसल पचासवें ओवर में ही शुरु और खत्म होता है. इंग्लैंड की टीम के सामने जीत के लिए 242 रनों का लक्ष्य था. भारतीय फैंस को लग रहा था जैसे वो सेमीफाइनल का ऐक्शन रीप्ले देख रहे हों. सेमीफाइनल में न्यूज़ीलैंड ने भारत को 240 रन के लक्ष्य पर फंसाया था और फाइनल में उसने इंग्लैंड को 242 रनों का लक्ष्य दिया था. इंग्लैंड के मिडिल ऑर्डर के लड़खड़ाने के बाद बेन स्टोक्स ने एक छोर संभाला. वो मैच को आखिरी ओवर तक लेकर गए.


आखिरी ओवर में इंग्लैंड की टीम को जीत के लिए 15 रन चाहिए थे. विकेट के एक छोर पर बेन स्टोक्स खुद थे और दूसरी तरफ थे-आदिल रशीद. बेन स्टोक्स जानते थे कि मैच जीतने के लिए उन्हें बड़े शॉट्स खेलने होंगे. इसी इरादे से उन्होंने आखिरी ओवर की पहली दोनों गेंदों पर रन नहीं लिया. पहली दोनों गेंदों पर वो एक –एक रन आराम से ले सकते थे. रन ना लेने की वजह से नया लक्ष्य था 4 गेंद पर 15 रन. बेन स्टोक्स पर जबरदस्त दबाव था. अगर वो नाकाम रहते तो बाद में पहली दो गेंदों पर रन ना लेने का मुद्दा बड़ा बनता. खैर, तीसरी गेंद पर बेन स्टोक्स ने छक्का लगाया. अब 3 गेंद पर 9 रन चाहिए था. अगली गेंद पर ओवरथ्रो के चलते इंग्लैंड को 6 रन और मिल गए. इसके बाद 2 गेंद पर 3 रन का लक्ष्य मिला. अगली दोनों गेंदों पर दूसरा रन लेने की कोशिश में इंग्लैंड के बल्लेबाज आउट हुए लेकिन बेन स्टोक्स ने मैच को उस जगह पर ला दिया जहां से मुकाबला सुपरओवर में पहुंच गया. इसके बाद भी ऐसा लगा कि कहीं बेन स्टोक्स एक बार फिर विलेन तो नहीं बन जाएंगे.

2016 टी-20 फाइनल के बाद विलेन बने थे बेन स्टोक्स
इंग्लिश फैंस के साथ साथ बेन स्टोक्स के जेहन में 2016 का टी-20 विश्व कप फाइनल जरूर रहा होगा. 2016 टी-20 विश्व कप का फाइनल कोलकाता में इंग्लैंड और वेस्टइंडीज के बीच खेला गया था. वेस्टइंडीज ने टॉस जीतकर इंग्लैंड को पहले बल्लेबाजी का मौका दिया. इंग्लैंड ने 155 रन बनाए. इसमें जो रूट का अर्धशतक शामिल था. वेस्टइंडीज की टीम को जीत के लिए 156 रन चाहिए था. वेस्टइंडीज की टीम की शुरुआत अच्छी नहीं रही. 11 रन पर तीन विकेट गिर चुके थे. क्रिस गेल जैसा धाकड़ बल्लेबाज पवेलियन लौट चुका था. इसके बाद एक छोर मार्लन सैमुअल्स ने संभाला. ड्वेन ब्रावो ने कुछ देर उनका साथ दिया. लेकिन ब्रावो भी 25 रन बनाकर आउट हो गए. जैसे तैसे करके सैमुअल्स ने मैच को वहां तक पहुंचाया जहां आखिरी ओवर में वेस्टइंडीज को जीत के लिए 19 रन चाहिए थे. 6 गेंद पर 19 रन आसान नहीं थे.

इंग्लैड के कप्तान ऑएन मार्गन ने आखिरी ओवर में गेंदबाजी की जिम्मेदारी बेन स्टोक्स को दी. बेन स्टोक्स के सामने स्ट्राइक पर कार्लोस ब्रेथवेट थे. कार्लोस ब्रेथवेट का अनुभव ऐसा नहीं था कि इंग्लैंड की टीम कहीं से भी ज्यादा फिक्रमंद होती. डर बस इस बात का था कि मार्लन सैमुअल्स को स्ट्राइक ना मिल जाए. लेकिन असली खेल तो कार्लोस ब्रेथवेट ने ही किया. उन्होंने बेन स्टोक्स की पहली ही गेंद पर छक्का लगाया. अब 5 गेंद पर 14 रन चहिए थे. इसके बाद भी मामला आसान नहीं था. फिर ब्रेथवेट ने दूसरी गेंद पर छक्का लगाया. अब इंग्लैंड की टीम दबाव में आई क्योंकि अब 4 गेंद पर 7 रनों की जरूरत थी. ब्रेथवेट ने तीसरी गेंद पर छक्का जड़ा. ये करिश्मा हजारों फैंस ने देखा. अब वेस्टइंडीज की टीम को जीत के लिए 3 गेंद पर सिर्फ 1 रन चाहिए थे. ब्रेथवेट ने चौथी गेंद पर भी छक्का लगाया. इस तरह उन्होंने लगातार चार गेंद पर चार छक्के लगाकर अपनी टीम को खिताबी जीत दिला दी. इसके बाद बेन स्टोक्स ग्राउंड में सर पकड़कर बैठ गए थे. उन्हें टीम की हार में अपनी जिम्मेदारी दिख रही थी. करीब तीन साल तकदीर उन्हें वापस उसी मोड़ पर लाई जहां जीरो या हीरो बनने का मौका उनके सामने था. इस बार वो हीरो बने.

इस विश्वकप में बेन स्टोक्स का प्रदर्शन
इस विश्व कप में बेन स्टोक्स ने 11 मैचों में 66.43 की औसत से कुल 465 रन बनाए. इसमें 5 अर्धशतक शामिल हैं. इसके साथ साथ उन्होंने 7 विकेट भी लिए.