गौतम गंभीर के लिए ये मुश्किल वक्त है. वो एक बेहतरीन खिलाड़ी हैं. उन्होंने लंबे समय तक टीम इंडिया के लिए शानदार प्रदर्शन किया है. आईपीएल में भी वो दो बार अपनी कप्तानी में कोलकाता नाइट राइडर्स को चैंपियन बना चुके हैं.


लेकिन अब समय का पहिया पूरी तरह घूम चुका है. इस सीजन में वो वापस उसी टीम के पास आए जहां से उन्होंने अपने आईपीएल करियर की शुरूआत की थी.

दिल्ली डेयरडेविल्स की टीम ने उन्हें कप्तानी सौंपी तो गौतम आत्मविश्वास से भरे हुए थे. वो जरूर चाहते रहे होंगे कि अपनी घरेलू टीम के लिए कुछ करिश्मा करें. आईपीएल के अब तक के सभी सीजन में दिल्ली की टीम फिसड्डी ही रही है. टीम ने जीत तो दूर आजतक फाइनल तक का मुंह नहीं देखा है. गौतम गंभीर ने कई साल पहले जिस तरह कोलकाता की किस्मत बदली थी वैसे ही उनसे उम्मीद थी कि वो दिल्ली की भी किस्मत बदलेंगे. अफसोस ऐसा कुछ हुआ नहीं. दिल्ली की टीम अब भी प्वाइंट टेबल में आखिरी पायदान की टीम है.

सीजन के शुरूआती मैचों में खराब प्रदर्शन के बाद गौतम गंभीर टीम की कप्तानी छोड़ चुके हैं. टीम के खराब प्रदर्शन के साथ-साथ गौतम गंभीर का बल्ला भी नहीं चल रहा था. कप्तानी छोडने से पहले खेले गए 6 मैचों में गौतम गंभीर ने सिर्फ 85 रन बनाए थे. उनकी औसत सिर्फ 17 रनों की थी और स्ट्राइक रेट 100 से भी कम का. जाहिर है कभी फ्रंट से लीड करने वाले गौतम गंभीर के लिए ये फॉर्म चिंता की बात है. गंभीर के कप्तानी छोड़ने के बाद दिल्ली डेयरडेविल्स की कमान श्रेयस अय्यर संभाल रहे हैं.

क्या दिल्ली की टीम में मिलेगा एक और मौका
दिल्ली का आज का मैच रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर से है. अब तक खेले गए 11 में से 8 मैच वो हार चुकी है. प्लेऑफ की रेस से दिल्ली डेयरडेविल्स की टीम बाहर हो चुकी है. सनराइजर्स हैदराबाद के खिलाफ पिछले मैच के दौरान कॉमेनटेटर्स इस बात पर चर्चा कर रहे थे कि क्या गौतम गंभीर को प्लेइंग 11 में मौका मिलना चाहिए. ये चर्चा इसलिए भी प्रासंगिक है क्योंकि अब दिल्ली को बाकी बचे तीनों ही मैच दिल्ली के फिरोजशाह कोटला स्टेडियम में ही खेलने हैं. जो बैंगलोर, चेन्नई और मुंबई के खिलाफ खेले जाने हैं.

ऐसे में क्या टीम मैनेजमेंट गौतम गंभीर को एक विदाई मैच खेलने का मौका देगा. विदाई मैच इसलिए क्योंकि अब इस बात की संभावना ना के बराबर है कि गौतम गंभीर को अगले साल फिर आईपीएल में खेलने का मौका मिलेगा. गौतम गंभीर लंबे समय से टीम इंडिया से बाहर चल ही रहे हैं. ऐसे में टीम मैनेजमेंट अच्छी भावना दिखाते हुए उन्हें मैदान से अपने फैंस को अलविदा कहने का एक मौका दे सकता है. भारतीय क्रिकेट इस बात का गवाह रहा है कि यहां कई बड़े खिलाड़ियों को मैदान की बजाए ई-मेल भेजकर अपने संन्यास का ऐलान करना पड़ा है. गौतम गंभीर अगर चाहें तो इस मुश्किल स्थिति से बच सकते हैं.

एक फाइटर की तरह खेलते थे गंभीर
गौतम गंभीर हमेशा एक फाइटर की तरह खेले हैं. 2007 टी-20 विश्व कप की जीत में उनका रोल अहम था. इसके बाद 2011 में जब भारतीय टीम ने श्रीलंका को हराकर 28 साल बाद विश्व कप जीता तो उसमें भी गौतम गंभीर का रोल अहम था. सचिन तेंडूलकर और वीरेंद्र सहवाग के जल्दी आउट हो जाने के बाद गौतम गंभीर ने ही पारी को संभाला था. उन्हीं के बल्ले से निकले 97 रनों की बदौलत टीम जीत के दरवाजे तक पहुंची थी, जिसे धोनी ने पूरा किया.

आईपीएल में भी जब गंभीर ने कोलकाता की कमान संभाली तो उससे पहले कोलकाता की टीम में काफी बवाल हो चुका था. सौरव गांगुली की कप्तानी को लेकर विवाद हुआ था. उसके बाद एक टीम में कई कप्तान चुने गए थे.

कुल मिलाकर कोलकाता की टीम तमाम स्टार्स के होने के बाद भी बहुत बुरी स्थिति में थी. गौतम गंभीर की कप्तानी में ही कोलकाता ने 2012 और फिर 2014 में खिताब जीता था. आज उसी गौतम की स्थिति गंभीर है. ये फैसला उन्हें ही करना है कि इस खेल में वो खुद को किस छवि के साथ याद रखवाना चाहेंगे.