साढ़े चार साल पहले जब योगी आदित्यनाथ ने उत्तरप्रदेश की कमान संभाली थी तो उन्होंने शहरों के नाम बदलने की जो शुरुआत की वह अभी थमी नहीं है. नाम बदलने के पीछे अपनी धार्मिक संस्कृति और विरासत को संजोने की दलील दी गई थी. अब विधानसभा चुनावों से पहले सूबे के दो शहरों के नाम बदलने की मांग फिर तेज हो उठी है और उम्मीद है कि सरकार इसे पूरा भी कर देगी. लेकिन बड़ा सवाल ये है कि किसी शहर का नाम बदलने भर से क्या वहां के लोगों की जिंदगी में भी बदलाव आ जाता है और उनकी तकलीफें कम हो जाती हैं? तो आखिर इससे आम जनता को हासिल तो कुछ नहीं होता. गुलाब के फूल का नाम अगर कुछ और रखा गया होता तो क्या वह अपनी सुगंध देना छोड़ देता? इसीलिये ऐसी सारी कवायद को सियासी शगूफे के लिहाज से ही देखा जाता है.


अब अलीगढ़ और मैनपुरी का नाम बदलने की तैयारी की जा रही है. अलीगढ़ का नाम बदलकर हरिगढ़ किए जाने का प्रस्ताव योगी सरकार को भेजा गया है. इस प्रस्ताव को जिला पंचायत बोर्ड की बैठक में पास किया जा चुका है. वहीं मैनपुरी का नाम बदले जाने के प्रस्ताव को भी जिला पंचायत ने अपनी मंजूरी दे दी है. मैनपुरी का नया नाम मयन नगर तय किया गया है. अब इस पर आखिरी फैसला शासन को लेना है.


अलीगढ़ जिला पंचायत की पहली बैठक में नाम बदले जाने को लेकर मंथन किया गया. बैठक में ब्लॉक प्रमुख उमेश यादव और अतौली ब्लॉक प्रमुख केशरी सिंह की तरफ से हरिगढ़ नाम किए जाने का प्रस्ताव रखा गया. दोनों ने कहा कि पहले अलीगढ़ का नाम हरिगढ़ ही था. आपसी सहमति से इस प्रस्ताव को मंजूर कर लिया गया.


वहीं मैनपुरी के प्रस्ताव को जिला पंचायत अध्यक्ष अर्चना भदौरिया ने मंजूर कर लिया है. स्थानीय लोगों का कहना है कि मयन ऋषि की तपोभूमि होने की वजह से यहां का नाम मयन पुरी रखा गया था. लेकिन गलत भाषा के इस्तेमाल की वजह से इसका नाम मैनपुरी पड़ गया. अब एक बार फिर इसे सुधारने की कवायद की जा रही है. मैनपुरी के औंछा इलाके में च्यवन ऋषि का आश्रम मौजूद है. कहा जाता है कि उन्होंने यहीं पर तपस्या की थी.


योगी आदित्यनाथ चूंकि एक सन्यासी सीएम हैं, लिहाजा नाम बदलने में वे हिंदू संस्कृति का पूरा ख्याल रख रहे है. मुगलसराय रेलवे स्टेशन का नाम बदलने से शुरू हुआ यह सिलसिला लगातार आगे बढ़ता जा रहा है. अगस्त 2018 में मुगलसराय स्टेशन पंडित दीन दयाल उपाध्याय स्टेशन बन गया. उसके बाद अक्टूबर 2018 में  सरकार ने संगम नगरी इलाहाबाद का नाम बदलकर प्रयागराज किया था. इसके बाद प्रयागराज में कुंभ मेले का आयोजन हुआ. शहर का नाम बदलने के बाद फरवरी 2020 में प्रयागराज के चार रेलवे स्टेशनों के नाम भी बदल दिए गए. जिसके बाद इलाहाबाद जंक्शन अब प्रयागराज जंक्शन बन गया है. इसके अलावा इलाहाबाद सिटी स्टेशन, रामबाग और इलाहाबाद छिवकी स्टेशन के नाम भी बदल दिए गए हैं. साथ ही प्रयागराज घाट का नाम बदलकर प्रयागराज संगम कर दिया गया है.


राम मंदिर पर सुप्रीम कोर्ट का आदेश आने से पहले ही योगी सरकार ने फैज़ाबाद जिले का नाम बदलकर उसे अयोध्या जिला बना दिया. यानी जो अयोध्या शहर जिस फैजाबाद जिले के अंतर्गत आता था, उसका स्वरूप ही बदल दिया गया और अब पूरे जिले को अयोध्या बना दिया गया. 


आगे जिन शहरों के नाम बदले जाने की मांग उठी है,उनमें आगरा को अग्रवन, आजमगढ़ को आर्यमगढ़, गाजीपुर को गाधिपुरी, सुल्तानपुर को कुशभवनपुर करने की की चर्चा है. गाजियाबाद का नाम भी बदले जाने की मांग की गई है. लेकिन सोचने वाली बात है कि नाम बदल देने से क्या लोगों की बुनियादी समस्याएं हल हो जाएंगी और रोजगार के अवसर बढ़ जाएंगे?


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