कहने को तो शहंशाह-ए-तरन्नुम मोहम्मद रफी (Mohammad Rafi) की पैदाइश एक मुस्लिम परिवार (Muslim Family) में हुई थी लेकिन अपने 34 बरस के फिल्मी करियर में तकरीबन 26 हज़ार गीत गाने वाले रफ़ी साहब ने हिंदू देवी-देवताओं (Hindu Deities) की स्तुति में लिखे जितने भक्ति गीत गाए हैं. उसका मुकाबला कोई मुस्लिम गायक नहीं कर सकता. लेकिन तब किसी मौलाना की ये हिम्मत नहीं थी कि वो शरीयत (Sharia) का हवाला देते हुए रफी साहब के खिलाफ कोई फतवा जारी कर दे. शायद इसलिए कि तब समाज में न तो नफरत का ऐसा माहौल था और न ही बरसों पुरानी गंगा-जमुनी तहज़ीब को तहस-नहस करने की ऐसी कोशिश ही हो रही थी.


लेकिन रफ़ी साहब के दुनिया से विदा होने के 42 साल बाद अब देश के एक मौलाना को शरीयत भी याद आ गई और ये भी अहसास हो गया कि एक मुस्लिम महिला द्वारा हिन्दू भक्ति गीत गाना इस्लाम में हराम है. लिहाज़ा उन्होंने इस महिला के खिलाफ फ़तवा जारी करके एक नया बवाल खड़ा कर दिया है.


फरमानी नाज ने गाया "हर-हर शंभू" 
दरअसल,यूपी के मुजफ्फरनगर में रहने वाली एक गायिका हैं, फरमानी नाज, गाना उनका शौक है और कुछ हद तक ये भी कह सकते हैं कि उन्होंने अपनी आवाज़ को पेशेवर भी बना दिया है. उन्हीं नाज ने पिछले दिनों निकली कांवड़ यात्रा के दौरान "हर-हर शंभू" गाना गाया और यूट्यूब चैनल पर उसे अपलोड कर दिया. देखते ही देखते ये गाना वायरल हो गया. शायद इसलिए कि उनकी आवाज़ में एक अलग तरह की कशिश थी और सुनने वालों को भी लगा कि ये उन्होंने अपनी रुह से गाया है. उस गाने की सुनने वालों जमकर तारीफ की है, बग़ैर ये जाने कि वह हिंदू हैं या मुसलमान.


लेकिन ओशो रजनीश ने सालों पहले दिए अपने एक प्रवचन में कहा था कि, "तुम्हारे ये पंडित, मौलवी, ग्रंथी व पादरी कभी भी तुम्हें आपस में एक नहीं होने देंगे क्योंकि ऐसा होते ही उनका धंधा चौपट हो जाएगा. उनकी सारी दुकानदारी की बुनियाद ही तुम्हारे भीतर धर्म-मज़हब के नाम पर डर पैदा करने और उसके जरिए नफ़रत फैलाने की है. औऱ, तुम इतने नासमझ हो कि एक झटके में ही उनके जाल में बड़ी आसानी से फंस जाते हो और वही करने लगते हो, जो वे चाहते हैं."


देवबंद के उलेमा ने जारी किया फतवा 
उत्तर भारत में यूपी के देवबंद को इस्लामी शिक्षा व तहज़ीब का सबसे बड़ा केंद्र माना जाता है. अब वहीं के मौलाना की तरफ से फरमानी नाज के खिलाफ फतवा जारी करते हुए उन्हें अल्लाह के नाम पर डराने की कोशिश की गई है.


देवबंद के उलेमा मुफ्ती असद कासमी ने अपने दिए बयान में कहा, "इस्लाम में किसी भी तरह का नाच-गाना जायज नहीं है. जो भी नाच-गाना करते हैं या गाना गाते हैं, वो जायज नहीं है,ये हराम है. हराम के काम से मुसलमानों को परहेज करना चाहिए. इस औरत ने जो गाना गाया है, वो जायज नहीं है. ये हराम है, उसे अल्लाह से तौबा करनी चाहिए."


हालांकि फ़तवा जारी होने की ख़बर मिलने के बाद सिंगर फरमानी नाज को भी अपनी चुप्पी तोड़ने पर मजबूर होना पड़ा. उन्होंने बेबाकी से अपनी बात कही है, जिसका साथ समाज के हर वर्ग के समझदार इंसान को देना चाहिए. नाज़ ने कहा कि "आर्टिस्ट का कोई धर्म नहीं होता. जब मैं गाना गाती हूं तो इन सब बातों पर ध्यान नहीं देती. यहां तक कि मोहम्मद रफी और मास्टर सलीम ने भी भक्ति गीत गाए हैं."


हालांकि नाज़ ने ये भी साफ कर दिया कि “मुझे कभी कोई धमकी नहीं मिली है.पता चला है कि अब थोड़ा विवाद हो गया है लेकिन अभी तक तो हमारे घर कोई कुछ भी कहने नहीं आया है." लेकिन फरमानी नाज़ को ये भी समझना होगा कि कट्टरपंथी ताकतों का न कोई धर्म होता है और न ही कोई मज़हब. वे हर जगह होती हैं, बेशक उनकी संख्या उंगलियों पर गिनने के लायक ही क्यों न हों लेकिन जब दिमाग़ पर मज़हबी जुनून सवार हो जाए, तब वे किसी को सबक सिखाने से भी बाज़ नहीं आतीं. इसलिए उन्हें खुद अपना और अपने बेटे का ख्याल इसलिए भी ज्यादा रखने की जरूरत है क्योंकि उनका गाया ये भक्ति गीत यूट्यूब पर खूब वायरल हो रहा है. इसके अलावा इंस्टाग्राम और सोशल मीडिया पर भी उसे बेहद तेजी से शेयर किया जा रहा है.


मुजफ्फर नगर के मोहम्मदपुर गांव की रहने वाली हैं नाज 
बेशक नाज़ के गले में एक कुदरती कशिश है लेकिन हक़ीक़त ये है कि उन्होंने मजबूरी में ही गायन को अपना पेशा बनाया. वे यूपी के मुजफ्फर नगर के मोहम्मदपुर गांव की रहने वाली हैं और उनकी शादी मेरठ के छोटा हसनपुर गांव में हुई थी. लेकिन बताते हैं कि उनके पति ने उन्हें छोड़कर दूसरी शादी कर ली. उनका एक साल का बेटा भी है. उन्हें जानने वालों के मुताबिक पति के दूसरी शादी करने के बाद से ही वे अपने मायके में रह रही हैं और गाने गाकर परिवार का भरण पोषण कर रही है. यूट्यूब पर उनका एक चौनल भी है,जहां वे अन्य गीतों के अलावा अक्सर अपने गाए भजन भी अपलोड करती रहती हैं. फरमानी नाज इंडियन आइडल में भी जा चुकी हैं लेकिन उनके बेटे की तबियत खराब होने के चलते वह वापस लौट आई थीं. दावा तो किया जा रहा है कि नाज के गाए ‘हर-हर शंभू’ गाने को उनके गांव के ही एक लड़के ने यूट्यूब पर डाल दिया था, जो इतना जबरदस्त तरीके से वायरल हो गया.


लेकिन नाज़ के ख़िलाफ़ फ़तवा जारी करने वाले देवबंद के उलेमाओं से एक अहम सवाल तो बनता है. पिछले कई साल से हमसर हयात निज़ामी, शिरडी के साईंबाबा के भजन बेहद सुरीले अंदाज़ में गा रहे हैं. वे इतने लोकप्रिय हैं कि देश के अलग-अलग हिस्सों में आयोजित होने वाली साईं संध्या के लिए उन्हें खासतौर से बुलाया जाता है, जिसकी वे पेशेवर फीस भी लेते हैं. ऐसे कार्यक्रम आयोजित करने वाले 99 फीसदी हिंदू श्रद्धालु ही होते हैं, जो उनके गाये भजन की आवाज़ पर थिरकने भी लगते हैं.साईबाबा को भी हिंदू देवताओं का ही अवतार समझा जाता है. हमसर हयात के ख़िलाफ़ तो आज तक कोई फ़तवा नहीं आया, फिर शिव की स्तुति को अपनी आवाज़ देने वाली फरमानी नाज़ के साथ ही ये सलूक आखिर क्यों?


(नोट- उपरोक्त दिए गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. ये जरूरी नहीं कि एबीपी न्यूज ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.)