पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने राज्य में 14 फरवरी यानी वैलेंटाइन दिवस के दिन सार्वजनिक छुट्टी का ऐलान कर दिया है. ममता ने अपनी तरफ से इसे लेकर कहा है कि समाज सुधारक और राजवंशी नेता पंचानन वर्मा की जयंती पर वैलेंटाइन डे के दिन राज्य में अवकाश रहेगा. दरअसल, 14 फरवरी को एनिमल वेलफेयर बोर्ड ऑफ इंडिया की तरफ से गाय को गले लगाने के दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की गई है तो सवाल यह है कि इसके बाद भी आखिरकार ममता बनर्जी ने ऐसा क्यों किया? अब इसे लेकर राजनीतिक गलियारों में चर्चा हो रही है.


वोट के लिए ममता ने पहले भी की है ऐसी घोषणाएं


ये सवाल स्वाभाविक रूप से उठेंगे चूंकि अगर आप पहले से कोई अघोषित छुट्टी नहीं है और उसके आधार पर आप छुट्टी करते हैं और उससे जुड़े हुए ऐसे दिन होते हैं तो कई प्रकार कि आशंकाएं उठती हैं. ममता बनर्जी की राजनीति हमने देखी है कि वामपंथियों के, कांग्रेस के, मुसलमानों के और संपूर्ण सेक्यूलर वोट को हड़पने की दृष्टि से पहले भी उन्होंने अनेक ऐसे कदम उठाए हैं जिनकी आवश्यकता प्रदेश को नहीं है. उसका राजनीतिक लाभ उनको मिला है. उन्होंने कहा कि इस समय पश्चिम बंगाल की राजनीति यह है कि ममता बनर्जी के मंत्री, उनकी पार्टी के नेता व काम करने वाले कार्यकर्ता, कई पूर्व ब्यूरोक्रैट्स एक से एक भ्रष्टाचार में फंसे हैं. उनके खुद के परिवार के में भतीजे और उनकी पत्नी से पूछताछ हो चुकी है. उनके विरुद्ध जांच चल रही हैं. तो ऐसी स्थिति में कई कदम सरकारें उठाती हैं जिनसे तात्कालिक रूप से उनको राजनीतिक लाभ मिले.


लेकिन पंचानन वर्मा राजवंशियों के एक महान समाज सुधारक थे जिन्होंने समाज में प्रचलित अनेक प्रकार के जो अंधविश्वास थे आपस के मेल-जोल में, छुआ-छूत की दृष्टि से उन सब पर उन्होंने पश्चिम बंगाल में काफी काम किया था. बंगाल में ही नहीं पूरे देश में उनका सम्मान है. जो लोग पश्चिम बंगाल को जानते हैं वो उस क्षेत्र को जानते हैं जो राजवंशियों के लिए माना जाता है. लेकिन पिछले वर्ष उनकी जयंती रविवार के दिन पड़ा था जिस वजह से लोगों को उस रूप में यह ध्यान में नहीं आया. लेकिन इस बार उनकी जयंती सोमवार को है और अगर वो सिर्फ सोमवार को छुट्टी करतीं तो माना जाता कि चलो उन्हीं कि दृष्टि से है लेकिन पूरी दुनिया जानती है कि 14 को वैलेंटाइन दिवस मनाया जाता है तो फिर इस दिन अवकाश देने का और क्या औचित्य हो सकता है.


इसके अलावा, तो ममता जी को स्पष्ट करना चाहिए था, लेकिन अब राजनीति है हमारी इसमें नहीं कर सकते आप वैलेंटाइन के दिन छुट्टी घोषित कर नहीं सकती हैं, गस्टेड हॉली डे हो नहीं सकता है. स्टेट को उसके लिए कारण देने पड़ेंगे कि हम छुट्टी क्यों घोषित कर रहे हैं और उसको फिर गजट में शामिल करना पड़ेगा तो मुझे लगता है कि उन्होंने वैलेंटाइन डे कहने की बजाय पंचानान वर्मा जी का नाम लिया है, जिनका एक सम्मान है कि उनके नाम पर विरोध नहीं होगा. और उन्होंने छुट्टी घोषित कर दी हालांकि समझने वाले तो समझ जाते हैं जो ना समझे वो अनाड़ी हैं.


देश के एक वर्ग में है वैलेंनटाइन को लेकर है आकर्षण


हमारे देश में वैलेंनटाइन डे को लेकर युवाओं (युवक व युवतियां) दोनों के एक वर्ग में आकर्षण है. इसलिए आकर्षण है क्योंकि उन्हें ये नहीं बताया गया है कि हमारे यहां स्त्री-पुरुष के कितने दिवस हैं और उनका क्या महत्व है.  किस दृष्टि से उनको मनाया जाता रहा है. तो जो कुछ हमारी मीडिया में, टेलीवीजन में और पश्चिम के प्रचार के कारण है, उसमें एक आकर्षण है. एक समूह इस देश में उसको तोड़ने की कोशिश कर रहा है क्योंकि वैलेंटाइन बाबा के आने से पहले हमारे यहां प्रेम की गाथाएं रही हैं और ये युवाओं को बताने की आवश्यकता है. सरकारें इसे बताने की कोशिश नहीं करती हैं कि हमारे यहां तो जो खासकर तीज का पर्व मनाया जाता है वो शिव-पार्वती के प्रेम के दिवस के रूप में मनाया जाता है और उस दिन जो भी अपने प्रेमी-पती जो भी हैं उनकी लंबी आयु के लिए महिलाएं उस दिन व्रत करती हैं. शिवरात्री का मतलब भी वही माना जाता है. राधा अष्टमी होती है, राम और सीता के विवाह की जो दिवस है जो मनाया जाता है विवाह पंचमी.


ये सभी ऐसे दिवस हमारे यहां रहे हैं कि जिन्हें हम प्रेम की दृष्टि से मनाते हैं. तो ममता जी और बाकी नेताओं को लगता है कि उसे उस रूप में मनाना है मुझे लगता है कि वैसा करने से शायद वोट ज्यादा मिलता है, तो कोई परिश्म करना नहीं चाहता है. वैलेंटाइन डे में युवाओं का एक आकर्षण है. हम सब जानते हैं कि संघ परिवार से निकले कुछ संगठन जैसे बजरंग दल इसका विरोध करता है तौ ऐसे में छुट्टी घोषित करके ममता ने एक बार फिर यह दिखाने की कोशिश की है कि जो लोग वैलेंटाइन डे का विरोध करते हैं सरकार उसके विरुद्ध हैं, हम युवाओं के उन्नमुक्त जीवन के समर्थक हैं और युवक व युवतियां अगर प्रेम करते हैं तो उनको यह अवसर मिलना चाहिए चाहे उसमें वे उन्नमुक्त हों या उन्नमाद हो हम उनका समर्थन करते हैं.


जाहिर है कि इसमें अगर एक बड़ा युवा वर्ग है और आपने ही अपने प्रश्न में बताया है कि 20 लाख नए वोटर हैं और हर प्रदेश में इनकी संख्या लगभग समान ही हैं तो जब एक बड़ा वर्ग होता है तो उसको लुभाने के लिए उनकी अपना जो एक मोर्चाबंदी जो उनकी हिंदुत्व के विरुद्ध थी उसको भी बिना घोषित किए साबित करने की कोशिश की है और पहले से जो सेक्यूलरिज्म के नाम पर एंटी हिन्दू, एंटी बीजेपी की जो वोट लेने की कोशिश कि थी उसको सुदृढ़ करना उद्देश्य हो सकता है.
 
प्रेम के नाम पर उन्नमाद व उन्मुकातता को दे रहीं बढ़ावा


ममता बनर्जी ने भाजपा के दबाव में उन्होंने स्वयं को चंडी का भक्त बताया और फिर चंडी पाठ के कुछ जो दुर्गा चालीसा और सप्तसती के कुछ श्लोक भी पढ़े. उन्होंने हनुमान चालीसा पढ़ा है और बहुत सारी बातें उन्होंने की है. हमारे देश में ममता बनर्जी और दूसरे नेता कहते हैं कि हम भी निष्ठावान हिन्दू हैं. लेकिन जो निष्ठावान हिंदू होने के नाते जो बाहरी संस्कृतियों, सभ्यताओं और मजहब में जो अच्छी चीजें हैं उसको स्वीकार करने में हमें आपत्ति नहीं है. लेकिन हमारे यहां जो उनके सामानांतर या उनसे श्रेष्ठ हैं, उनको जानते हुए भी अस्वीकार करना और  जो कुछ आ रहा है मान लिजिए कि युवाओं को दिशा नहीं है कि वैलेंटाइन डे मनाना चाहिए कि नहीं मनाना चाहिए. क्योंकि वैलेंटाइन डे उन्नमुक्तता का दिवस है और प्रेम के लिए अगर आपके पास किसी लड़की या लड़का से आकर्षण हो गया, पता नहीं कितना प्रेम होता है और उसके लिए अपने माता-पिता को छोड़ कर उन्नमुक्तता के साथ मिलना और बीच मैदान में एक-दूसरे का चुंबन करना.


अगर ममता बनर्जी छुट्टी घोषित करते हुए भी कह देतीं कि आप मनाइए लेकिन हमारे समाज में एक परंपरा है सीमा का उस सीमा का अतिक्रमण नहीं हो, मर्यादा बनी रहे तो यह माना जाता अगर वो नहीं कर रही हैं तो यह कहीं न कहीं यही माना जाएगा किसी ने किसी रूप में आप एक समाज सुधारक के जन्म दिवस को उस रूप में परिनित करके उस उन्नमुक्तता को और प्रेम के नाम पर उन्नमाद को बढ़ाने के लिए उत्तरदायी होंगी.


[नोट- उपरोक्त दिए गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. ये जरूरी नहीं कि एबीपी न्यूज़ ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.]