उत्तर प्रदेश के चुनावी दंगल में उतरने वाली आम आदमी पार्टी ने मुफ्त बिजली देने का वादा करके अन्य राजनीतिक दलों को अपने नक्शेकदम पर चलने के लिए मजबूर कर दिया है.इस ऐलान के बाद सत्तारूढ़ बीजेपी समेत अन्य विपक्षी पार्टियों की बेचैनी बढ़ना इसलिये स्वाभाविक है कि अब अगर वे ऐसा कोई वादा नहीं करती हैं,तो उन्हें अपनी जमीन कमजोर होने का खतरा सताएगा. हालांकि ये देखना होगा कि दिल्ली की तरह यूपी की जनता को ये वादा किस हद तक लुभा पायेगा लेकिन फिलहाल तो अरविंद केजरीवाल ने ये पहल करके सूबे की सियासत में नई इबारत लिखने की शुरुआत तो कर ही दी है.


लोगों को मुफ्त बिजली-पानी देने के वादे के साथ दिल्ली की सत्ता में काबिज होने वाली AAP को ये अहसास हो चुका है कि यही वो कारगर सीढ़ी है जिसके जरिये अन्य राज्यों में भी सत्ता की कुर्सी तक पहुंचा जा सकता है. यही कारण है कि यूपी से पहले पंजाब, उत्तराखंड, गुजरात व गोवा में भी केजरीवाल ने AAP की सरकार बनने के 24 घंटों के भीतर तीन सौ यूनिट तक मुफ्त बिजली देने का चुनावी-वादा किया है.


हालांकि राजनीतिक पंडित मानते हैं कि दिल्ली के अनुभव ने केजरीवाल को जनता की नब्ज समझने का ऐसा सियासी वैद्य ने बना दिया है जिसका प्रयोग अब वे हर राज्य में करते हुए पूरे चुनावी- अभियान की तस्वीर बदलने की तैयारी में हैं. वे समझ चुके हैं कि मुफ्त में कुछ भी मिले, तो उसे लेने में जनता परहेज़ नहीं करती है, बल्कि कमजोर व निम्न वर्ग का बड़ा तबका उस पार्टी का मुरीद बन जाता है.


चूंकि दिल्ली में AAP ने किये अपने वादों को पूरा करके दिखाया है, इसलिये ये नहीं कह सकते है कि यूपी की जनता उसके इस वादे को एक झटके में नकार देगी. इसे उनका प्लस पॉइंट कह सकते हैं कि दिल्ली में किये कामों के आधार पर वे यूपी की जनता को भी कुछ हद तक तो ये भरोसा दिलाने में कामयाब हो सकते हैं कि उनका चुनावी-वादा हवा-हवाई नहीं है, बल्कि हक़ीक़त में उन्होंने इसे पूरा करके दिखाया है. लिहाज़ा, भले ही वे सत्ता पाने से दूर भी रह जाएं लेकिन इसके जरिये वे अपना एक मजबूत वोट बैंक तो तैयार कर ही लेंगे, जो 2024 के लोकसभा चुनावों में उनके लिए मददगार साबित होगा. दरअसल, केजरीवाल दिल्ली वाली चुनावी-रणनीति को ही यूपी और अन्य चुनावी राज्यों में अंजाम देना चाहते हैं, इसलिये उनका सारा फोकस उच्च या मध्यम वर्ग की बजाय निम्न व अति निम्न वर्ग पर है. यही वो वर्ग है जो मुफ्त चीजें देने के किसी भी पार्टी के वादे से सबसे पहले प्रभावित होता है. दिल्ली में आप को लगातार मिली कामयाबी में इसी वर्ग की भूमिका सबसे अहम रही है.


वैसे सूत्र बताते हैं कि चुनाव से पहले केजरीवाल यूपी की जनता को इसी तरह के अन्य कई वादों की सौगात देकर बाकी पार्टियों में हलचल मचाने और उन्हें अपनी चुनावी-राजनीति की दिशा बदलने की तैयारी में हैं. AAP के रास्ते पर चलते हुए जल्द ही सपा प्रमुख अखिलेश यादव भी तीन सौ यूनिट बिजली मुफ्त में देने की घोषणा कर सकते हैं. जानकारों की मानें, तो उनके घोषणा-पत्र में भी आम आदमी पार्टी की छाप काफी हद तक देखने को मिल सकती है. उसकी  वजह ये है कि पहले सियासी गलियारों में ये चर्चा गरम थी कि सपा और AAP मिलकर चुनाव लड़ने की तैयारी में हैं. दो महीने पहले आप के नेता व राज्यसभा सांसद संजय सिंह और अखिलेश यादव की मुलाकात को इसी संभावित गठबंधन से जोड़कर देखा गया था लेकिन किन्हीं कारणों से दोनों के बीच बात बनी नहीं. उस दौरान हुई चर्चा में संजय सिंह ने AAP की योजनाओं व चुनाव के दौरान किये जाने वाले सम्भावित वादों का जिक्र भी किया था. बताते हैं कि उनमें से ही कुछ वादों को सपा ने अपने चुनावी घोषणा-पत्र का हिस्सा बना लिया है.



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