कहते हैं कि अगर आपको अपने खानदान की पिछली सात पुश्तों का इतिहास खंगालना हो, तो राजनीति में आ जाइये. जहां ऐसे गड़े मुर्दे निकालकर सामने रख दिये जायेंगे कि आप खुद हैरान हुए बगैर नहीं रह सकते. यूपी की चुनावी सियासत में अपना खासा वजूद रखने वाले पति, पत्नी की कुछ ऐसी ही दिलचस्प कहानी सामने आई है. हालांकि, ये दास्तां तो दो किनारों के न मिल पाने की है लेकिन इसके दोनों मुख्य किरदार का वास्ता एक ही पार्टी से है. लिहाज़ा विरोधी दल इसे चटखारे लेकर जनता के बीच परोस रहे हैं. इसलिये सवाल ये भी उठ रहा है कि घर की चारदीवारी के भीतर हुई मंत्री-परिवार की ये अनबन क्या उनके सियासी मंसूबों पर भी असर डालेगी?


एक तरफ योगी सरकार की मंत्री स्वाति सिंह हैं, तो दूसरी ओर उनके पति दयाशंकर सिंह हैं. जो प्रदेश बीजेपी के उपाध्यक्ष हैं. बताते हैं कि दोनों के बीच पिछले कुछ वक्त से मनमुटाव है लेकिन पति-पत्नी के बीच अनबन होना और फिर दोनों का अलग-अलग रहना कोई नई बात नहीं है. बड़ी बात ये है कि दोनों का ही वास्ता बीजेपी से है लिहाज़ा पार्टी के लिए मंत्री का ये पारिवारिक झगड़ा उसकी चमकदार इमेज पर कुछ हद तक बट्टा भी लगा सकता है.


सिर्फ सूबे के ही नहीं बल्कि देश के सियासी इतिहास में शायद ये ऐसा पहला मामला है, जबकि दोनों ने एक ही विधानसभा सीट लेने के लिए अपना दावा ठोक दिया है. जाहिर है कि टिकट किसी एक को ही मिलेगा लेकिन जिसे अपना टिकट कटने का डर है, उनके समर्थकों ने कथित रुप से करीब ढाई साल पुराना एक ऑडियो टेप वायरल कर दिया है, जो राजधानी लखनऊ समेत सूबे के अन्य हिस्सों में भी दिलचस्पी से सुना जा रहा है.


दरअसल, स्वाति सिंह फिलहाल योगी सरकार में महिला कल्याण-बाल विकास राज्यमंत्री हैं. वह लखनऊ के ही सरोजनीनगर विधानसभा सीट से विधायक हैं और यूपी में बीजेपी की महिला मोर्चे की अध्यक्ष भी हैं. उनके पति दयाशंकर सिंह बीजेपी के उपाध्यक्ष हैं लेकिन इस बार उन्होंने अपनी पत्नी की सीट से ही टिकट लेने के लिए अपनी दावेदारी जता दी है. उन्हें टिकट न मिले, इसके लिए जायदाद के एक पुराने झगड़े को लेकर उस समय हुई बातचीत की जो रिकॉर्डिंग की गई थी, उसे अब उनके खिलाफ एक सियासी औजार के रुप में इस्तेमाल किया जा रहा है.


यानी, इस पूरी कहानी में ऑडियो टेप को सार्वजनिक करने वाले तीसरे किरदार का रोल भी अहम हो गया है. ऐसा दावा है कि यूपी सरकार की मंत्री स्वाति सिंह कथित वायरल ऑडियो टेप में जिस व्यक्ति से बात कर रही हैं, वो सुदर्श अवस्थी हैं. सुदर्श अवस्थी ने एबीपी न्यूज़ से कहा कि स्वाति सिंह के साथ उनकी ये बातचीत जुलाई 2019 की है, जिसको अब उन्होंने ही सार्वजनिक किया है.


सुदर्श अवस्थी का कहना है कि उनका 2013 से दयाशंकर सिंह से सम्पत्ति का विवाद चल रहा है, जिसकी एफआईआर भी दर्ज कराई गई थी. इसके बाद जब कोई कार्रवाई नहीं हुई तो उन्होंने मंत्री स्वाति सिंह को एक चिट्ठी लिखी. इसी चिट्ठी को लेकर स्वाति सिंह ने जुलाई 2019 में उनको कॉल किया जिसकी रिकॉर्डिंग उनके पास थी.


हालांकि, सुदर्श का दावा है कि कुछ दिन पहले बीजेपी से जुड़े उनके मित्रों ने बताया कि स्वाति सिंह का टिकट काटकर बीजेपी दयाशंकर सिंह को टिकट दे सकती है. ऐसे में दयाशंकर सिंह को टिकट न मिले, इसलिए उन्होंने ढाई साल पुराना ऑडियो अब सार्वजनिक किया है.


पर, इस वायरल ऑडियो में ऐसा क्या है, जिसने चुनाव से एन पहले सूबे में सियासी तूफान ला दिया है? दरअसल, इसमें स्वाति किसी दूसरे शख्स से बातचीत में कथित तौर पर दावा कर रही हैं कि ''उनके पति दयाशंकर सिंह ने उनसे मारपीट की और उन्हें परेशान कर रहे हैं.'' वहीं इस ऑडियो के वायरल होने पर जब एबीपी न्यूज़ ने स्वाति से सवाल किया तो उन्होंने कहा कि यह बातचीत पुरानी है. लेकिन, दयाशंकर ने इस पर अपनी कोई सफाई देने की बजाय सिर्फ इतना ही कहा  ''जिसका ऑडियो है, उसी से पूछिए.''


जाहिर है कि बीजेपी के लिये अब ये मामला पेचीदा हो गया है क्योंकि अपनी मौजूदा मंत्री का टिकट काटकर अगर उनके पति को उसी सीट से चुनाव लड़ाया जाता है, तो विपक्ष इसे इतना तूल देगा,जो बीजेपी के लिए बैक फायर साबित हो सकता है. हालांकि, वायरल ऑडियो को लेकर यूपी बीजेपी के उपाध्यक्ष दयाशंकर सिंह का कहना है कि जानबूझकर प्रोपोगेंडा किया जा रहा है.


दयाशंकर सिंह ने कहा कि सुदर्श अवस्थी ये बताएं कि जो मकान उन्होंने बेच दिया उसका मेंटेनेंस वो पहले के मालिक से लें, रीसेल में जिसने मकान लिया, वो कैसे देनदार हो सकता है. उनका दावा है कि सुदर्श अवस्थी को कोई अधिकार नहीं है कि वो उनसे देनदारी मांगें. उन्हें टिकट न मिले इसके लिए जानबूझकर प्रोपोगेंडा किया जा रहा है.


यूपी के बलिया निवासी दयाशंकर को पिछले विधानसभा चुनाव से पहले साल 2016 में  बहुजन समाज पार्टी की मुखिया और पूर्व सीएम मायावती के खिलाफ विवादित बयान देने की वजह से पार्टी से निष्कासित कर दिया गया था.लेकिन साल 2017 में  सरकार बनने के बाद पार्टी में उनकी दोबारा वापसी हो गई थी. अब बड़ा सवाल ये है कि पति-पत्नी की ये अनबन लखनऊ में बीजेपी की चुनावी धार को कुंद कर पायेगी?



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