उज्जैन, उन्नीस अगस्त की रात, मोहर्रम का मौका और गीता कॉलोनी में जुटी भीड़ में हो गई ऐसी विवादित नारेबाजी जो विवाद का विषय बनी. अगले दिन जो वीडियो आया उसमें पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगाने के दृश्य सामने आए. सरकार सख्त हुई और राजद्रोह की धाराओं में सात नामजद और करीब बीस लोगों के खिलाफ मामले दर्ज हो गए. कुछ दिनों बाद बात आई कि वो पाकिस्तान नहीं काजी साहब जिंदाबाद के नारे थे लेकिन जितना नुकसान होना था हो चुका था. एक खास वर्ग की बदनामी, मीडिया का भारी कवरेज और आरोप में धरे गये लोग लंबे समय के लिये जेल में.


इंदौर, बाईस अगस्त की दोपहर, गोविंद नगर में एक चूड़ी वाले को स्थानीय लोगों ने जमकर पीटा, सामान की तलाशी ली. पता चला कि यूपी से आया है. साथ में दो आधार कार्ड है और नाम तस्लीम है. आरोप लगाया गया कि चूड़ी बेचने के बहाने छेड़छाड़ कर रहा था. वीडियो वायरल होता है तो रात में पिटाई के विरोध में बाणगंगा थाने का घेराव होता है. पुलिस पहले घेराव करने वालों पर कार्रवाई करती है. साथ ही चूड़ी वाले को पीटने वालों को भी पकड़ा जाता है और एक दिन बाद ही पढ़ने वाले तस्लीम को पॉस्को एक्ट के तहत पकड़कर जेल भेज दिया जाता है. वैसे इंदौर में पंद्रह अगस्त के बाद से लगातार ऐसी छोटी-छोटी घटनाएं हो रही थी, जिसमें दोनों समाजों में वैमनस्य बढ रहा था.


नीमच, छब्बीस तारीख को थाना सिंगोली में पुलिस को खबर मिली कि किसी चोर को पकड़ा है और उससे मारपीट की जा रही है. मौके पर पुलिस पहुंची तो देखा कि कान्हा भील को चोर समझकर कुछ लोगों ने बुरी तरह पीटा, पिकअप गाड़ी में पैर बांधकर घसीटा. जिससे बाद में उसकी मौत हो गई. बर्बरता का वीडियो वायरल हुआ और पुलिस ने आठ आरोपियों के खिलाफ मौत का मामला दर्ज किया और उनके घर गिराये और गिरफ्तार किया.


देवास, छब्बीस तारीख को हाटपिपलिया के बरौली गांव में टोस और जीरा बेचने वाले मुस्लिम फेरी वाले जहीर को बामनिया रोड के पास गांव के कुछ लोगों ने रोका, गांव में क्यों आये इस पर पूछताछ की, आधार कार्ड मांगा और नहीं मिलने पर मारपीट की. पुलिस ने दो लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया.


उज्जैन, उनतीस अगस्त, उज्जैन जिले के महिदपुर के सेकली गांव में पहुंचे कबाड़ी अब्दुल रशीद को गांव के कुछ लोगों ने रोका. गांव में आने पर ऐतराज जताया, उसकी गाड़ी से सामान फेंका और धौंस देकर जय श्री राम के नारे भी लगवाये. कबाड़ी की शिकायत पर अगले दिन पुलिस ने झाडला थाने में मारपीट का मामला दर्ज किया.


पिछले दिनों लगातार एक के बाद हुयी इन घटनाओं से मध्य प्रदेश खबरों में गर्माया रहा. बीच के पंद्रह महीनों को छोड़ दें तो 2005 से मध्य प्रदेश की सरकार चला रहे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान हमेशा मध्य प्रदेश को शांति का टापू कहते आये हैं तो ये प्रदेश अशांति का चौराहा क्यों बन बैठा है? ये सवाल प्रदेश की जनता के मन में है. ऐसा अचानक क्या हो गया है कि कुछ लोगों की हरकत के कारण प्रदेश की इतनी बदनामी हो रही है. मगर इन सारी घटनाओं को वीडियो के मार्फत से हम देखेंगे तो एक बात साफ नजर आती है, वो है समाज में बढ़ रही नफरत और वैमनस्यता. साथ ही कानून के डर का खत्म होना. कोई भी किसी को रोक कर परिचय पत्र मांगने लगता है. किसी के पहनावे पर ऐतराज करने लगता है. हमारे गांव क्यों आए? इस पर सवाल खड़े करने लगता है. मौका मिलते ही कानून को एक तरफ रखकर सामने वाले को सबक सिखाना शुरू कर दिया जाता है.


छोटे-छोटे गांव और कस्बों में मोरल पुलिसिंग के नाम पर गले में पट्टा डालकर किसी को भी सबक सिखाने वालों की एक नयी जमात पनप गयी है. जो किसी को चोर किसी को विदेशी एजेंट बताकर उसके साथ मारपीट पर उतारू हो जाती है. निश्चित ही ये घटनाएं दुखद और चिंताजनक है कि आखिर किस प्रकार का समाज हम अपने प्रदेश में बनाने जा रहे हैं. एक वर्ग विशेष को निशाना बनाना फासिज्म है. किसी के कहीं आने जाने पर पाबंदी लगाना कम्युनिस्ट देशों में होता है. धर्म और पहनावे के नाम पर नफरत फैलाने से देश फिर वैसा ही बंटेगा जैसा पचहत्तर साल पहले टूटा था.


इन पूरी घटनाओं में अच्छी बात ये है कि पुलिस ने कार्रवाई की है, सख्ती दिखाई है. मगर इन घटनाओं पर सरकार में बैठे जनप्रतिनिधी अक्सर चूक कर जाते हैं और हमेशा कमजोर के खिलाफ ही खड़े दिखते हैं. छोटी-छोटी घटनाओं को तालिबान और पाकिस्तान से जोड़कर देखने की और उनके नाम पर दूसरों को डराने की ये प्रवृत्ति खतरनाक है. भारी भरकम जुमलों को कैमरों के सामने बोलकर नेता-मंत्री के बयान सनसनी तो बन जाते हैं मगर इसके असर दूरगामी होते हैं. उन जैसी भाषा दूसरे लोग भी बोलने लगते हैं. हालांकि इन घटनाओं में एक और सबसे खतरनाक पक्ष है, वो है आम आदमी की खामोशी और चुप्पी. मध्य प्रदेश में पहले जैसी शांति रहे इसके लिए जरूरी है प्रशासन की सख्ती और आम जनता की इन घटनाओं को रोकने की प्रवृत्ति, तभी मध्य प्रदेश शांति का टापू बना रहेगा.


(नोट- उपरोक्त दिए गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. ये जरूरी नहीं कि एबीपी न्यूज ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.)