पूर्वोत्तर के तीन राज्यों में बीजेपी ने अपना परचम लहराने का हौसला तो बहुत दिखाया है. लेकिन क्या ऐसा मुमकिन है कि वो त्रिपुरा, मेघालय और नागालैंड में दोबारा वापसी कर ले. बेशक इन तीनों ही राज्यों के चुनाव में बीजेपी ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी थी. त्रिपुरा में तो अब तक बीजेपी की ही सरकार थी लेकिन नागालैंड और मेघालय में वो अब तक गठबंधन सरकार में ही रही. लेकिन, मेघालय में तो उसने अपनी हिंदुत्व की विचारधारा को छोड़कर ईसाई धर्म को ही सत्ता पाने का सबसे बड़ा औजार बना लिया था और उसने 60 सीटों पर अकेले ही चुनाव लड़ने का ऐतिहासिक फैसला भी लिया.


त्रिपुरा में तो मतदान पहले ही हो चुका था लेकिन नागालैंड और मेघालय में सोमवार को ही वोटिंग हुई है. तीनों राज्यों के विधानसभा चुनाव-नतीजे तो 2 मार्च को ही आएंगे लेकिन इससे पहले एग्जिट पोल के जो नतीजे आये हैं वे दिलचस्प भी हैं और बीजेपी के लिए कुछ खुशखबरी भरे भी हैं. हालांकि जिस मेघालय में गठबंधन से नाता तोड़कर अपने बूते पर ही बीजेपी ने सारी सीटों पर चुनाव लड़ने का जो फैसला लिया वो उसके लिए थोड़ा उल्टा पड़ता दिखाई दे रहा है. वहां अभी तक नेशनलिस्ट पीपुल्स पार्टी यानी एनपीपी की ही सरकार थी जिसमें बीजेपी और यूडीपी उसकी सहयोगी थी.


वैसे पूर्वोत्तर में त्रिपुरा ऐसा राज्य है, जहां पांच साल पहले बीजेपी ने अपने दम पर सरकार बनाई थी. लेकिन जैसे ही दिल्ली में बैठे पार्टी के शीर्ष नेतृत्व को ये अहसास हुआ कि वहां कुछ गड़बड़ है और विप्लव देब के नाम पर दोबारा चुनाव जीतना मुश्किल है तो पार्टी ने मुख्यमंत्री का चेहरा बदलने में जरा भी देर नहीं लगाई. शायद वही फैसला अब बीजेपी के लिए सौगात बनता दिख रहा है. गौरतलब है कि बीजेपी ने गुजरात, उत्तराखंड और कर्नाटक की तरह त्रिपुरा में भी मुख्यमंत्री का चेहरा बदल दिया था. बिप्लब देब को दो साल पहले ही सीएम पद से हटाकर माणिक साहा को मुख्यमंत्री बनाया था. कहा जा रहा है कि बीजेपी ने सीएम फेस बदलकर एंटी इनकंबेंसी की काट ढूंढ़ ली है. माणिक साहा जनता की पसंद के मामले में पहले नंबर पर हैं.


इंडिया टुडे-एक्सिस माय इंडिया के एग्जिट पोल के अनुसार, त्रिपुरा में 60 सीटों में से बीजेपी को 36-45 सीटें मिलने का अनुमान है. टीएमपी (टिपरा मोथा) को 9-16 सीटें मिलती दिख रही हैं. लेफ्ट+ को 6-11 सीटें और अन्य को कोई सीट मिलती नहीं दिख रही. वहीं जी न्यूज़-Matrize एग्जिट पोल ने भी त्रिपुरा में 29 से 36 सीटों के साथ बीजेपी की वापसी की भविष्यवाणी की है. एग्जिट पोल के अनुसार, त्रिपुरा में बीजेपी को 45 फीसदी वोट मिलने का अनुमान है. जबकि लेफ्ट+कांग्रेस को 32 फीसदी, टिपरा मोथा+ को 20 फीसदी और अन्य को 3 फीसदी वोट मिलने का अनुमान है. टाइम्‍स नाउ ईटीजी के एग्जिट पोल के अनुसार, बीजेपी को 21-27 सीटें, लेफ्ट को 18-24 सीटें मिलने का अनुमान है. जन की बात के अनुसार, बीजेपी को 29-40 सीटें, लेफ्ट को 9-16 सीटें मिलने का अनुमान है. इन सभी चार एग्जिट पोल के मुताबिक, बीजेपी+ को 32 सीटें, लेफ्ट+कांग्रेस को 15 सीटें मिलने का अनुमान है. यानी तकरीबन हर सर्वे वहां बीजेपी की वापसी का डंका बजा रहा है. चुनाव-नतीजों पर ये खरे उतर गए, तो इनका जयकारा लगेगा लेकिन झूठे साबित हुए तो लोग इन्हें गालियां देने से भी बाज नहीं आने वाले हैं.


नागालैंड की बात करें, तो वहां भी बीजेपी अपने गठबंधन के साथ सरकार में वापसी करती दिख रही है. यहां भी विधानसभा की 60 सीटें हैं. जी न्यूज़-Matrize के एग्जिट पोल ने नगालैंड में 35 से 43 सीटों के साथ बीजेपी-एनडीपीपी गठबंधन की भारी जीत की भविष्यवाणी की है. कांग्रेस को लगभग एक से तीन सीटें और एनपीएफ को दो से पांच सीटें मिल सकती हैं. वहीं इंडिया टुडे-एक्सिस माय इंडिया के एग्जिट पोल के अनुसार, नगालैंड की 60 सीटों में से बीजेपी-एनडीपीपी गठबंधन को 38-48 सीटें मिल सकती हैं. एनपीएफ को 3-8 सीटें, कांग्रेस को 1-2 सीटें और अन्य को 5-15 सीटें मिलने के आसार हैं. एग्जिट पोल के अनुसार, बीजेपी-एनडीपीपी गठबंधन को 49 फीसदी वोट मिल रहा है. एनपीएफ को 13 फीसदी, कांग्रेस को 10 फीसदी और अन्य को 28 फीसदी वोट मिलता नजर आ रहा है. 


टाइम्‍स नाउ ईटीजी के एग्जिट पोल के मुताबिक बीजेपी-एनडीपीपी को 39-49 सीटें, एनपीएफ को 4-8 सीटें मिलने का अनुमान है. जन की बात के अनुसार, बीजेपी-एनडीपीपी गठबंधन को 35-45 सीटें, एनपीएफ को 6-10 सीटें मिलने का अनुमान है. कांग्रेस को कोई सीट मिलती नहीं दिख रही. इन सभी चार एग्जिट पोल के मुताबिक, बीजेपी-एनडीपीपी को 42, कांग्रेस को 1, एनपीएफ को 6 सीटें मिलने का अनुमान है.यानी कई सालों तक राज करने वाली कांग्रेस का यहां पूरी तरह से सफाया होने का अनुमान है.


अब बात करते हैं, उस मेघालय की जहां 70 फीसदी से भी ज्यादा आबादी ईसाइयों की है और इसीलिए बीजेपी ने वहां की कुल 60 सीटों में से 90 फीसदी पर ईसाइयों को ही अपना उम्मीदवार बनाया था. बीजेपी ने ये बड़ा दांव शायद इसलिए खेला था कि अगर वह पूर्ण बहुमत न भी हासिल कर पाए फिर भी सरकार बनाने की चाबी उसके हाथ में ही रहे. लेकिन एग्जिट पोल के नतीजे कुछ और ही बयान कर रहे हैं. अगर ये नतीजे हक़ीक़त में बदल जाते हैं तो फिर बीजेपी और संघ को ये स्वीकारना पड़ेगा कि दो दशक की अथक मेहनत के बाद भी वे इस बहुसंख्य आबादी को ये भरोसा नहीं दिला पाए हैं कि बीजेपी ईसाई विरोधी नहीं है.


जी न्यूज-MATRIZE के एग्जिट पोल के अनुसार, एनपीपी को 21से 26 सीटें, बीजेपी को 6 से 11 सीटें, टीएमसी को 8 से 13 और कांग्रेस को 3 से 6 सीटें मिल सकती हैं. जबकि अन्य के खाते में 10 से 19 सीटें जाने का अनुमान है. इंडिया टुडे-एक्सिस माय इंडिया के एग्जिट पोल के अनुसार, एनपीपी को 18-24 सीटें, बीजेपी को 4-8 सीटें, कांग्रेस को 6-12 सीटें, टीएमसी को 5-9 सीटें और अन्य को 4-8 सीटें मिलने का अनुमान है. जबकि जन की बात के अनुसार, एनपीपी को 11-16 सीटें, बीजेपी को 3-7 सीटें, कांग्रेस को 6-11 सीटें मिलने का अनुमान है. इन सभी चार एग्जिट पोल के मुताबिक, एनपीपी को 20, कांग्रेस को 6, बीजेपी को 6 सीटें मिलने का अनुमान है. 


एग्जिट पोल के अनुसार, एनपीपी को 29 फीसदी वोट, कांग्रेस को 19 फीसदी, बीजेपी को 14, टीएमसी को 16 और अन्य को 11 फीसदी वोट मिलने का अनुमान है. यानी मेघालय त्रिशंकु जनमत की तरफ बढ़ रहा है, जहां एनपीपी को सरकार बनाने के लिए फिर किसी और पार्टी की बैसाखी का सहारा लेना पड़ेगा. देखना ये होगा कि वो ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस से दोस्ती करता है या फिर कम सीटें मिलने के बावजूद बीजेपी से ही अपनी पुरानी दोस्ती को बरकरार रखता है. हालांकि ये भी सच है कि पूर्वोत्तर के राज्य केंद्र सरकार से मिलने वाले फंड के रहमोकरम पर ही निर्भर होते हैं,इसलिये उनकी पहली प्राथमिकता केंद्र में बैठी सत्तारुढ़ पार्टी के साथ ही हाथ मिलाने की होती है. इसलिए चुनाव अलग लड़ने औऱ कम सीटें हासिल करने के बावजूद वहां की सत्ता में बीजेपी की ही भूमिका अहम होने वाली है.


(नोट- उपरोक्त दिए गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. ये जरूरी नहीं कि एबीपी न्यूज़ ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.)