दिल्ली-एनसीआर के 80 से ज्यादा स्कूलों में ईमेल के जरिए बम रखे होने की खबर फर्ज़ी निकली. भारत में पहले भी ऐसे ईमेल, कॉल्स आती रही हैं आौर फर्ज़ी साबित हुई हैं. लोकसभा चुनाव के दौरान ऐसी खबरें चुनावों के साथ शान्ति व्यवस्था पर प्रभाव डालती हैं. लेकिन एक सच यs भी है कf ज्यादातर कॉल फ़र्ज़ी होतीं हैं, पर इतिहास क्या कहता है? क्या एसी धमकियों को गंभीरता से लिया जाना चाहिये या नहीं? मसला तो ये है कि जहां नागरिकों की बात आती है, तो हर एक को ऐसी धमकियों को गंभीरता से लेना ही होगा. 


स्कूलों का काम सराहनीय


दिल्ली-एनसीआर के 80 से ज्यादा स्कूलों में ई-मेल के जरिए बम रखे होने की धमकी मिली. ये बहुत ही गंभीर मामला था. वैसे तो खबर फर्ज़ी निकली, लेकिन इसको स्कूल या पुलिस-प्रशासन हल्के में नहीं ले सकता. ये बच्चों की जिंदगी का सवाल है, इसलिए इसको हल्के में नहीं ले सकते हैं. हर एक स्कूल में मेल मिलते ही त्वरित कार्रवाई हुई और सबको खाली करवाया गया. हालांकि, कहीं से कुछ अवांछित नहीं हुआ और अब दिल्ली पुलिस और क्राइम ब्रांच इस बात की जांच कर रही है कि आखिर इसके पीछे कौन लोग थे और इसका मकसद क्या था?


जिन ई-मेल के जरिए ये धमकी आयी है, उनके सर्विस प्रोवाइडर की जिम्मदेारी है कि जल्द से जल्द पता लगाकर वह पुलिस को बताएं. इसलिए उम्मीद की जानी चाहिए कि इस साजिश के पीछे छिपे लोगों का जल्द पता चल जाएगा. इसमें कोई संदेह नहीं होना चाहिए. भारत में पहले भी ऐसी ई-मेल, कॉल्स आती रही हैं, और फर्ज़ी साबित हुई हैं. ई-मेल मिलने के तुरंत बाद स्कूल प्रशासन ने स्कूलों से बच्चों को बाहर निकाला. साथ ही, पुलिस के बम निरोधक दस्ते ने दिल्ली-एनसीआर के स्कूलों की बारीकी से जांच की, जिसमें बम की बात झूठी निकली पुलिस और स्कूल प्रशासन का काम सराहनीय था.



साइबर पुलिस करे पूरी जांच


पिछले कई सालों से दिल्ली या कहीं भी बम विस्फोट नहीं हुए हैं. इसके लिए हमारी पुलिस, खुफिया एजेंसियां, देश के रक्षक सभी जिम्मेदार हैं और उनकी बड़ाई होनी चाहिए. शायद यही वजह है कि इस साजिश के पीछे जो लोग भी हैं, वे स्कूलों की शांति को भंग कर पैनिक फैलाना चाहते थे. वैसे, बाकी सारा मामला तो पुलिस की पूरी जांच के बाद ही पता चलेगा. जैसी उसकी भाषा है, उस हिसाब से जांच का विषय ये भी है कि किसी मुस्लिम संगठन ने सचमुच ये किया है या उसके नाम का सहारा लेकर किसी और ने यह कांड किया है. फिलहाल तो यही लगता है कि किसी ने अफरातफरी मचाने के लिए यह शरारत की है.


बच्चों और पैरेंट्स में तो खासकर पैनिक फैला, दिल्ली पुलिस ने भी अपना पूरा ध्यान इधर लगाया. दिल्ली की शांति भंग करने का पहला कारण तो साफ दिखता है, विशेष जानकारी तो जांच एजेंसी अपना काम कर ही रही हैं. दिल्ली पुलिस की साइबर सेल को आईपी एड्रेस की जांच में पता लगा है कि आईपी एड्रेस किसी दूसरे देश का है. अब जांच एजेंसी सर्विस प्रोवाइडर से संपर्क करेंगी और यूजर की जानकारी मांगेंगी. लोकसभा चुनाव के फैक्टर को नकारा नहीं जा सकता है. आम चुनाव के बीच इस फ़र्ज़ी धमकी का मक़सद जितना दिख रहा है उस से बड़ा हो सकता है. 


राजनीतिक संवेदनशीलता


हमारे देश में तो किसी भी बात पर राजनीति हो सकती है. जो बातें कहीं नहीं होतीं, उन पर भी राजनीति चमकने लगती है. बस, कोई भी बहाना चाहिए. ये इलेक्शन का दौर है, जब भी मामले का खुलासा होगा तो वो मुद्दा बनेगा ही. इसमें किसी आतंकवादी संगठन का हाथ हो सकता है, किसी विदेशी ताकत की संलिप्तता भी हो सकती है.


मेरे कार्यकाल के दौरान भी ऐसे कॉल्स आते थे जिसमे कहा जाता था कि उस जगह बम है, 'रोक सको तो रोक लो" और कुछ घंटों में वो बम फट भी जाते थे. ऐसे में इन धमकियों को गंभीरता से लेना जरुरी हो जाता है. कई बार हवाई अड्डों पर धमकी आयी है, बाद में कुछ हुआ नहीं हो, लेकिन वहां जो षडयंत्रकारी पकड़े जाते थे, उनका मकसद बाद में पता चलता था कि वे उड़ान को अटकाना चाहते थे, भटकाना चाहते थे.


राजनीतिक बहस तभी हो जाएगी, जब ये पकड़े जाएंगे और उसके तुरंत बाद बहस शुरू हो जाएगी. जहां तक ईमेल का विदेशी सर्वर से किये जाने का सवाल है, तो साइबर क्राइम ने तो देशों की सीमा तोड़ दी है. यह जहां से भी हुआ है, उसका पता चल जाएगा और उसके बाद उन पर सख्त कार्रवाई होगी. 


कानूनों में लाएं और सख्ती


संसद को ऐसे अपराधों के लिए बने प्रावधानों को और सख्त करना चाहिए और इन्हे गैर जमानती अपराधों की श्रेणी में डालना चाहिए. ऐसे अपराधों की सुनवाई फ़ास्ट ट्रैक की तर्ज़ पर होनी चाहिए ताकि अपराधी के मन में कानून का भय हो. साथ ही धमकी भरी कॉल ईमेल मिलने पर बच्चों स्कूल प्रशासन को सतर्क रहना चाहिए, किसी भी अजनबी चीज के करीब नहीं जाना चाहिए.


अजनबी व्यक्ति को देखने पर पुलिस को जानकारी दें साथ ही पुलिस को ऐसे मामलों को प्रायोरिटी देनी चाहिए जिस से अपराधी की पहचान कर उसे सज़ा मिल पाए .स्कूलों को टारगेट करना सबसे कायरतापूर्ण है जिसका मकसद बच्चों के साथ उनके अभिभावकों को डराना है. भारत में गनीमत से अब तक स्कूल में बम फटने की घटना नहीं हुई है, लेकिन कुछ सालों से मिल रही धमकियों से  साफ़ खतरे का अंदाजा होता है.



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