भारतीय जनता पार्टी ने अपनी 38 सदस्यीय राष्ट्रीय टीम की घोषणा कर दी है  और लोकसभा चुनावों के मद्देनजर राष्ट्रीय टीम में उत्तर प्रदेश से 8 चेहरों को शामिल किया गया है. इसमें 3 नाम ऐसे हैं, जो अपने पुराने पद पर बने हुए हैं, वहीं 5 नए चहेरों को राष्ट्रीय टीम में जगह दी गयी है.


बीजेपी की अगड़े, पिछड़े और पसमांदा के साथ आगामी लोकसभा चुनाव में उतरने की तैयारी है. धौरहरा लोकसभा सीट से सांसद रेखा वर्मा को फिर से राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाया गया है. वहीं राज्यसभा सांसद और पूर्व में भाजपा उत्तर प्रदेश अध्यक्ष रहे लक्ष्मीकांत बाजपेई को भी राष्ट्रीय उपाध्यक्ष की नई जिम्मेदारी दी गयी है.


पसमांदा समुदाय से आने वाले एमएलसी तारिक मंसूर को राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाकर पसमांदा मुसलमानों को साधने की कोशिश की गई है. एक बार फिर से सांसद अरुण सिंह को राष्ट्रीय महामंत्री और शिवप्रकाश को राष्ट्रीय सह संगठन मंत्री की जिम्मेदारी दी गयी है. वहीं भाजपा के वरिष्ठ नेता एवं राज्यसभा सांसद राधामोहन अग्रवाल को राष्ट्रीय महामंत्री और उत्तर प्रदेश सरकार में पूर्व मंत्री रहे राजेश अग्रवाल को फिर से कोषाध्यक्ष की जिम्मेदारी देकर वैश्य वोट को साधने की कोशिश की गयी है. गुर्जर समाज से आने वाले राज्यसभा सदस्य सुरेंद्र सिंह नागर को राष्ट्रीय सचिव बनाया गया है.


पसमांदा मुस्लिमों को साधने की कोशिश


अभी हाल ही में सदस्य विधान परिषद बनाए गए बनाये गए अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के पूर्व वाइस चांसलर तारिक मंसूर को राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाया गया है. तारिक मंसूर अल्पसंख्यक (पसमांदा) समाज से आते हैं.


पिछले काफी दिनों से भाजपा, उत्तर प्रदेश में पसमांदा मुसलमानों का समर्थन पाने के लिए जगह-जगह कार्यक्रम कर कर रही है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मंचों से पसमांदा समाज के सामाजिक,आर्थिक विकास की बात कह रहे हैं.


बता दें कि उत्तर प्रदेश में करीब सवा दो करोड़ पसमांदा मुस्लिम हैं. इस लिहाज से भाजपा उन्हें साधकर अपना एक नया वोट बैंक खड़ा करना चाहती है. इसलिए तारिक मंसूर को पहले एमएलसी बनाया और अब उन्हें राष्ट्रीय टीम में शामिल कर राष्ट्रीय उपाध्यक्ष जैसा महत्वपूर्ण पद दिया गया है.


भाजपा के वरिष्ठ नेता एवं राज्यसभा सांसद लक्ष्मीकांत बाजपेयी को लगातार बड़ी जिम्मेदारियां मिल रही हैं. इस बार उन्हें राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाया गया है. भाजपा के मजबूत ब्राह्मण चेहरे और कार्यकर्ताओं के बीच तेजतर्रार छवि रखने वाले लक्ष्मीकांत बाजपेई को 2022 में भाजपा ने राज्यसभा भेजा था. उसके बाद उन्हें राज्यसभा में मुख्य सचेतक बनाया गया. उसके बाद झारखण्ड प्रभारी, गुजरात विधानसभा चुनाव में जूनागढ़ की जिम्मेदारी दी गयी और अब राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाया गया है.


2017 चुनाव में हार के बाद लक्ष्मीकांत बाजपेयी करीब 6 वर्षों तक साइडलाइन रहे लेकिन उन्होंने एक समर्पित कार्यकर्ता की तरह कभी भी पार्टी की मर्यादा के खिलाफ कोई बयान नहीं दिया और पूरे समर्पण भाव से पार्टी की सेवा में लगे रहे. उनकी सहजता, सरलता और कार्यकर्ताओं के लिए जमीनी संघर्ष आज भी राजनीतिक गलियारों में चर्चा का केंद्र बनती है. भाजपा के मजबूत ब्राह्मण चेहरे सांसद हरीश द्विवेदी को इस बार राष्ट्रीय टीम में जगह नहीं मिली है. पिछली बार उन्हें राष्ट्रीय सचिव बनाया गया था. हालांकि राजनीतिक गलियारों में आगामी मोदी मंत्रिमंडल विस्तार में उनके केंद्रीय मंत्री बनने की भी चर्चा है. 


वैश्य समाज को डबल हिस्सेदारी


वैश्य समाज हमेशा से भाजपा का समर्पित वोट बैंक रहा है. इसलिए  राज्यसभा सदस्य राधा मोहन अग्रवाल को राष्ट्रीय महामंत्री और राजेश अग्रवाल को फिर से कोषाध्यक्ष बनाया गया है. इस तरह से वैश्य समाज से दो चेहरे देकर भाजपा ने वैश्य समाज के प्रतिनिधित्व को डबल कर दिया है.


राजेश अग्रवाल पहली योगी सरकार में कैबिनेट मंत्री थे लेकिन बाद में उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था. इसके कुछ दिनों बाद उन्हें राष्ट्रीय संगठन की जिम्मेदारी दी गयी. राजेश अग्रवाल, भाजपा के वरिष्ठ नेता  हैं और उनकी पृष्ठभूमि संघ की रही है. वह 5 बार से बरेली कैंट एवं शहर से भाजपा विधायक चुने गए. वैश्य समाज में उनकी मजबूत पकड़ है.


गोरखपुर से चार बार विधायक रहे राधामोहन अग्रवाल ने सीएम योगी आदित्यनाथ के लिए 2022 में अपनी सीट छोड़ दी थी. उसी सीट से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पार्टी ने चुनाव लड़ाया था. टिकट कटने के कुछ दिनों बाद से ही पार्टी में उनका कद बढ़ता चला गया. पहले उन्हें राज्यसभा भेजा गया. फिर केरल में भाजपा का सहप्रभारी और लक्षद्वीप का प्रभारी बनाया गया. अब उन्हें राष्ट्रीय महामंत्री पद की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंपी गई है. वैसे, 2022 में टिकट न मिलने पर समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने उन्हें अपनी पार्टी से टिकट देने के लिए कहा था लेकिन उन्होंने मना कर दिया और पूरी निष्ठा के साथ पार्टी के प्रति समर्पित रहे.


उत्तर प्रदेश में कई लोकसभा सीटों पर कुर्मी मतदाता प्रभावी भूमिका में हैं. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के उत्तर प्रदेश से चुनाव लड़ने की चर्चा के बाद कुर्मी वोट को साधने के लिए भाजपा ने धौरहरा से सांसद रेखा वर्मा को राष्ट्रीय उपाध्यक्ष के पद को बरकरार रखा है. दोबारा रेखा वर्मा को राष्ट्रीय उपाध्यक्ष के पद की जिम्मेदारी दी गयी है. 


गुर्जर वोट पर भाजपा की नजर


पश्चिमी उत्तर प्रदेश में गुर्जर वोट प्रभावी भूमिका में है. 2013 के मुजफ्फरनगर दंगों के बाद भाजपा गुर्जर समाज का विश्वास जीतने में सफल रही. पश्चिमी यूपी में गुर्जर समाज काफी संख्या में है और इनकी नाराजगी किसी भी पार्टी का खेल बिगाड़ सकती है. गाजियाबाद, बिजनौर, शामली, मेरठ, बागपत, सहारनपुर सहित कई सीटों पर गुर्जर वोट प्रभावी भूमिका में है. इसलिए भाजपा ने राष्ट्रीय टीम में प्रदेश उपाध्यक्ष और राज्यसभा सदस्य सुरेंद्र नागर को राष्ट्रीय सचिव बनाया है. इससे जहां एक ओर भाजपा मध्यप्रदेश और राजस्थान में होने वाले विधानसभा चुनावों में गुर्जर वोट को साधेगी और लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में गुर्जर समाज को जोड़ने में कामयाब रहेगी. इसके साथ ही पश्चिमी उत्तर प्रदेश में गुर्जर और राजपूत समाज के बीच चल रहे विवाद को भी मैनेज करने में भाजपा को आसानी रहेगी.



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