अगर आप बीते दिनों को ऊंगलियों पर जोड़ेगे तो दिन तो मुश्किल से करीब सौ ही बीते हैं लेकिन इन बीते सौ दिनों में श्रीलंका की टीम बिल्कुल बदल गई है. श्रीलंका की टीम इसी साल जुलाई में अपने ही घर में शुरू हुई टेस्ट सीरीज के मुकाबले अलग जोश में है. आपको याद दिला दें कि इसी साल भारतीय टीम के श्रीलंका दौरे में मेजबान टीम को ‘व्हाइटवॉश’ का सामना करना पड़ा था.


तीन टेस्ट मैचों की सीरीज में पहले टेस्ट में 304 रन, दूसरे टेस्ट में पारी और 53 रन और तीसरे टेस्ट मैच में पारी और 171 रनों से श्रीलंकाई टीम को हार का मुंह देखना पड़ा था. ये सीरीज 14 अगस्त 2017 को खत्म हुई थी. इसके बाद श्रीलंकाई टीम ने पाकिस्तान के खिलाफ दो टेस्ट मैच खेले. पहला टेस्ट मैच अबू धाबी में और दूसरा दुबई में खेला गया. बिल्कुल ही बदले अंदाज में दिखी श्रीलंकाई टीम ने इन दोनों टेस्ट मैच में जीत हासिल की है. श्रीलंका ने पहले टेस्ट मैच में पाकिस्तान को 21 रन और दूसरे टेस्ट मैच में 68 रन से हराया.


दुबई, जो एक किस्स से पाकिस्तान का घरेलू मैदान है वहां पाकिस्तान के लिए ये हार करारा झटका है. इन हालिया नतीजों को दिमाग में रखकर विराट कोहली को श्रीलंका के खिलाफ टेस्ट सीरीज के लिए मैदान में उतरना होगा. ऐसा इसलिए भी क्योंकि श्रीलंकाई टीम को एशियाई पिचों का लगभग वैसा ही अंदाजा है जैसा मेजबान टीम इंडिया को.


टीम इंडिया के लिए सावधानी में ही सुरक्षा है


यूं तो टेस्ट क्रिकेट में भारतीय टीम इस समय जबरदस्त प्रदर्शन कर रही है. वो आईसीसी रैंकिंग्स में पहले पायदान की टीम भी है. बावजूद इसके बदले हालात में उसे समझबूझ कर फैसले करने होंगे. दरअसल, टीम इंडिया मैनेजमेंट ने इस टेस्ट सीरीज के लिए हार्दिक पांड्या को आराम देने का फैसला किया है. दूसरी तरफ टीम मैनेजमेंट 5 फुलटाइम गेंदबाजों के साथ मैदान में उतरने के मूड में भी है.


ऐसे में मुसीबत यही है कि बतौर ऑलराउंडर टीम में हार्दिक पांड्या की कमी साफ दिखाई देगी. भारतीय टीम के साथ बल्लेबाजी को लेकर परेशानी नहीं है. फिर भी एक फुलटाइम गेंदबाज को खिलाने का मतलब है कि एक बल्लेबाज कम करना होगा. इस उधेड़बुन का इस सीरीज के नतीजे पर निश्चित असर दिखेगा. पाकिस्तान के खिलाफ शानदार बल्लेबाजी करने वाले दिमुथ करूणारत्ने से भारतीय गेंदबाजों को सावधान रहना होगा. उन्होंने पाकिस्तान के खिलाफ दोनों ही मैचों में मैचविनिंग पारियां खेली और मैन ऑफ द सीरीज रहे. दिलरूवान परेरा और रंगना हेराथ ने गेंदबाजी में भी अच्छा प्रदर्शन किया है. कप्तान दिनेश चांदीमल भी पिछली सीरीज के मुकाबले बेहतर प्रदर्शन करने के लिए बेचैन हैं.


नहीं भूलनी चाहिए पिछली सीरीज की परिस्थितियां


श्रीलंका की टीम कभी भी इतनी खराब नहीं रही कि मैदान में संघर्ष किए बिना हथियार डाल दे. अब भी टीम ऐसी नहीं है कि उसे आंख मूंदकर हराया जा सकता हो, दरअसल पिछली सीरीज में एक के बाद एक हार के पीछे और भी कई वजहें थीं. बड़ी से बड़ी टीम के साथ कभी कभार ऐसा होता है जब एक के बाद एक हर बात उसके खिलाफ चली जाती है. भारत के खिलाफ पिछली सीरीज से पहले श्रीलंका के साथ भी ऐसा ही हुआ था. उस सीरीज के ठीक पहले श्रीलंका को जिम्बाब्वे के खिलाफ वनडे सीरीज गंवानी पड़ी थी. जिसके बाद कप्तान एंजेलो मैथ्यूज से इस्तीफा दे दिया था.


इसके बाद तो कुछ ऐसा संयोग हुआ कि पूरी सीरीज के दौरान आधा दर्जन खिलाड़ियों को बदल बदल कर कप्तानी की जिम्मेदारी देनी पड़ी. पहले टेस्ट मैच के लिए अनुभवी स्पिन गेंदबाज रंगना हेराथ को टीम की कमान सौंपी गई थी. दूसरे टेस्ट मैच में कप्तानी का जिम्मा दिनेश चांदीमल को दिया गया था. चांदीमल की कप्तानी से भी नतीजे में कोई फर्क नहीं पड़ा. भारत ने पारी और 53 रनों के अंतर से मैच पर कब्जा किया. इसके बाद वो अनफिट हो गए तो लसिथ मलिंगा ने भी कप्तानी संभाली. कप्तानों के लगातार बदलने का सिलसिला वनडे सीरीज में भी चलता रहा. विराट कोहली और उनके खिलाड़ियों के लिए बेहतर होगा कि इस सीरीज को भी ‘मेरिट’ के हिसाब से ही खेलें पुराने रिकॉर्ड्स के आधार पर नहीं.