श्रीलंका में वनडे और टी20 सीरीज खेलने के लिए बीसीसीआई ने ज़्यादातर भारत के रिज़र्व टीम के खिलाड़ियों को मौका दिया है. भले ही ये सीरीज भारत बनाम श्रीलंका के बीच है, लेकिन वैसे देखा जाए तो ये इंडिया - A टीम है. इसी बात पर विश्व विजेता श्रीलंका के पूर्व कप्तान अर्जुन रणतुंगा गुस्सा हैं. उनका गुस्सा श्रीलंकाई क्रिकेट बोर्ड को लेकर है. उनका सवाल है कि श्रीलंका कैसे भारत के खिलाफ खेलने को राजी हो गया जब विराट कोहली, रोहित शर्मा समेत भारत के टॉप के खिलाड़ी इस सीरीज में नही खेल रहे है. रणतुंगा कह रहे है कि ये श्रीलंकाई क्रिकेट का अपमान है.


अब सवाल ये है कि क्या श्रीलंका ने सही निर्णय लिया है या नहीं? वास्तविकता ये है कि श्रीलंकाई क्रिकेट बोर्ड कई और देशों की क्रिकेट बोर्ड की तरह कोरोनाकाल में आर्थिक रूप से बहुत ही खराब स्थिति पर है. देश के कई खिलाड़ी बोर्ड से दिए गए सेंट्रल कॉन्ट्रैक्ट से भी नाराज़ है. वजह ये है कि सेंट्रल कॉन्ट्रैक्ट में पैसे इतने कम दिए जा रहे है कि कोई भी खिलाड़ी एक या दो देशों में टी-20 लीग खेलकर उससे ज़्यादा रकम 30/40 दिन में ही कमा सकता है.


अब हाल ही में श्रीलंकाई टीम की परफॉरमेंस भी देखा जाए तो इसमें कहने लायक कुछ है नहीं. अर्जुन रणतुंगा खुद जिस समय क्रिकेट खेले है या फिर उसके बाद के लगभग दो दशक तक श्रीलंका दुनिया की कोई भी टीम के खिलाफ टक्कर देता रहा. लेकिन अब इस टीम का हाल इतना खराब है कि भारत के रिज़र्व टीम को हराना भी उनके लिए काफी मुश्किल साबित हो सकता है.


कोरोनाकाल में बैक टू बैक मैच कम हो रहा हैं. अलग शहर में जाकर खिलाड़ियों को बार-बार जब क्वारन्टीन होना पड़ रहा है. इसी वजह से क्रिकेटिंग डेज भी अब पहले से कम हो गए हैं. इंग्लैंड में ही देखा जाए तो न्यूजीलैंड के खिलाफ वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप के फाइनल मुकाबले खेलने के बाद भारतीय टीम एक महीना से ज़्यादा समय तक इंग्लैंड में ब्रेक में रहेगी. कम क्रिकेट का ब्रॉडकास्टर को भी नुकसान हो रहा है. ब्रॉडकास्टर ने जो कि पहले से ही भारी रकम खर्च कर क्रिकेट की राइट्स खरीदी है उनको नुकसान तो आगे क्रिकेट इंडस्ट्री के लिए ये खराब संकेत हो सकता है.


ऐसे में बीसीसीआई की तरफ से इस श्रीलंका दौरे में खेलने का निर्णय लिया गया है. भारतीय टीम की रिज़र्व बेंच भी अब इतना मजबूत है कि श्रीलंका, बांग्लादेश जैसे टीमों के खिलाफ आराम से वनडे या फिर टी20 सीरीज खेल सकती है. बीसीसीआई के ये निर्णय इसीलिए बिल्कुल सही है. जहां क्रिकेट में कोरोनाकाल में नंबर ऑफ प्लेइंग डेज कम हो गया है, एडवरटाइजर भी कम पैसे खर्च कर रहे है, अलग अलग क्रिकेट बोर्ड के पास पैसे कम है, क्रिकेटर्स को कॉन्ट्रैक्ट देने के लिए उनके हाथ मे रकम नही है. ऐसे में अगर ऐसा ही चलता रहा तो कल श्रीलंका क्रिकेट बोर्ड का हाल भी केन्या की तरह हो सकता है. वो केन्या जिस टीम ने वर्ल्ड कप का सेमीफाइनल तक खेला था और अब जहां क्रिकेट ही लगभग खत्म हो गया है.


ऐसी स्थिति में भारत, ऑस्ट्रेलिया, इंग्लैंड जैसी टीमें अगर कमज़ोर टीमों के खिलाफ खेलने के लिए रिज़र्व टीम भेजती हैं और उससे नंबर ऑफ क्रिकेटिंग डेज भी बढ़ता है तो क्रिकेट इकॉनमी को भी फायदा होता है.


अर्जुन रणतुंगा भले ही कह रहे है कि बीसीसीआई रिज़र्व टीम भेजने से श्रीलंकाई क्रिकेट का अपमान हुआ है. लेकिन देखा जाए तो श्रीलंकाई क्रिकेट को इस स्थिति में ब्रॉडकास्टर से जो पैसे मिलेंगे उस पैसे से क्रिकेटरों के कॉन्ट्रैक्ट के साथ साथ जूनियर और घरेलू क्रिकेट में भी खर्च करने का मौका मिलेगा.


आखिर क्रिकेट भी खेल के साथ साथ एक इंडस्ट्री है. कोरोनाकाल में श्रीलंका जैसे छोटे देशों के लिए सर्वाइव करना आसान नहीं है. ऐसे में खराब फॉर्म में चल रही श्रीलंकाई टीम के खिलाफ भारत के रिज़र्व खिलाड़ियों की इस सीरीज से क्रिकेट का कोई नुकसान होने की संभावना नहीं है.


(नोट- उपरोक्त दिए गए विचार व आंकड़े लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. ये जरूरी नहीं कि एबीपी न्यूज़ ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.)