Uzbekistan SCO Summit 2022: उज़्बेकिस्तान के समरकंद (Samarkand) शहर में शंघाई सहयोग संगठन शिखर सम्मेलन (SCO Summit) के मंच पर भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) अपनी छाप छोडने में कामयाब हुए हैं. उन्होंने दुनिया को संदेश दिया है कि ये युग युद्ध का नहीं बल्कि कूटनीति का है, यानी बातचीत के जरिये हर मसले को सुलझाया जा सकता है. सम्मेलन से इतर रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन (Vladimir Putin) के साथ हुई द्विपक्षीय बैठक में भी मोदी ने इसी बात पर ही ज़ोर दिया. 


पुतिन से हुई बातचीत में मोदी ने एक तरफ जहां भारत के हितों का पूरा ख्याल रखा तो वहीं, रुस को शांति के रास्ते पर आगे बढ़ने की सलाह देते हुए इशारा दे दिया कि अब उसे यूक्रेन के साथ युद्ध खत्म कर देना चाहिये, जिसमें पूरी दुनिया की ही भलाई है.


बता दें कि आठ देशों के प्रभावशाली एससीओ समूह का शिखर सम्मेलन ऐसे समय में हुआ, जब यूक्रेन पर रूस के हमले और ताइवान के खिलाफ चीन के आक्रामक सैन्य रुख के कारण भू-राजनीतिक उथल-पुथल मची हुई है, लेकिन पीएम मोदी ने तमाम ताकतवर देशों के नेताओं को युद्ध की बजाय बुद्ध के रास्ते यानी शांति के पथ पर आगे बढ़ने की दोटूक सलाह देने में कोई कोताही नहीं बरती. 


दरअसल, पीएम मोदी रुस के अलावा चीन को भी ये संदेश देना चाहते थे कि वह ताइवान पर हमला करने की रणनीति को अंजाम देने की बजाय कूटनीति का सहारा ले. गौरतलब है कि इस साल फरवरी में शुरू हुए यूक्रेन संकट के बाद पीएम मोदी और राष्ट्रपति पुतिन की ये पहली मुलाकात थी. एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, दोनों नेताओं की बातचीत में द्विपक्षीय मुद्दों के अलावा क्षेत्रीय और वैश्विक विषयों पर भी चर्चा हुई. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने बताया कि पीएम मोदी और राष्ट्रपति पुतिन की मुलाकात में वैश्विक खाद्य और ऊर्जा सुरक्षा, आतंकवाद और यूक्रेन के ताज़ा हालात पर भी बात हुई है.


जबकि पीएमओ के ट्विटर हैंडल से कहा गया है कि दोनों नेताओं के बीच भारत-रूस संबंधों को और मजबूत बनाने से जुड़े विषयों पर सकारात्मक बातचीत हुई है. याद दिला दें कि यूक्रेन पर हमले के लिए भारत ने रूस की कभी आलोचना नहीं की है. भारत का रुख यूक्रेन के मसले पर यही रहा है कि इस संकट का बातचीत के जरिए हल निकाला जाना चाहिए.पुतिन से हुई बैठक के दौरान मोदी ने कहा कि आज भी दुनिया के सामने जो सबसे बड़ी समस्याएं हैं, खासकर विकासशील देशों के लिए फूड सिक्योरिटी, फ्यूल सिक्योरिटी, उर्वरकों की जो समस्याएं हैं, उसपर हमें रास्ते निकालने होंगे और आपको भी उसपर पहल करनी होगी.


पीएम मोदी ने कहा कि मैं रूस और यूक्रेन का आभार व्यक्त करना चाहूंगा कि संकट काल की शुरुआत में जब हमारे हजारों छात्र यूक्रेन में फंसे थे, तब आपकी और यूक्रेन की मदद से हमारे छात्रों को हम निकाल पाए. बातचीत के दौरान पुतिन ने पीएम मोदी को रूस आने का न्यौता दिया और प्रधानमंत्री मोदी ने भविष्य में रूस-भारत के रिश्ते और अधिक मजबूत होने की उम्मीद जताई. हालांकि मोदी ने ये माना कि भारत और रूस के संबंध पहले से कहीं अधिक मजबूत हुए हैं और दुनिया हमारी दोस्ती से अच्छी तरह परिचित है. 


पीएम मोदी ने कहा कि हमारी दोस्ती 22 साल से लगातार मजबूत हो रही है, लेकिन इस सच को भी स्वीकारना होगा कि आज का युग युद्ध का नहीं है, इसलिये हमें बातचीत से मुद्दों को सुलझाना चाहिए. पुराने रिश्तों का हवाला देते हुए मोदी ने पुतिन से ये भी कहा कि हमें मिलकर काम करना होगा और शांति के रास्ते पर आगे बढ़ना होगा. दरअसल, रूस ने भारत को सस्‍ती दरों पर तेल तो मुहैया कराया है लेकिन रुस-यूक्रेन युद्ध पर अपनी तटस्थ नीति के चलते भारत अब अमेरिका और पश्चिमी देशों के निशाना पर आ गया है.


चीन (China) के खिलाफ जोरदार मोर्चाबंदी बना रहा अमेरिका (America) भारत को एक सहयोगी देश तो मानता है, लेकिन मास्को से नई दिल्‍ली की बढ़ती हुई दोस्‍ती अब उसे खटकने लगी है. यूक्रेन (Ukraine War) की जंग की वजह से अब भारत पर दबाव बढ़ता जा रहा है कि वह रूस का विरोध करे और व्‍यापार भी बंद करे, लेकिन मोदी ने पुतिन के साथ हुई इस द्विपक्षीय बैठक के जरिये दुनिया को संदेश दे दिया है कि भारत किसी दबाव में आये बगैर रुस के साथ अपने रिश्तों को और गहरा करते हुए एक नए मुकाम तक ले जाना चाहता है.



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