हर साल 14 फरवरी को वेलेंटाइन डे मनाया जाता है और इस बार इसे 'Cow Hug Day' यानी गाय को गले लगाने के दिवस के रुप में मनाने का ऐलान किया गया,जिसे बहुत सराहा भी गया था.लेकिन सोशल मीडिया पर बहुत सारे लोगों ने इसे बीजेपी के हिंदुत्व के मुद्दे से जोड़ते हुए न सिर्फ इसका मज़ाक बनाया, बल्कि सरकार के इस फैसले की खुलकर धज्जियां भी उड़ाईं. अब इसे एक धर्मनिरपेक्ष देश में सरकार की मजबूरी समझें या विपक्ष को एक चुनावी मुद्दा न बनाने की वजह समझा जाये, पर सरकार को 10 फरवरी को अपना ये फैसला वापस लेने पर मजबूर होना पड़ा है.


लेकिन हकीकत ये है कि भारत में जिस गाय को गौ माता और कामधेनु समझा जाता है, उसकी कद्र आज विदेशों में हमसे भी बहुत ज्यादा हो गई है. इसलिये कि इसी गाय को गले लगाने से बहुत सारी बीमारियों का उपचार हो रहा है. cow cuddling therapy यानी गाय से लिपटने की ये चिकित्सा अब वहां प्रोफेशन का ऐसा जरिया बनती जा रही है, जिसमें कमाई होने के साथ लोगों का भला भी हो रहा है. 


हमारे यहां लोगों ने बेशक इस फैसले का मजाक उड़ाया हो लेकिन सच ये है कि दुनिया में इस पर हुई  बहुत सारी गहन रिसर्च का नतीजा ये है कि गाय से लिपटना,लोगों के स्वास्थ्य को बेहतर करता है और आपके तनाव,ब्लड प्रेशर और हार्ट बीट को नियंत्रण में लाने में ये काफी हद तक मददगार भी साबित होता है.


लेकिन भारत के मामले में पशु वैज्ञानिकों की ये राय भी अहम है कि आप अगर सड़क पर घूमती हर गाय को गले लगाने की कोशिश करते हैं,तो हो सकता है कि आपको उसे सींगो के हमले का सामना करना पड़े. वह इसलिये कि गाय ऐसा समझदार पशु है, जो किसी अनजान को अपना स्पर्श नहीं करने देती. 


इसलिए जरूरी है कि वह गाय भी कुछ हद तक आपसे परिचित हो. वैसे महानगरों में तो गायें देखने को ही नहीं मिलतीं लेकिन आपने देखा होगा कि छोटे शहरों-कस्बों में गाय प्रतिदिन घर के बाहर आकर खड़ी हो जाती है क्योंकि वे अभ्यस्त हो जाती हैं कि फलां घर से उन्हें खाने की कोई सामग्री अवश्य मिलेगी.


वैसे नीदरलैंड ऐसा देश है जहां पिछले कई बरसों से वहां के लोग गाय से लिपटकर,उसे गले लगाते हुए तनाव से जुड़ी अपनी कुछ बीमारियों को दूर करते आये हैं. लेकिन वैश्विक तौर पर इसकी शुरुआत साल 2020 में ही देखने को मिली, जब लोगों ने अपना तनाव दूर करने के लिए फार्म हाउस में पाली हुई गायों के बीच जाकर उनके साथ तीन घंटे का वक्त बिताना शुरू कर दिया.


हालांकि अमेरिका में भी अब लोग इस तरीके को बेहद तेजी से अपना रहे है.समूचे अमेरिका में ऐसे बहुत सारे फॉर्म्स हैं,जो लोगों को ये सुविधा उपलब्ध करा रहे हैं. जाहिर है कि ये उनका प्रोफेशन है और इसके बदले में वे मोटी फीस भी वसूल कर रहे हैं. वैज्ञानिकों के मुताबिक जब आप किसी पशु के साथ गले लगकर प्यार से मिलते हैं, तो आपके शरीर से बहुत सारे ऐसे हार्मोन्स बाहर निकल आते हैं,जो आपके दिमागी तनाव को कम करने के साथ ही उसके साथ लगाव जोड़ते हुए खुशी का अहसास कराते हैं.


दुनिया में गायों पर अब तक जितनी भी स्टडी हुई हैं, वे बताती हैं कि चूंकि मनुष्यों के मुकाबले गायों की हार्ट बीट कम होती है लेकिन उनके शरीर का तापमान ज्यादा होने और आकार बड़ा होने के कारण वे उससे लिपटने वाले मनुष्य को रिलैक्स करने के साथ ही अनजानी खुशी का भी अहसास दिलाती है. 


साइंस की एक अंतरराष्ट्रीय व प्रतिष्ठित पत्रिका में छपे एक लेख के अनुसार जानवरों से संबंध जोड़ने की ये थेरेपी किसी भी मनुष्य के मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर करने में कारगर साबित हुई है. विशेषज्ञ कहते हैं कि जब आप किसी जानवर के संपर्क में लगातार रहते हैं,तो आपके दिमाग तंतुओं से serotonin और  endorphins नामक दो हार्मोन निकलते हैं,जो तनाव कम करने और खुश करने के साथ ही आपके ब्लड प्रेशर व हार्ट बीट को भी कम करते हैं.


जानवरों के जरिये लोगों की चिकित्सा करने वाले डॉ. वॉरेन कोर्सन लाइसेंसशुदा प्रोफेशनल है ,जिनका सेंट्रल कनेक्टिकट में 50 एकड़ में फैला चिकित्सीय फार्म है,जहां उन्होंने गायों के अलावा मुर्गे, खरगोश और बत्तख पाली हुई हैं. वे कहते हैं कि ये सही है कि महज गाय का आलिंगन करना ही पारम्परिक चिकित्सा पद्धति की जगह नहीं ले सकता है.


लेकिन ये भी मानना होगा कि ऐसे बहुत सारे लोग हैं,जो प्रकृति से अपना जुड़ाव खो चुके हैं, इसलिये उनके ये लिए स्पर्श बेहद जरुरी बन जाता है.वैसे भी दुनिया में गाय ही ऐसा पशु है,जो सुंदर होने के साथ ही बुद्धिमान भी हैं और जिसे देखकर आपके भीतर खुद ब खुद ही सहानुभूति उमड़ पड़ती है.संसार में इकलौती गाय ही ऐसी है,जो हमारा पोषण भी करती है.


हमारे देश में और खासकर हिंदू धर्म में गाय को इतना पवित्र माना गया है कि उसे गौ माता का दर्जा दिया गया है.आज भी गांवों में जो लोग गाय पालते हैं,वे उसकी देखभाल अपने एक बच्चे की तरह ही करते हैं. गायों के बीच रहने वाले लोग दिन भर में अनगिनत बार उसका आलिंगन करते हैं.शायद इसीलिये देश के गांवों में रहने वाली आबादी बड़े शहरों के मुकाबले ज्यादा स्वस्थ भी है और तमाम तरह के मानसिक तनावों से अछूती भी है.


बेशक सरकार ने 14 फरवरी को गाय को गले लगाना का फैसला वापस ले लिया हो लेकिन उसका आलिंगन करने का मौका तलाशते रहिये क्योंकि उसका नुकसान नहीं, विदेशी मुल्क हमें उसके फायदे ही बता रहे हैं.


नोट- उपरोक्त दिए गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. ये जरूरी नहीं कि एबीपी न्यूज़ ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.