यूक्रेन पर हमला करने की पहली बरसी से ऐन पहले रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने अमेरिका समेत पश्चिमी देशों को अंजाम भुगतने की जो चेतावनी दी है, उससे साफ है कि आने वाले दिनों में दो मुल्कों के बीच जारी ये जंग व्यापक युद्ध का रूप ले सकती है. अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन की यूक्रेन यात्रा से भड़के पुतिन ने कहा है कि रूस बेहद सावधानी व व्यवस्थित तरीके से अपने लक्ष्य को पूरा करेगा, जिसका नतीजा अमेरिका को भुगतना होगा. आगामी शुक्रवार यानी 24 फरवरी को रूस सेना के यूक्रेन पर हमले का एक साल पूरा हो जायेगा. इसलिए रक्षा विशेषज्ञों का आकलन है कि जिद्दी पुतिन उस दिन किसी ऐसे खतरनाक हमले को अंजाम दे सकते हैं कि यूक्रेन की ये लड़ाई अब दो महाशक्तियों की जंग में तब्दील हो सकती है.


हालांकि अमेरिका को भी ये अहसास है कि रूस किसी बड़े हमले की तैयारी में है.शायद यही वजह थी कि राष्ट्रपति बाइडन ने सोमवार को अचानक यूक्रेन पहुंचकर रूस को ये संदेश दिया कि वो आखिरी वक्त तक यूक्रेन के साथ खड़ा रहेगा. यही नहीं,उन्होंने यूक्रेन को 500 मिलियन डॉलर की अतिरिक्त सहायता देने का भी ऐलान किया. अमेरिका के इस रुख से रूस का भड़कना स्वाभाविक था.लिहाज़ा, पुतिन ने मंगलवार को राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में पश्चिमी देशों पर जमकर हमला बोला.उन्होंने कहा, “यह वे (देश) हैं, जिन्होंने युद्ध शुरू किया और हम इसे खत्म करने के लिए बल प्रयोग कर रहे हैं.” राष्ट्रपति के संबोधन का रूस के सभी सरकारी टीवी चैनल पर प्रसारण किया गया लेकिन उनके संबोधन से पहले ही रूस की सरकारी समाचार एजेंसी रिया नोवोस्ती ने घोषणा कर दी थी कि यह ऐतिहासिक होगा.


पुतिन ने कहा कि “अगर अमेरिका परमाणु हथियार परीक्षण करता है, तो रूस भी ऐसा करने के लिए तैयार है”.रक्षा -जगत में उनके इस बयान को बेहद अहम इसलिये माना जा रहा है कि साल भर बाद भी रूसी सेना  यूक्रेन की राजधानी कीव पर कब्जा नहीं कर पाई है.इसलिये संभव है कि पुतिन अब इसके लिए अपने आखिरी ब्रहास्त्र यानी परमाणु हथियार का इस्तेमाल करने से भी परहेज़ न करें.अगर ऐसा हुआ,तो वह दुनिया को वर्ल्ड वार की तरफ धकेल देंगे. पुतिन के मुताबिक पश्चिमी देश जानते हैं कि युद्ध के मैदान में रूस को हराना असंभव है, इसलिए उन्होंने ऐतिहासिक तथ्यों को गलत तरीके से प्रस्तुत करके दुष्प्रचार हमले शुरू किए.


रूसी संस्कृति, धर्म और मूल्यों पर हमला किया. युद्ध को जायज बताते हुए पुतिन ने दावा किया कि उनकी सेना यूक्रेन के क्षेत्रों में नागरिकों की रक्षा कर रही है.लेकिन पुतिन के इस दावे को संयुक्त राष्ट्र ने ही झुठला दिया है. बीते हफ्ते ही संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार विभाग ने इस जंग में हताहत हुए नागरिकों के आधिकारिक आंकड़े जारी किये हैं. इसके मुताबिक पिछले साल 24 फरवरी से लेकर इस साल  बीती 12 तारीख़ तक यूक्रेन में 7,199 लोग मारे गए हैं,जबकि 18,955 नागरिक जख्मी हुए है,जिनमें महिलाएं और छोटे बच्चे भी शामिल हैं. इस एक साल में 75 लाख से भी ज्यादा लोगों को अपना घर-बार छोड़कर कहीं और शरण लेने पर मजबूर होना पड़ा है.जाहिर है कि इस तबाही के लिये चीन को छोड़कर बाकी सारी दुनिया रूस को ही कसूरवार मानती है.


पुतिन के संबोधन के फौरन बाद चीन ने भी उसके ही सुर में सुर मिलाना शुरू कर दिया है.अमेरिका और उसके सहयोगी देशों द्वारा यूक्रेन को प्रदान की जा रही सैन्य सहायता का जिक्र करते हुए चीन के विदेश मंत्री चिन गांग ने कहा, ‘‘हम संबंधित देशों से यह अपील भी करते हैं कि आग में घी डालने का काम फौरन बंद कर दें, चीन को जवाबदेह ठहराना बंद करें और आज यूक्रेन, कल ताइवान के विमर्श को हवा देना बंद करें.’’हालांकि उन्होंने ये भी कहा कि उनका देश रूस और यूक्रेन के बीच संघर्ष को समाप्त करने में भूमिका निभाना चाहता है क्योंकि चीन इस बात को लेकर चिंतित है कि करीब एक साल से चल रहा युद्ध और बढ़ सकता है तथा नियंत्रण से बाहर हो सकता है.


इस बीच यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की ने जर्मनी के न्यूज पेपर डाई वेल्ट को दिए एक इंटरव्यू से इस आशंका को और भी ज्यादा मजबूत कर दिया है कि रूस और चीन मिलकर दुनिया को विश्व युद्ध की तरफ धकेल रहे हैं.जेलेंस्की ने चीन को आगाह करते हुए कहा है कि वह रूस को युद्ध में मदद न करे वरना इससे वर्ल्ड वॉर की स्थिति पैदा हो सकती है. जेलेंस्की ने चीन को चेतावनी देते हुए कहा कि ये जरूरी है कि वो रूस को किसी भी हालत में समर्थन न करें. कुछ विदेशी रिपोर्ट के मुताबिक चीन रूस को सर्विलांस से जुड़ी चीजें मुहैया कराने के साथ ही उसे खतरनाक तरीके के हथियार भी दे रहा है. 


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