Raj Ki Baat: कांग्रेस पर उसके अपने सलाहकार प्रशांत किशोर ने तंज मारा. कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी की लखीमपुर खीरी कांड की सक्रियता पर पीके का ये तंज था कि देश की सबसे पुरानी पार्टी को इससे कोई फायदा नहीं मिलेगा. इसके बाद लोगों ने कांग्रेस में पीके का अध्याय समाप्त होने की भविष्यवाणी कर दी. ये कुछ हद तक ठीक भी हो सकता है, लेकिन इस पूरे घटनाक्रम से राज की सबसे बड़ी बात उभर कर सामने आई. पहली तो ये कि कांग्रेस में सलाहकारों के दिन लद चुके हैं. फैसले परिवार के अंदर हो रहे हैं और उसमें किसी का दखल नहीं है. दूसरा अब प्रियंका गांधी जितनी हमलावर बीजेपी की तरफ होंगी, साथ ही अब समाजवादी पार्टी पर भी कोई मुरव्वत नहीं की जाएगी. 


लखीमपुर खीरी कांड ने उत्तर प्रदेश की सियासत में भूचाल ला दिया. किसानों और आंदोलनकारियों के समर्थन में सभी दलों ने सत्ताधारी बीजेपी पर हल्ला बोल दिया. कानून-व्यवस्था बिगड़ने के भय से सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव से लेकर प्रियंका गांधी तक सभी छोटे-बड़े नेताओं को जगह-जगह रोका गया. कहीं नजरबंद तो कहीं हिरासत तो कहीं गिरफ्तारी भी हुई. इस पूरी उठापटक के बीच प्रियंका गांधी के तेवर और योगी प्रशासन से उनका टकराना ही सुर्खियों में रहा. यूपी में निरंतर न रहने और मुद्दों पर बात न करने के आरोपों से जूझती रही प्रियंका ने इस दफा खासे लड़ाकू तेवर दिखाए. इस पूरी झड़प या टकराव का कोई भी पहलू कैमरे की नजर से अछूता न रहे और लोगों तक पूरी शिद्दत से पहुंचाया जा सके, यह भी उनकी टीम सुनिश्चित कर रही थी. हरियाणा से सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा के साथ शाहजहांपुर में पुलिस से सवाल-जवाब कर प्रोटेस्ट करतीं प्रियंका से लेकर हिरासत में अपने कमरे में झाड़ू लगाने तक का हर विजुअल टीवी और सोशल मीडिया के जरिये जनता तक पहुंचा.


राज की बात ये है कि जब ये घटना पिछले रविवार की शाम तक सामने आनी शुरू हुई तो तय हुआ था कि प्रियंका दूसरे दिन सवेरे लखीमपुर खीरी की तरफ रुख करेंगी. उनके सलाहकारों की भी यही राय थी. मगर प्रियंका खुद यूपी में अपने लोगों से बात कर रही थीं और उन्होंने भाई राहुल गांधी से विमर्श किया. राहुल का भी पहले विचार यही था कि सवेरे चला जाए, लेकिन प्रियंका ने कहा कि तब तक देर हो जाएगी. खास बात ये है कि पंजाब के घटनाक्रम के बाद से पीके से भी प्रियंका ने फिलहाल बातचीत लगभग बंद सी ही कर रखी है. प्रियंका ने राहुल और मां सोनिया गांधी को बताकर दीपेंद्र हुड्डा के साथ घटनास्थल की तरफ मार्च कर दिया.


राज की बात ये है कि प्रियंका इस तरह से भिड़ंत वाले तेवर दिखाएंगी, उनकी टीम को भी इसकी खबर नहीं थी. प्रियंका के उधर रवाना होते ही दिल्ली से राहुल गांधी ने छत्तीसगढ़ और पंजाब के मुख्यमंत्रियों समेत कांग्रेस की टीम को भी यूपी रुख करने के लिए कहा. उधर, सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव लखनऊ में अपने घर पर ही रोक दिए गए थे. मगर सड़क पर उतरीं प्रियंका और उनके समर्थकों के साथ दिल्ली से यूपी कूच ने सियासी माहौल को गरमा दिया.


राज की बात ये है कि यूपी में सपा के साथ गठबंधन को उत्सुक प्रियंका का लगातार अखिलेश की उपेक्षा से मन भर गया है. पीके समेत पार्टी में तमाम लोग थे जो कि अखिलेश से संबंध अच्छे रखने की पैरोकार हैं, लेकिन प्रियंका का अब साफ कहना है कि कांग्रेस के पास प्रदेश में खोने को कुछ नहीं है. बीजेपी विरोधी वोट न बंटे, इसकी जिम्मेदारी सिर्फ हमारी नहीं. अन्य दलों को भी सोचना पड़ेगा. यही कारण था कि प्रियंका ने लखीमपुर खीरी कांड में न सिर्फ सियासी मजमा लूटा, बल्कि अखिलेश पर भी तंज कर दिया. उन्होंने कहा कि लड़ तो कांग्रेस ही रही है और वो तो सिर्फ ट्वीट करते हैं.


दरअसल, जिस तरह से कांग्रेस के तमाम नेता सपा में जा रहे हैं, उससे प्रियंका विचलित और नाराज भी हैं. कांग्रेस के नेता ललितेश त्रिपाठी और विजेंद्र सिंह सपा में जा चुके हैं. चर्चा है कि सहारनपुर से इमरान मसूद भी साइकिल की सवारी कर सकते हैं. ऐसे में जहां प्रियंका कांग्रेस और सपा का गठजोड़ चाहती थीं, वहीं उनकी पार्टी ही टूटकर अखिलेश के साथ जा रही है तो वह कांग्रेस महासचिव को अखर गया.


खास बात ये है कि लखीमपुर खीरी का असर तराई के साथ-साथ अवध तक जाने की आसार हैं. बीजेपी की संगठनात्मक दृष्टि से देखें तो अवध में 15 संगठनात्मक जिले और 16 लोकसभा सीटें हैं, जिनमें 13 पर वह जीती थीं. कुल 82 विधानसभा सीटों में से 67 सीटें बीजेपी जीती थी. ज्यादातर पर टक्कर सपा से थी. परंपरागत रूप से अवध का इलाका अखिलेश के लिए मजबूत रहा है. लिहाजा प्रियंका अब वहां पर भी पूरा जोर लगा रही हैं, ताकि अखिलेश को अंततः गठबंधन के लिए तैयार किया जा सके, नहीं तो कांग्रेस अपनी जड़ें मजबूत करने में जुटे.


वैसे योगी सरकार ने भी सायास या अनायास प्रियंका को इस मुद्दे पर बड़ा बनने का अवसर दिया. पहले तो रोका और फिर जाने की अनुमति देनी पड़ी. इसी तरह प्रियंका के झाड़ू लगाने पर जिस तरह से योगी ने टिप्पणी की. उसे भी लपकने में कांग्रेस नेत्री ने देर नहीं लगाई. अब सबसे बड़ा सवाल कि किसानों के मुद्दे पर मीडिया में छाने के बाद क्या प्रियंका अब क्या योगी आदित्यानथ की ‘झाड़ू वाले’ बयान को ‘चाय वाला’ सियासत में तब्दील कर पाएंगी. जैसा कि मणिशंकर अय्यर के नरेंद्र मोदी पर ‘चायवाला’ बयान पर बीजेपी ने माहौल बदलकर रख दिया था.


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