कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने भारत पर बेतुका बयान दिया, हालांकि कुछ घंटों बाद वह अपने बयान पर लीपापोती करते भी नजर आए. ट्रूडो ने कहा था कि भारत ने एक कनाडाई नागरिक की हत्या करवाई है. भारत ने इस पर तल्ख प्रतिक्रिया दी है और कनाडा के शीर्ष राजनयिक को देश से निकलने को कह दिया है. कनाडा के बयान पर ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया ने भी उनको सावधानी से बयान देने की सलाह दी है. खुद कनाडा का विपक्ष ट्रूडो से सबूत मांग रहा है. कुल मिलाकर कनाडा के प्रधानमंत्री चौतरफा घिर गए हैं. 


ट्रूडो करा रहे हैं फजीहत


वर्तमान में भारत और कनाडा के संबंध अपने निचले स्तर पर हैं. जिस तरह का वाकया हुआ है और जिस तरह कनाडा निचले स्तर की राजनीति कर रहा है, वह बताता है कि जस्टिन ट्रूडो को बदलते अंतरराष्ट्रीय संबंधों और भारत के बढ़ते रुतबे की जानकारी नहीं है. वह अपनी घरेलू पॉलिटिक्स और चंद सीटों के लिए कनाडा की भारी फजीहत करवा रहे हैं. मुझे लगता है कि आनेवाले समय में जस्टिन ट्रूडो के नेतृत्व वाले कनाडा का यह रुख बना रहा, तो वह अंतरराष्ट्रीय मंचों पर अलग-थलग पड़ सकता है. उनको अगर वोटों का ही खयाल है, तो कनाडा में बढ़ती बेरोजगारी पर काम करना चाहिए, भुखमरी को रोकना चाहिए और जिस तरह कनाडा की आर्थिक स्थिति बद से बदतर होती जा रही है, उस पर ध्यान देना चाहिए. हालात तो यहां तक बिगड़ गए हैं कि जी20 समिट, दिल्ली से जब उनको वापस लौटना था, तो प्लेन की खराबी की वजह से उनको दो दिनों तक यहीं टिके रहना पड़ा.


ऐसा भी नहीं है कि पहली बार उनका जहाज खराब हुआ है. वह कई बार खराब हो चुका है, लेकिन कनाडा के पास इतने पैसे नहीं हैं कि वह नया प्लेन खरीद सके. ये बात यहीं तक नहीं रुकती है. कनाडा का जो आधिकारिक प्रधानमंत्री आवास है, वह इस कदर खंडहर बन चुका है कि वहां कोई अधिकारी नहीं रहना चाहता है. खुद जस्टिन ट्रूडो भी अपने निजी आवास में ही रहते हैं, क्योंकि आधिकारिक घर को ठीक करवाने में अच्छी-खासी रकम खर्च होगी और कनाडा फिलहाल गरीबी से गुजर रहा है. तो, कनाडा के हित में होगा कि वह अपना घर सुधारें और खालिस्तानी आतंकियों पर नकेल कसें, न कि चंद सीटों की खातिर भारत को उकसाएं या मनगढ़ंत आरोप लगाएं.



कनाडा की साख भी दांव पर


अगर जस्टिन ट्रूडो पूरे कनाडा की साख को दांव पर लगा देंगे, तो वह बहुत अंधकारमय राजनीति कर रहे हैं, यह कनाडा के भविष्य के लिए भी ठीक नहीं है. कनाडा पिछले कई वर्षों से केवल पश्चिमी ताकतों के कंधे पर चढ़कर खुद को ताकतवर समझने की भूल कर रहा है. उसकी अंतरराष्ट्रीय हैसियत कुछ नहीं है, केवल पश्चिमी देशों की वजह से वह फल-फूल रहा है. हालांकि, उसकी हाल की जो कार्रवाई है, उसने पश्चिमी देशों को भी चिंतित कर दिया है. इसीलिए, कल जब ट्रूडो का बेतुका बयान आया तो ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका ने उनसे कहा कि जब आप क्रेडिबल सबूतों की बात कर रहे हैं, तो उसे पेश तो कीजिए. ट्रूडो के पास सबूत हों तब तो पेश करें. इसीलिए, जब भारत ने उसके शीर्ष राजनयिक को देश-निकाला दिया और संबंधों को और भी कम करने की बात कही, तो कनाडा पूरी तरह से कांप उठा और जस्टिन भी लीपापोती करने लगे. वह शायद भूल गए थे कि यह नया भारत है और यह अनर्गल बयान या हरकतें नहीं सहेगा. जी20 में भी प्रधानमंत्री मोदी ने ट्रूडो को खालिस्तानी तत्वों पर अंकुश लगाने की सलाह पूरी कड़ाई से दी थी. यह ट्रूडो का शायद फ्रस्ट्रेशन है, उनकी कुंठा है जो अब उनके सिर पर चढ़कर बोल रही है. वह खालिस्तानियों से घिरे हुए हैं और यही उनके और उनकी पार्टी के ताबूत में अंतिम कील साबित होंगे.


अंतरराष्ट्रीय हैसियत घटी, हो रही फजीहत


कनाडा के प्रधानमंत्री ने अपने देश की अंतरराष्ट्रीय फजीहत करवा दी है. उन्होंने तो कनाडा को पाकिस्तान के बराबर लाकर खड़ा कर दिया है. जिस तरह भारत ने अपने राजनय और कूटनीति से पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर अलग-थलग किया, उसकी धरती से होनेवाली भारत-विरोधी गतिविधियों को पूरी दुनिया को दिखाया है और सबूत सहित पाकिस्तान को आतंकी राष्ट्र बताया है, वही हाल कनाडा का भी आनेवाले दिनों में हो जाएगा. जी20 में सभी देशों ने सर्वसम्मति से आतंकवाद के खिलाफ स्टैंड लिया है, जिस पर ट्रूडो के भी हस्ताक्षर हैं. इसमें साफ सहमति है कि कोई भी देश अपनी जमीन का इस्तेमाल आतंकी गतिविधियों में नहीं होने देगा. मुझे लगता है कि कनाडा को अपने किए पर अमल करना चाहिए.


ब्रिटेन, अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया भी ये कर रहे हैं. कनाडा को भी यह करना चाहिए, क्योंकि यह बात किसी से छिपी नहीं है कि कनाडा के खालिस्तानी किस तरह भारत के विरोध में आतंक और हिंसा पर उतारू हैं. श्रीमती इंदिरा गांधी की हत्या की झांकी बनाना हो, या सड़कों पर प्रदर्शन हो, कनाडा में खालिस्तानी बेखौफ हो गए हैं. अभी कल ही यानी 19 सितंबर को उन्होंने कनाडा में बयान दिया है कि भारत के जितने हिंदू कनाडा में रहते हैं, वे उसे छोड़कर चले जाएं, वरना उनके साथ बुरा व्यवहार होगा.


घर संभाले ट्रूडो, आतंक पर करें कार्रवाई


जस्टिन ट्रूडो को उस पर कार्रवाई करनी चाहिए, लेकिन वह भारत के खिलाफ ऊलजलूल बयान दे रहे हैं. एक कनाडाई सिंगर का भारत में कंसर्ट होनेवाला था, जिसने भारत का कटा हुआ मानचित्र साझा किया है. जस्टिन ट्रूडो को समझना चाहिए कि उनको कहां बोलना चाहिए और कहां नहीं, किन मसलों पर कार्रवाई करनी चाहिए औऱ किन पर नहीं. अगर उनका ऐसा ही हाल रहा तो जल्द ही कनाडा भी आतंकी देश गिना जाने लगेगा. इतना ही नहीं, वह आगामी चुनाव भी हार सकते हैं, क्योंकि केवल खालिस्तानी तो उनको जिता नहीं पाएंगे. कनाडा का विपक्षी दल भी ट्रूडो के बेतुके बयानों से हलकान-परेशान है. सच पूछा जाए तो ट्रूडो कई स्तरों पर कनाडा में डिस्क्रेडिट हो चुके हैं और जो घरेलू असंतोष है, जिसे वह संभाल नहीं पा रहे हैं. ऐसे में उनको लगता है कि खालिस्तानी ही उन्हें बचा सकते हैं. वह उनके जाल में फंस चुके हैं. उनको लगता है कि ये ही एक कांस्टिच्युऐन्सी है जो उनको 12 सीटें दिलवा सकते हैं. इनके लिए ही वह पूरे कनाडा की साख को दांव पर लगा रहे हैं, जो खुद कनाडा के भविष्य के लिए ठीक नहीं है. भारत के साथ अब तक कनाडा के व्यापारिक संबंध अच्छे हैं, अगर वह और नीचे गए तो कनाडा की अर्थव्यवस्था पर भी काफी असर पड़ेगा और अगर वह इसी तरह खालिस्तानियों के हाथ का खिलौना बनते रहे, तो उनका राजनीतिक अंत बेहद नजदीक है. ट्रूडो जितनी जल्दी जाग जाएं, उतनी जल्दी उनके लिए सवेरा हो जाएगा.



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