देश के 16वें राष्ट्रपति के चुनाव के लिए सत्ता पक्ष और विपक्ष की गहमागहमी तेज हो गई है. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सर्वानुमति बनाने के मकसद से बुधवार को जहां विपक्षी नेताओं से बात की ,तो वहीं शरद पवार की अध्यक्षता में विपक्षी दलों के नेताओं की दिल्ली में बैठक हुई लेकिन इसमें संयुक्त विपक्ष के किसी एक उम्मीदवार के नाम पर फिलहाल सहमति नहीं बन पाई है.


शरद पवार चुनाव लड़ने से इनकार कर चुके हैं,लिहाजा अब फ़ारूक़ अब्दुल्ला व गोपाल कृष्ण गांधी के नाम की चर्चा है.गांधी पश्चिम बंगाल के राज्यपाल रह चुके हैं और वे महात्मा गांधी के पोते हैं.साल 2017 में उप राष्ट्रपति पद के लिए हुए चुनाव में वे विपक्ष के उम्मीदवार थे लेकिन वैंकेया नायडू से चुनाव हार गए थे.


राष्ट्रपति चुनाव में इलेक्टोरल कॉलेज वोट का गणित देखें तो अगर समूचा विपक्ष एकजुट हो जाता है, तो उसका पलड़ा भारी है और मुकाबला दिलचस्प हो सकता है. आकड़ों के मुताबिक 48 प्रतिशत इलेक्टोरल कॉलेज वोट बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए के साथ है, जबकि कांग्रेस की अगुवाई वाले यूपीए के पास ये 38 प्रतिशत है. लेकिन 14 प्रतिशत कॉलेज वोट पर ममता बनर्जी की टीएमसी, नवीन पटनायक की बीजेडी, जगन मोहन रेड्डी की वाईएसआर कांग्रेस और वाम दलों का कब्जा है. इस तरह से अगर हम पूरे विपक्ष की ताकत देखें तो 52 प्रतिशत इलेक्टोरल कॉलेज वोट उनके पास हैं.


अगर किसी जादुई छड़ी से सारा विपक्षी वोट एकजुट रहे तो न सिर्फ मुकाबला रोचक हो सकता है बल्कि विपक्ष बाज़ी जीत भी सकता है.लेकिन इसकी उम्मीद इसलिये नहीं दिखती की सभी विपक्षी दलों को एकजुट रख पाना,एक ही टोकरी में दर्ज़नों मेंढकों को संभालकर रखने जैसा है. इनमें टीएमसी और लेफ्ट का स्टैंड तो जाहिर है कि वे यूपीए के साथ रहेंगे लेकिन जगन रेड्डी और नवीन पटनायक के बारे में कोई ये दावा नहीं कर सकता कि वे अंत तक विपक्षी खेमे में ही बने रहेंगे. पटनायक ने हाल ही में प्रधानमंत्री से मुलाकात की थी और बताते हैं कि उसका मकसद राष्ट्रपति चुनाव में समर्थन से ही जुड़ा हुआ था.


पहले ये माना जा रहा था कि राष्ट्रपति चुनाव को लेकर मुख्य विपक्षी होने के नाते कांग्रेस लीड करेगी लेकिन उसकी पहल पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने की.उनके बुलावे पर ही विपक्षी दलों की बैठक हुई जिसमें कांग्रेस सहित कई दलों ने हिस्सा लिया. इसमें कांग्रेस का हिस्सा लेना मजबूरी थी क्योंकि सोनिया और राहुल गांधी पर ईडी की तलवार लटक रही है. इस लड़ाई में कांग्रेस को अन्य विपक्षी दलों का साथ चाहिए.


इस बैठक में ममता बनर्जी ने राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के लिए शरद पवार के नाम का प्रस्ताव रखा था. लेकिन उन्होंने यह कहते हुए मना कर दिया कि वे अभी राजनीति में ही सक्रिय रहने वाले हैं. राष्ट्रपति उम्मीदवार तय करने के लिए विपक्षी दलों की अगली बैठक 21 जून को होने की संभावना है. इस बीच चर्चा है कि आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी की वाईएसआर कांग्रेस पार्टी (YSRCP) राष्ट्रपति चुनाव में एनडीए के उम्मीदवार का समर्थन करने पर विचार कर रही है. हालांकि इस मामले में अभी आधिकारिक घोषणा नहीं की गई है. लेकिन अगर ऐसा होता है,तब विपक्षी एकता की सारी कवायद बेकार हो जाएगी और राष्ट्रपति का चुनाव महज औपचारिकता बनकर रह जायेगा.


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