खुद के नेता पर संगीन आरोप, अपनी ही पुलिस पर नजरअंदाज करने का आरोप, सुप्रीम कोर्ट की सिफारिश पर जांच के बाद होती सख्ती, सख्ती के बाद सुस्ती की वजह की खुलती कलई और कलई खुलने के साथ ही सामने आती सियासत। चिन्मयानंद केस में सरकार और सिस्टम इसी तरह सवालों के घेरे में रहा है और अब ये सियासी जंग बढ़ती जा रही है। योगी सरकार पर लोकतंत्र को कुचलने के आरोप लग रहे हैं। विपक्ष का दावा है कि सरकार अपनी आलोचना सुनना नहीं चाहती है, विरोधियों को कानून की आड़ में कुचलना चाहती है।


ये मसला उठा है शाहजहांपुर पीड़ित के समर्थन में प्रदर्शन और पदयात्रा करने की जुगत में लगे कांग्रेस नेताओं पर शिकंजा कसने के बाद। कांग्रेस के सदन में नेता प्रतिपक्ष अजय कुमार लल्लू, वरिष्ठ नेता प्रमोद तिवारी की बेटी अनुराधा मिश्रा की गिरफ्तारी के अलावा पूर्व मंत्री जितिन प्रसाद को नजरबंद कर दिया गया। सरकार के रवैये को विरोध का हथियार बनाते हुए कांग्रेस ने ट्वीटर से लेकर मीडिया तक मोर्चा खोल दिया। खुद प्रियंका गांधी ने धारा 144 के दुरुपयोग का आरोप लगाया है। हालांकि, सरकार इसे कानून व्यवस्था में खलल मानती है और उसका दावा है कि कानून से खिलवाड़ करने वाले को किसी भी सूरत में खुला नहीं छोड़ा जा सकता है।


हालांकि, एक बड़ा मसला जो विरोधी उठा रहे हैं वो ये भी है कि चिन्मयानंद पर लगे संगीन आरोपों के बीच पीड़ित पर भी उसी समय में कानूनी कार्रवाई की जा रही है। इस मसले पर पीड़ित पिता की तरफ से भी बयान आया है जिसमें परिवार का कहना है कि संगीन आरोपों के बावजूद चिन्मयानंद जेल की बजाय अस्पताल में बीमारी के नाम पर समय काट रहे हैं। जबकि, उनकी बेटी को जेल भेज दिया गया है।


शाहजहांपुर मसले को लेकर सरकार और विपक्ष आमने-सामने है। उपचुनावों के माहौल में मुद्दे को और भी गरमाया जा रहा है। विपक्ष इसे अपने हाथ से फिसलने नहीं देना चाहता तो सरकार उसके हाथ से इसे छीन लेना चाहती है। कांग्रेस कार्यकर्तओं पर सख्ती के खिलाफ लखनऊ से लेकर दिल्ली तक आवाज सुनाई दी। पार्टी के बड़े नेताओं ने सरकार पर निशाना साधा। पार्टी की महासचिव और यूपी का प्रभार देख रहीं प्रियंका गांधी ने एक के बाद एक ट्वीट से ही हमला बोल दिया।


कांग्रेस ने सरकार पर आरोप लगाया है कि वो धारा 144 का इस्तेमाल कर अपने खिलाफ उठने वाली आवाजों को दबाना चाहती है। वहीं इस पूरे मसले पर भाजपा कांग्रेस को कटघरे में खड़ा कर रही है। डिप्टी सीएम केशव मौर्य के मुताबिक कांग्रेस कानून से खेलना चाहती है जिसकी इजाजत किसी सूरत में नहीं दी जा सकती है।


विपक्ष के इन हमलों और केस की तफ्तीश के तरीकों को देखने के बाद ये सवाल उठते हैं कि...


विरोध के सुर दबाने के लिए सरकार का हथियार बन गई है धारा 144 ?
रेप आरोपी चिन्मयानंद अस्पताल में है और पीड़ित जेल में...आखिर ये कैसी जांच है ?
और सवाल ये भी कि क्या उपचुनाव में शाहजहांपुर रेपकांड की बिसात पर खेला जा रहा है शह और मात का खेल?


कुल मिलाकर एक बात तो तय है कि शाहजहांपुर रेप कांड को उपचुनाव में अपने-अपने तरीके से सियासी दल भुनाने में लगे हैं। विपक्ष को सरकार और सिस्टम पर भरोसा नहीं तो वहीं सरकार विरोध की आवाज सुनना नहीं चाहती। पीड़ित के इंसाफ की वकालत से ज्यादा पार्टियों में अपनी कॉलर ज्यादा सफेद दिखाने की होड़ है। यात्रा की डगर इंसाफ की मंजिल तक ले जाएगी, इसका भरोसा खुद सियासत खो चुकी है। सरकार भी धारा 144 का इस्तेमाल कर इस भ्रम को पनपने नहीं देना चाहती। मुश्किल यही है कि सब अपने-अपने बारे में सोच रहे हैं, लेकिन कोई ये नहीं सोच रहा कि जेल में पीड़ित और अस्पताल में आरोपी। ये कार्रवाई की बदौलत है या फिर सियासत की बदौलत।