Politics On Drugs Case: शाहरुख खान के बेटे के ड्रग्स केस में पकड़े जाने से शुरू हुई लड़ाई अब सियासत के दो ऐसे हाथियों  की लड़ाई में तब्दील होती जा रही है जिसमें हासिल कुछ नहीं होना और अंत में महाराष्ट्र की जनता खुद को ठगा हुआ ही महसूस  करेगी. राज्य बनाम केंद्र की इस लड़ाई में आम आदमी का भरोसा जांच एजेंसियों व कानून व्यवस्था से ही उठने लगेगा.



जाहिर है कि राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने एनसीपी नेता और मंत्री नवाब मलिक पर अंडरवर्ल्ड से रिश्ते रखने और बम विस्फोट के आरोपियों से कौड़ियों के भाव जमीन खरीदने के जो आरोप लगाए हैं, वे उसकी जांच किसी केंद्रीय एजेंसी से कराने की मांग भी करेंगे. हो सकता है कि सीबीआई या किसी अन्य एजेंसी से पूरे मामले की जांच करने को कहा जाए. लिहाज़ा,हैरानी नहीं होना चाहिए कि फडणवीस व मलिक के आरोपों की ये लड़ाई आने वाले दिनों में केंद्र बनाम राज्य सरकार की लड़ाई का रुप ले ले क्योंकि इस पूरे मामले में दोनों ही सरकारें अपनी-अपनी एजेंसियों का इस्तेमाल करते हुए एक -दूसरे पर दबाव बनाने की कोशिश में जुटी हुई हैं.
 
लेकिन फडणवीस ने आज नवाब मलिक पर जो आरोप लगाये हैं,वे थोड़े संगीन किस्म के हैं क्योंकि अगर जांच में ये साबित हो जाता है कि उन्होंने मुंबई बम धमाकों के गुनहगारों से जमीन खरीदी थी,तब उनकी मुश्किलें बढ़ सकती हैं और इस मामले पर उद्धव ठाकरे सरकार को बैकफुट पर आना पड़ सकता है. फडणवीस ने दस्तावेजों के आधार पर ही मलिक पर आरोप लगाते हुए ये कहा है कि " उनकी ऐसी 5 प्रोपर्टी हैं जिसमें 4 लैंड डील्स में सीधे सीधे अंडरवर्ल्ड का एंगल है. ये सभी दस्तावेज मैं कम्पीटेंट ऑथोरिटी को दूंगा और शरद पवार को भी भेजूंगा ताकि उनको पता चले कि उनके नेता क्या गुल खिला रहे हैं."


फडणवीस के लगाये गए आरोपों में दो नाम अहम हैं,जो किसी तरह से नवाब मलिक के अंडरवर्ल्ड के साथ तार जुड़ने का शक पैदा करते हैं और अगर आगे कोई जांच होती है,तो उसमें भी सारा फोकस इस पर ही रहेगा. फडणवीस ने पहला नाम लिया है,सरदार शाहवली खान का जो 1993  के मुंबई बम धमाको का आरोपी है और अब जेल में उम्र कैद की सजा काट रहा है. ये उस पर टाइगर मेमन की अगुवाई में हथियार की ट्रेनिंग लेने, बीएमसी हेडक्वार्टर्स की  रेकी करने और गाड़ियों में RDX भरने  का सबसे गंभीर आरोप था. गवाहों की पुष्टि के आधार पर ही अदालत ने उसे दोषी मानते हुए सजा सुनाई. आरोप है कि नवाब मलिक के इस शख्स के साथ संबंध रहे है. दूसरा नाम लिया गया है-मोहम्मद सलीम इसाक पटेल उर्फ सलीम पटेल का. 


पूर्व गृह मंत्री आर आर पाटिल के साथ उसकी फोटो वायरल हुई थी. उसे माफिया सरगना  दाऊद इब्राहिम का गुर्गा बताया जाता है और पुलिस को दाऊद के साथ भी उसकी तस्वीर मिली थी. बताते हैं कि वो दाऊद की बहन हसीना पारकर का ड्राइवर और फ्रंट मैन था. दाऊद की गैंग द्वारा लैंड ग्रेबिंग की  सारी प्रॉपर्टी  हसीना के नाम पर ही जमा होती थी. लेकिन सकी पावर ऑफ अटॉर्नी सलीम पटेल के नाम पर होती थी. आरोप है कि कुर्ला के एलबीएस रोड पर 3 एकड़ की जिस जमीन  को मलिक के परिवार ने खरीदा है ,उसकी रजिस्ट्री ओर पावर ऑफ अटॉर्नी  के होल्डर सलीम पटेल ही हैं. जबकि दूसरे बिक्री करने वाले है शाह वली खान. बिक्री हुई है सॉलिडस कंपनी के साथ, ये कंपनी नवाब मलिक के परिवारवालों की है. मलिक के बेटे फराज मलिक ने ये जमीन खरीदी है.


हालांकि  नवाब मलिक ने फडणवीस के लगाए सभीआरोपों को बेबुनियाद करार देते हुए सफाई दी है कि उनके कभी भी अंडरवर्ल्ड से ताल्लुकात नहीं रहे हैं. उल्टे, उन्होंने  कल सुबह अंडरवर्ल्ड का  हाइड्रोजन बम फोड़ने  का ऐलान करके महाराष्ट्र की सियासत  में बेचैनी भरी खलबली मच दी है. बताया जा रहा है कि  वे फडणवीस के मुख्यमंत्री काल के कुछ ऐसे राज खोलने वाले हैं,जो मुंबई से लेकर दिल्ली की सियासत में भूचाल ला सकते हैं. लेकिन बड़ा सवाल ये है कि सियासत के दो ताकतवर चेहरों की इस लड़ाई से आखिर आम जनता का क्या भला होगा क्योंकि वह तो यही मानती आई है कि हमाम में सब नंगे ही हैं.


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