पंजाब को दोबारा आतंकवाद की आग में झोंकने के लिए  पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई ने क्या पूरा प्लान तैयार कर लिया है? 'वारिस पंजाब दे' संगठन के बहाने अलग खालिस्तान आंदोलन चलाने वाले अमृतपाल सिंह को आईएसआई से फंडिंग मिलने की जो खबरें सामने आई हैं, वे सूबे की भगवंत मान सरकार से भी ज्यादा केंद्र की मोदी सरकार के लिए भी खतरे की बड़ी घंटी है. सवाल ये भी है कि गृह मंत्री अमित शाह को सरेआम धमकी देने वाला और 25 बंदूकधारियों की अपनी 'प्राइवेट आर्मी' से घिरे रहने वाला ये जूनियर भिंडरावाला अब तक छुट्टा कैसे घूम रहा है? पंजाब की मान सरकार के लिए खालिस्तानियों के आगे घुटने टेकने की कोई मजबूरी हो सकती है, लेकिन  ऐसे तत्वों के ख़िलाफ कोई एक्शन लेने से केंद्र सरकार को भला किसने रोका है.


सिर्फ आईएसआई ही नहीं बल्कि कनाडा, ब्रिटेन व अमेरिका में स्थित कुछ कट्टरवादी संगठन अमृतपाल सिंह को जिस तरह से सोशल मीडिया में प्रोजेक्ट कर रहे हैं, उससे साफ है कि पूरे राज्य को आतंकवाद की गिरफ्त में लेने का एक सुनियोजित प्लान है. इसलिये आंतरिक सुरक्षा के विशेषज्ञ भी ये मान रहे हैं कि आतंकवाद के इस फन को कुचलने के लिए मोदी सरकार को सिर्फ सूबे की मान सरकार के भरोसे नहीं रहना चाहिये, बल्कि संविधान के प्रावधानों का इस्तेमाल करते हुए पूरे मामले में दखल देने की पहल करनी होगी,अन्यथा पंजाब को चार दशक पुराने हालात में जाने में कोई ज्यादा देर नहीं लगने वाली है. दरअसल,बीते दिनों तलवारों व बंदूकों से लैस हजारों खालिस्तानी समर्थकों ने अमृतसर के अजनाला थाने में जिस तरीके से धावा बोला था, वह इस आंदोलन की ताकत दिखाने की शुरुआत भर थी. उस घटना के बाद अमृतपाल सिंह ने भी  ऐलान किया था कि अभी तो सरकार को सिर्फ ट्रेलर दिखाया गया है, आगे बहुत कुछ होना बाकी है.जाहिर है कि वह आने वाले दिनों में कुछ ऐसा बड़ा करने की तैयारी में है, जो सूबे में कानून-व्यवस्था की स्थिति संभालने को नियंत्रण से बाहर करके रख दे.


भारतीय खुफिया एजेंसी के सूत्रों का दावा है कि उन्हें इसकी पुख्ता जानकारी मिली है कि आईएसआई अमृतपाल सिंह को फंडिंग कर रही है, ताकि खालिस्तानी आंदोलन को फिर से जिंदा किया जाये. उसे धन मुहैया कराने के लिए  ISI द्वारा सोशल मीडिया पर बड़ा अभियान चलाया जा रहा है. शीर्ष खुफिया सूत्रों के मुताबिक कनाडा, यूके और अन्‍य कई देशों में फेसबुक, इंस्‍टाग्राम के जरिए हजारों तस्‍वीरें अपलोड की जा रही है. पाकिस्‍तानी एजेंसी इन तस्‍वीरों में भारत में सिखों के कथित दमन का झूठा प्रचार कर रही है. इनका विज्ञापन भी दिया जाता है और ये विज्ञापन कनाडा, ब्रिटेन और जर्मनी में देखे जा सकते हैं. हमारी खुफिया एजेंसियों ने आईएसआई के इस प्रोपेगंडा की तह तक जाने के बाद पाया है कि इन विज्ञापनों को इस तरह डिजाइन किया गया है कि ये सिर्फ 18-25 साल के युवा सिखों के सोशल मीडिया एकाउंट में ही देखे जा रहे हैं. ये विज्ञापन सिख नामों और उपनामों जैसे सिंह, कौर आदि के लिए ही टारगेट किये गए हैं. इन विज्ञापनों का भुगतान किया जाता है और लगभग एक साल तक चल सकता है. 


माना जा रहा है कि अलगाववादी अमृतपाल सिंह को अप्रत्यक्ष रूप से धन मुहैया कराने के लिए पाकिस्‍तान सीधे टारगेटेड दर्शकों तक ही पहुंच बना रहा है. इसमें साल 1984 में हुए सिख विरोधी दंगों और उन पर हुए अत्याचार की पुरानी तस्वीरें अपलोड करने के साथ ये झूठा दावा किया जा रहा है कि भारत में अब भी सिखों के साथ ऐसा हो रहा है.
खुफिया सूत्रों के मुताबिक इनके माध्‍यम से ISI और उसके लोग फंडिंग के लिए लाखों डॉलर बना रहे हैं. ये विज्ञापन सीधे तौर पर सिख अलगाववादी नेता जरनैल सिंह भिंडरावाले को अमृतपाल सिंह से जोड़ते हुए दिखा रहे हैं. पंजाब को जिस रास्ते पर आगे ले जाने की ये जो अंतरराष्ट्रीय साजिश हो रही है, उसके बेहद खतरनाक नतीजे देखने को मिल सकते हैं. शायद यही वजह है कि उत्तर प्रदेश के पूर्व पुलिस महानिदेशक प्रकाश सिंह ने पंजाब के साथ ही केंद्र सरकार को भी बेहद साफ लहजे में आगाह किया है.
उन्होंने कहा है कि पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान को यह समझना चाहिए की छोटी बातें को आज नज़रअंदाज कर दिया गया तो कल वो बात एक बड़ा ही विकराल रूप धारण कर लेगी. जंगल में एक चिंगारी से आग लग जाती है और ये तो सिर्फ़ चिंगारी नहीं है. हजार आदमी की संख्या बहुत होती है. आपको एक उदाहरण देता हूं. शुरू में नगालैंड में 250 से 300 नागा सशस्त्र विद्रोही थे, लेकिन धीरे-धीरे उन्होंने 4000 तक की संख्या बना ली. शुरुआत में अगर आप एक हजार आदमी को नजरअंदाज करेंगे तो वो बाद में बढ़ते-बढ़ते 10 हजार की संख्या तक पहुंच जाएंगे. ऐसे में मुख्यमंत्री का ये कहना कि हजार आदमी से कोई फर्क नहीं पड़ता, मैं समझता हूं कि ये बहुत ही अदूरदर्शी नजरिया है.


उनके मुताबिक पिछले कुछ अरसे में हुई सारी घटनाओं को मिलाकर पंजाब का जो परिदृश्य बन रहा है वो बहुत ही खतरनाक है और मैं समझता हूं कि गृह मंत्रालय को इस पर संज्ञान लेना चाहिए. पंजाब में आम आदमी पार्टी की जो सरकार है, अगर वो इन आतंकियों पर कार्रवाई करने में या शिकंजा कसने में ढुलमुल नीति अपनाती है या हिचक दिखाती है ,तो वहां पर केंद्र को सख्त कदम उठाने की पहल करनी चाहिए. इसलिये बड़ा सवाल ये है कि आतंकवाद को कुचलने के लिए केंद्र सरकार उसके विकराल व खतरनाक रुप लेने का इंतजार आखिर क्यों कर रही है? 


(नोट- उपरोक्त दिए गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. ये जरूरी नहीं कि एबीपी न्यूज़ ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.)