प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पार्टी के केंद्रीय कार्यालय के विस्तार का लोकार्पण करते हुए विपक्षी दलों को आड़े हाथों लिया. उन्होंने कहा कि सभी भ्रष्टाचारी एक मंच पर साथ आ रहे हैं. भारत विरोधी शक्तियां एकजुट हो रही हैं. उन्होंने आगे कहा कि बीजेपी सरकार ने भ्रष्टाचारियों के खिलाफ जो ऑपरेशन चलाया, इससे उनकी जड़ें हिल गई हैं. ऐसी स्थिति में मुझे लगता है कि अभी जो राहुल गांधी की सदस्यता समाप्त हुई है सूरत के एमपी-एमएलए कोर्ट का फैसला आने के बाद और उसमें उन्हें दो साल की सजा सुनाई गई है तो इस मुद्दे पर पूरा विपक्ष गोलबंद हो गया है. दूसरी बात यह की अडानी के संदर्भ में जो हिंडनबर्ग की रिपोर्ट सामने आई है उसे लेकर विपक्ष लगातार प्रधानमंत्री के अडानी के साथ नजदीकी को लेकर सवाल उठा रहा है. इस मुद्दे पर बार-बार संसद में हंगामा के चलते कार्यवाही भी बाधित हो रही है. उसमें मुख्य रूप से कांग्रेस और विपक्ष की तमाम पार्टियां जो हैं वो प्रधानमंत्री पर हमलावर हैं. उनका ये सीधा आरोप है कि अडानी का जो प्रमोशन हुआ है वो नरेंद्र मोदी के गुजरात में मुख्यमंत्री रहने से लेकर प्रधानमंत्री बनने के बाद भी जारी है.


विपक्ष होगा गोलबंद


विपक्ष का कहना है कि मोदी ने केंद्र में आने के बाद अडानी को तरह-तरह की रियायत दी हैं, जिसके कारण चाहे एयरपोर्ट हो या कोयला का खदान और अन्य सरकारी ठेके अडानी को दिये गए हैं. अडानी उद्योग समूह को बैंकों से लाखों करोड़ रुपये के कर्ज मिले हैं. एलआईसी और ईपीएफ से कर्ज मिले हैं....कुल मिलाकर विपक्ष का यह आरोप है कि अडानी की प्रधानमंत्री के साथ नजदीक होने के चलते वो फल-फूल रहे हैं और न सिर्फ देश बल्कि विदेशों में भी उन्हें कई काम मिलें हैं.
हिंडनबर्ग रिपोर्ट के आने के बाद जिस तरह से अडानी समूह को 12 लाख करोड़ रुपये का गच्चा लगा है छोटे निवेशकों का तो इस मामले में प्रधानमंत्री जी मुख्य निशाने पर हैं. अब जवाब में चूंकि कांग्रेस और अन्य क्षेत्रीय दलों के नेता कहीं न कहीं भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरे रहे हैं.



आप चाहे बिहार, बंगाल या यूपी या महाराष्ट्र को ही देख लीजिए तो जो भी क्षेत्रीय दल हैं चाहे वो एनसीपी हो, समाजवादी पार्टी हो, राजद हो या टीएमसी और आम आदमी पार्टी तो ये जितने भी दल हैं सब के नेता कहीं न कहीं भ्रष्टाचार के मामलों से घिरे हुए हैं. राहुल गांधी की सदस्यता जाने को लेकर 13 विपक्षी दलों ने राष्ट्रपति को चिट्ठी लिखी है. प्रधानमंत्री जी को चिट्ठी लिखी है और ईडी और सीबीआई के दुरुपयोग करने को लेकर और विपक्षी नेताओं को परेशान करने को लेकर सभी ने संयुक्त बयान जारी किया है. अब राहुल गांधी की सदस्यता का ही मुद्दा देख लीजिए तो सभी पार्टियों की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में एक पीआईएल याचिका दायर की गई है. लेकिन यह भी देखने की बात है कि जो कार्रवाई हुई है वो सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अनुरूप हुई है चूंकि 2013 में जो सर्वोच्च न्यायालय ने जनप्रतिनिधित्व कानून के तहत जिस धारा को निरस्त कर दी गई थी उसके तहत कार्रवाई की जा रही है...तो इस अधिनियम को निरस्त करने के लिए एक याचिका दायर की गई है.


भ्रष्टाचार बना बड़ा मुद्दा


 स्वाभाविक रूप से भ्रष्टाचार एक मुद्दा हो गया है. अभी राहुल गांधी ने न सिर्फ अडानी को संरक्षण देने के लिए बल्कि नीतियों को सरल बनाने का भी केंद्र सरकार पर आरोप है बल्कि राहुल गांधी ने तो सीधा-सीधा यह भी आरोप लगा दिया है कि अडानी समूह में 20 हजार करोड़ रुपये की जो पूंजी वो भाजपा के नेताओं ने लगाई है. अब इस आरोप पर लगातार संसद में जेपीसी गठित कर जांच करने की मांग हो रही है और अब लोगों में भी कहीं न कहीं यह
अवधारणा बनने लगा है कि अडानी के मामले पर केंद्र सरकार जो वो बैकफुट आती दिख रही है. हालांकि इसकी जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट ने एक कमेटी बनाई है लेकिन जेपीसी की मांग से केंद्र सरकार भाग रही है.


मंगलवार को जब नई दिल्ली में भाजपा कार्यालय में आवासीय परिसर का उद्घाटन का मौका था तो प्रधानमंत्री ने कहा कि सारे भ्रष्टाचारी एक हो गए हैं और हमने जो भ्रष्टाचार रोकने के लिए अभियान छेड़ा है वो रुकने वाला नहीं है. इससे पहले भी जब ईडी और सीबीआई ऑफिसर्स की बैठक हुआ थी तो उस दौरान भी प्रधानमंत्री ने कहा था कि केंद्रीय एजेंसियों को हड़बड़ाने की जरूरत नहीं है और उन्हें यह भरोसा दिलाया था कि आप अपनी कार्रवाई भ्रष्टाचारी नेताओं के प्रति, व्यापारियों के खिलाफ हो या राजनेता के खिलाफ आप उसे जारी रखिये. तो यही बात उन्होंने कल भी कही और यह सभी विपक्षी दलों के लिए था. उन्होंने विपक्ष के किसी भी नेता का बिना नाम लिए उन सभी पर निशाना साधा है उन्होंने संयुक्त रूप से अभी ईडी और सीबीआई की जांच को लेकर विरोध जताया है.


मुझे लगता है कि आगामी लोकसभा का जो चुनाव होगा उसमें भ्रष्टाचार का मुद्दा भी प्रमुख होगा. प्रधानमंत्री ने यह भी कहा है कि इसी पीएमएलए अधिनियम के तहत कांग्रेस के समय में 2004 और 2014 के बीच 5000 करोड़ रुपये की संपति सीज की गई थी लेकिन हमने 1.10 लाख करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त की है. भ्रष्टाचार के मामलों में हमने 15 गुणा अधिक केस दर्ज किए हैं. हाल ही में एक रिपोर्ट आई थी जिसमें यह कहा गया था कि कांग्रेस के कार्यकाल में भी केंद्रीय एजेंसियां कार्रवाई करती थी और 75 प्रतिशत विपक्ष के नेताओं के खिलाफ होता था लेकिन अभी यह कार्रवाई 95 प्रतिशत हो रही है.


लेकिन, देश की जनता को भी यह समझना होगा. चूंकि भ्रष्टाचार एक ज्वलंत मुद्दा रहा है और खासतौर पर राजनेताओं का भ्रष्टाचार और मुझे लगता है कि भाजपा की ओर से प्रधानमंत्री मोदी की ओर से विपक्ष की गोलबंदी को लेकर भ्रष्टाचार एक बहुत बड़ा मुद्दा होगा और प्रधानमंत्री ने अपनी प्रतिबद्धता को दोहराई है कि चाहे विपक्ष के लोग जो भी आरोप लगाएं लेकिन उनका जो भ्रष्टाचार के खिलाफ अभियान है वह नहीं रुकेगा.


['ये आर्टिकल निजी विचारों पर आधारित है.]