कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कर्नाटक के कलबुर्गी में एक विवादित बयान दिया है. उन्होंने चुनाव प्रचार के दौरान भाषण देते हुए पीएम मोदी को जहरीला सांप करार दिया. उन्होंने कहा, ''पीएम मोदी 'जहरीले सांप' की तरह हैं, आप सोच सकते हैं कि यह जहर है या नहीं, यदि आप इसे चाटते हैं, तो आप मारे जाएंगे. हालांकि, इसके तुरंत बाद ही जब बयान का विरोध हुआ तो उन्होंने अपनी सफाई भी दी और कहा कि उनका बयान व्यक्तिगत तौर पर पीएम मोदी के लिए नहीं था, वह तो भाजपा की विचारधारा पर बात कर रहे थे, उसकी तुलना जहर से कर रहे थे. 



 


देवेश कुमार, विधानपार्षद, बिहार 


राजनीतिक भाषा या पॉलिटिकल डिस्कोर्स का जो स्तर है, उसे नीचा करने का जिम्मा कांग्रेस ने उठाया हुआ है. वह लगातार ऐसी भाषा का इस्तेमाल कर रहे हैं, जिसका उपयोग सामान्यतः कोई राजनीतिक दल या राजनीतिक व्यक्ति नहीं करेगा. इसमें कोई आश्चर्य नहीं है, क्योंकि वे इतनी हताशा में हैं, इतनी फ्रस्ट्रेशन में हैं कि उनको उनका राजनीतिक भविष्य बड़ा ही धूमिल, बड़ा ही कमजोर होता दिखाई दे रहा है. एक के बाद एक वो सारे चुनाव हार रहे हैं. दो लोकसभा चुनाव और उसके बाद कई सारे विधानसभा चुनावों में उनको हार का मुंह देखना पड़ रहा है. हताशा इसीलिए उनकी है, वह दिख रही है. दूसरे जो नेता उनके थे, श्री राहुल गांधी. उनसे जो उम्मीदें उनको थीं, वह भी पूरी नहीं हो पाई हैं, बल्कि उनसे भी निराशा ही मिली है. एक ऐसे समय में, जब राहुल गांधी जो कांग्रेस के युवराज हैं, उनको जब विरोधियों से लडाई लड़नी चाहिए थी, तो वो अभी अपना नया घर बसाने में लगे हैं. वह अपनी संसद सदस्यता गंवा चुके हैं और अब कानूनी रास्ता खोज रहे हैं. 



दूसरी बात, जिसको ये जहरीला बोल रहे हैं, आप याद कीजिए तो चुनाव के समय इस तरह की भाषा का प्रयोग सोनिया गांधी ने भी किया था. 'मौत का सौदागर' से लेकर और भी कई तरह के आपत्तिजनक बयान उन्होंने दिए थे. उसी कड़ी में मल्लिकार्जुन खरगे के इस बयान को भी देखना चाहिए. ये जो लेवल है, राजनीतिक बहस का, उसे नीचा करने का जिम्मा कांग्रेस ने उठाया है, यह नंबर एक बात हुई. नंबर दो बात यह है कि यह उनकी हताशा और निराशा का परिचय देता है, क्योंकि वे लगातार भारत की राजनीति में हाशिए पर जा रहे हैं और ये उसी का प्रतीक है. 


अगर खरगे यह सफाई दे रहे हैं कि उन्होंने पीएम मोदी को व्यक्तिगत तौर पर नहीं कहा, भाजपा की विचारधारा को कहा है, तो भी ये क्षम्य कैसे हो जाएगा? कांग्रेसी तो यही हैं ही. ये गुजरातियों को ठग कहते हैं, एक समुदाय के लोगों को राहुल गांधी जी चोर कहते हैं और अब वे बीजेपी के बारे में कह रहे हैं. अब इस लीपापोती पर न जाएं. मेरा तो इन पर एक ही आरोप है कि भई हम कुछ मर्यादाओं का पालन करते हैं, जब हम अपने प्रतिद्वंद्वियों को टारगेट करते हैं. उस मर्यादा का पालन होना चाहिए. कांग्रेस ने वे सारी मर्यादाएं लांघ दी हैं. उनको देश से माफी मांगनी चाहिए और अगर वे माफी नहीं भी मांगते हैं तो भी जनता उनको 2024 के चुनाव में आईना दिखाएगी. 




शहनवाज आलम, यूपी अल्पसंख्यक कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष


खरगे जी ने जो कहा है, वह कोई नई बात नहीं कही है. ज़हर फैलाने वाली विचारधारा के लोग ज़हर ही फैलाते हैं. भले वे दावा करें कि अमृतकाल चल रहा है. अब ज़हर फैलाने वालों को ज़हरीला ही तो कहा जाएगा. इसी विचारधारा द्वारा फैलाया गया जहर महात्मा गांधी की हत्या की भी वजह बनी थी. सरदार पटेल ने भी गाँधी जी की हत्या के बाद संघ पर प्रतिबंध लगाते समय यही बात कही थी. पटेल ने कहा था कि जो संघ ने जहरीला माहौल बनाया, उसी की वजह से गांधी की हत्या हुई. अगर भाजपा सरदार पटेल को अपना आइकॉन मानती है, तो उसको खरगे जी के इस बयान से कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए. 


अगर भाजपा की आपत्ति है तो उसे सरदार पटेल के बयान से भी आपत्ति होनी चाहिए. भाजपा तो पटेल की सबसे बड़ी मूर्ति लगाती है, तो फिर उसको इस तरह के बयान से आपत्ति नहीं होनी चाहिए. अगर उनका प्रेम पटेल से वास्तविक है तो फिर उनको आपत्ति नहीं होनी चाहिए. वरना, फिर हम मान लें कि भाजपा का प्रेम केवल दिखावे का है. एक बात और है. भाजपा का टॉप टू बॉटम लीडरशिप जो है, इन लोगों ने समाज में राजनीतिक बहस का जो स्तर है, वह इतना गिरा दिया है कि उनको इस बारे में कुछ कहने का अधिकार नहीं. भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने सोनिया गांधी के बारे में किस तरह की भाषा बोली. अमित शाह ने राष्ट्रपति महात्मा गांधी को चतुर बनिया बोला. राहुल जी, प्रियंका जी, इंदिरा गांधी जी तक के बारे में बहुत कुछ बोले हैं ये लोग. नेहरू जी के ऊपर भी अपमानजनक टिप्पणी की है. फिलहाल, बीजेपी के प्रवक्ता और ट्रोल में कोई अंतर ही नहीं है. अमित शाह बोलते हैं कि अपराधियों को उलटा टांग देंगे. तो, कहने का मतलब है कि विचारधारा से जहरीले जो लोग आते हैं, वे जब सत्ता में आते हैं, तो राजनीति का पतन होना ही है. आप जिस पतन की बात कर रहे हैं, वह तो अमृतकाल में हुआ है.  


[ये आर्टिकल विचारों पर आधारित है.]