पाकिस्‍तान के अवैध कब्‍जे वाले कश्‍मीर यानी POK से जो ताजा खबर आई है, वह भारत के लिए भी थोड़ी चिंताजनक है. वहां के शिक्षित बेरोजगार नौजवानों को उग्रवाद की तरफ धेकेला जा रहा है. यानी अब डिग्रीधारी युवाओं को आतंकी बनाने की साजिश हो रही है. जाहिर है कि इसके पीछे पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई का ही दिमाग है, जिसे पता है कि नौकरी न मिलने की सूरत में ऐसे युवाओं को आतंक के रास्ते पर लाना बेहद आसान है. POK में बेरोजगारी चरम पर है और वहां उच्च शिक्षा प्राप्त युवाओं को भी नौकरी के लाले पड़े हुए हैं. इससे भी ज्यादा चिंता की बात है कि वहां स्कूल छोड़ने वाले लड़कों की संख्या में भी तेजी से इजाफा होता जा रहा है. इसका बड़ा खतरा ये है कि कम उम्र में ही उनके हाथों में बंदूक थमाकर उन्हें भारत में आतंक फैलाने के लिए तैयार कर दिया जाएगा.


वैसे भी आतंकियों के सबसे ज्यादा ट्रेनिंग कैम्प POKमें ही है, जहां आईएसआई पिछले कई सालों से कश्मीर के आतंकियों को ट्रेंड करती आ रही है. बीते दिनों ही कश्मीर के डोडा जिले के आला पुलिस अफसर ने ये खुलासा किया था कि राज्य के 118 आतंकियों ने POK में अपना ठिकाना बना लिया है, जो डोडा जिले के नौजवानों को आतंकी कैम्पों में भर्ती करने की कोशिश में हैं. पाकिस्तान अब तक कश्मीर के भटके हुए युवाओं को ही आतंकी बनाता आया है, फिर चाहे इसके पीछे पैसों का लालच हो या मज़हबी जुनून ही वजह रही हो, लेकिन अब पीओके के बेरोजगार युवाओं को भी इसी रास्ते पर धकेलने की ये साजिश किसी बड़े खतरे का संकेत है. हालांकि कुछ जानकारों के अनुसार आईएसआई के इस नए गठजोड़ का मकसद अगले कुछ महीने में जम्मू-कश्मीर में होने वाले विधानसभा चुनावों के वक्त आतंक फैलाना ही हो सकता है. वह इसलिए कि पीओके में तैयार होने वाले इन नए आतंकियों का भारतीय सुरक्षा एजेंसियों के पास कोई पुराना रिकॉर्ड तो है नहीं. लिहाजा, वे अपने मकसद को आसानी से अंजाम देकर सुरक्षित ठिकाने पर पनाह ले सकते हैं.


लंदन और दुबई से छपने वाला एक अखबार है-एशियन लाइट इंटरनेशनल.इसकी एक रिपोर्ट में ये खुलासा करते हुए इस पर चिंता जताई गई है कि POK में बेरोजगार युवाओं को उग्रवाद की तरफ धकेला जा रहा है. यहां युवा लड़के-लड़कियों को उच्‍च शिक्षा नहीं देने के पीछे कोई साजिश लगती है. स्कूल में पढ़ाई छोड़ने वालों की तादाद बढ़ रही है, खासकर लड़कियां पढ़ाई पूरी नहीं कर पा रहीं. उच्च शिक्षा के अवसरों में गिरावट आई है. बता दें कि बीते दिनों ही पीओके के प्रधानमंत्री सरदार तनवीर इलियास खान ने भी इस पर गहरी चिंता जताई थी कि इतनी बड़ी संख्या में लड़के आखिर स्कूल क्यों छोड़ रहे हैं, लेकिन तब सरदार खान ने ये भी कहा कि इसकी वजह युवाओं में पढ़ने की रुचि कम होना नहीं, बल्कि इसके पीछे कुछ और वजहें हैं. हालांकि उन्होंने इसका खुलासा नहीं किया लेकिन उनका इशारा भी आईएसआई की इसी साजिश की तरफ ही समझा गया है.


अखबार की रिपोर्ट के मुताबिक वहां के विश्वविद्यालयों पर सारा दोष मढ़ना अनुचित है क्योंकि उनका उपयोग राजनीतिक टूल की तरह किया जा रहा है. नतीजतन, वे अपने कार्यों को उतने प्रभावी ढंग से अंजाम नहीं दे पा रहे हैं,जितना वे कर सकते हैं. पीओके के एक लेखक के हवाले से इस रिपोर्ट में कहा गया है, "समाज में, सरकारी नौकरी और आय प्राप्त करना ही शिक्षा का एकमात्र लक्ष्य है. जो दुनिया में अपना योगदान देने की क्षमता रखते हैं, वे आज समाज में सम्मानित होते हैं, जबकि हम अपने यहां की बताएं तो देश या समुदाय से इतर, विश्वविद्यालयों में शोध का स्तर भी अच्‍छा नहीं है. उनके मुताबिक, पीएचडी, एमफिल और एमए डिग्री धारक सरकारी नौकरी पाने के लिए मैट्रिक पास मंत्रियों के पास आते रहते हैं. नौकरी करने वाले और नौकरी देने वाले में बड़ा अंतर होता है. यहां हर कोई नौकरी पाना चाहता है, लेकिन खुद नौकरी देने की स्थिति में नहीं है.यही वजह है कि शिक्षित बेराजगार नौजवानों की फौज बढ़ती जा रही है. इसका सबसे बड़ा खतरा यही है कि ऐसे युवाओं को भटकाना बेहद आसान है और जब इनके हाथों में बंदूक थमा दी जायेगी, तब क्या होगा? 


(नोट- उपरोक्त दिए गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. ये जरूरी नहीं कि एबीपी न्यूज़ ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.)