ईरान ने इजराइल पर आखिरकार हमला कर दिया है. दुनिया में पहले से ही दो युद्ध चल रहे थे. हालांकि, हमास और इजराइल के बीच में युद्ध जब पिछले साल शुरू हुआ, तो उस समय से ही ईरान भी परोक्ष रूप से इजरायल के साथ लड़ रहा था. विद्रोहियों का समर्थन करके, हमास के साथ था. इसके साथ ही हिजबुल्ला और सीरिया के लड़ाकों की मदद करके भी इजरायल को परेशान करने का काम कर रहा था.  इस मामले में इजरायल ने कई बार ईरान को चेताया था, लेकिन वह अपने हथियारों, पैसे, बम, गोलों और पैसों की मदद से इजरायल के विपक्ष में होकर हमास की मदद कर रहा था.


इजरायल पर हमला, ईरान की चूक


इजरायल और ईरान का पहले से ही एक तनाव रहा है. इसको मद्देनजर रखकर ईरान अपना उल्लू सीधा कर रहा था, लेकिन सीरिया के दमिश्क में इजरायल ने ईरान के दूतावास पर हमला किया, जिसमें दो राजनायिक के साथ-साथ सात अन्य लोग भी मारे गए थे. उसके बाद से ही ईरान बदले की भावना में भभक रहा था. इस मामले में ईरान ने इजरायल को धमकाया भी था. अमेरिका ने भी स्पष्ट किया था ईरान संभल कर इस मुद्दे को देखे. अगर किसी तरह का हमला ईरान की ओर से इजरायल पर किया जाता है तो अमेरिका इजरायल के साथ होगा. अभी हाल में ही ईरान ने इजरायल पर ड्रोन के माध्यम से हमला किया है. इजरायल के जहाज को भी ईरान ने पकड़ लिया है, जिसके क्रू मेंबर में करीब 17 भारतीय भी शामिल है. इस मामले में भारत की ओर से तेहरान से बातचीत की जा रही है और ये उम्मीद भी लगायी जा रहा है कुछ ही समय में भारत अपने व्यक्तियों को छुड़वा लेगा. पूरा विश्व पहले से ही अभी दो युद्ध से जुझ रहा है, जिसमें एक ओर रूस और यूक्रेन का युद्ध है और दूसरी ओर हमास और इजरायल का युद्ध है, जिसका असर पूरे विश्व के राजनीतिक और अर्थव्यवस्था पर सीधे असर पर पड़ रहा है. ईरान और इजरायल के बीच सीधे तौर पर युद्ध होने से कई दिक्कतें सामने आ सकती है. तो, पूरे विश्व में कई देश जो बड़े हैं, ताकतवर हैं, संपन्न हैं, उनको एक स्टैंड लेना पड़ेगा कि वो ईरान या इजरायल दोनों में से किसके साथ खड़े है? इन सब मुद्दों पर भी कई देशों को संभल कर ही फैसला लेना चाहिए. अमेरिका को तो खास कर ये फैसला सोच-समझ कर लेना होगा. 


भारत साधेगा संतुलन का हठयोग


जहां तक भारत की स्टैंड लेने की बात है तो इजरायल के जहाज पर जो 17 भारतीय सवार है, उनको निकालने के लिए सरकार प्रयास कर रही है. भारत के ईरान से काफी अच्छे संबंध रहे हैं. उसके तहत भारत 17 यात्रियों को निकालने के लिए ईरान से लगातार बात कर रहा है. उम्मीद है कि जल्द ही ईरान उन सब को छोड़ देगा. भारत का इजरायल के साथ भी एक अच्छा रिश्ता हमेशा से रहा है तो भारत का ये स्टैंड है कि दोनों देश एक साथ एक मंच पर आकर बातचीत से मुद्दों को सुलझाने का प्रयास करें. किसी प्रकार से युद्ध किसी भी मुद्दा का रास्ता नहीं है. हालांकि, ईरान अगर जल्द ही ऐसे कदम को नहीं रोकता है तो इजरायल खुद अकेले ईरान को टक्कर देने में सक्षम है. विश्व की शक्तियों को भी इसको संभल कर देखना होगा.  विश्व में पहले से ही दो युद्ध चल रहे हैं अगर तीसरा युद्ध हुआ और किसी विश्व शक्ति की इसमें दखल होती है, तो इसको विश्व युद्ध का आरंभ भी माना जा सकता है. इजरायल और हमास के युद्ध के बीच में अगर अमेरिका ने दखल दिया तो इससे सीधे तौर पर ये तीसरे विश्व युद्ध की ओर ले जाएगा, क्योंकि ईरान के समर्थन में और कई मुस्लिम राष्ट्र आकर उसके साथ खड़े हो जाएंगे.


दुनिया को रुकवाना होगा युद्ध


ईरान अगर नहीं मानता है और इजरायल पर हमला करता रहेगा तो यकीनन इजरायल इसका मुंहतोड़ जवाब देगा. जवाबी कार्रवाई में जो छीटें पड़ेंगे, वो पश्चिमी एशिया के कई और देशों की ओर भी जा सकते हैं. अमेरिका, ब्रिटेन अगर युद्ध नहीं चाहते हैं तो वो पश्चिमी एशिया के देशों पर दबाव बढ़ा कर युद्ध की स्थिति को रोक सकते हैंं. जिसमें किसी प्रकार की हमले करने से बचने और सिर्फ बातचीत के जरिये ही समस्या को सुलझाने का प्रयास करने की चेतावनी दे सकता है. किसी प्रकार की फिजिकल एक्टिविटी करने से बचना होगा. अगर ईरान की ओर से हमले किए जाते हैं और इजरायल की ओर से जवाबी कार्रवाई की गयी और ईरान के समर्थन में मुस्लिम राष्ट्र एक साथ आए तो, ये कदम यकीनन विश्व युद्ध की ओर ले जाएंगे. भारत के ईरान और इजरायल दोनों से अच्छे संबंध रहे हैं. विश्व की कई बड़ी महाशक्तियों से भी भारत के संबंध अच्छे हैं. ऐसे में भारत को चाहिए कि वो अग्रणी भूमिका निभाते हुए दोनों देशों को बातचीत के जरिये समस्या को सुलझाने के लिए कहे, और किसी प्रकार के युद्ध जैसे हालातों से रोक सके. अगर ऐसा हो गया तो विश्व शांति के लिए एक बेहतर कदम साबित होगा.


भारत के शीर्ष नेतृत्व को एक शक्ति भी इससे मिलेगी कि भारत ही विश्व में शांति स्थापित कर सकता है. इन सब मुद्दों पर चीन की भूमिका थोड़ा अलग होगी. चीन की अमेरिका के साथ पहले से ही ठनी रही है. अमेरिका और चीन में कोल्डवार चल रहा है. मुस्लिम देशों से चीन का संबंध पिछले कुछ समय में बढ़ा है. अगर कोई युद्ध की स्थिति उत्पन्न होती है तो वो पश्चिमी एशिया के देशों के साथ खड़ा होगा. जो विश्व की राजनीति के लिए ठीक नहीं होगा. चीन को भी चाहिए कि वो विश्व में शांति के लिए काम करे और एक मंच पर लाकर विवाद को सुलझाने का प्रयास करे.


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